Ram Mandir, अयोध्या : मंदिर नगरी अयोध्या नवनिर्मित राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए पूरी तरह तैयार है और इस बहु-प्रतीक्षित समारोह के धार्मिक अनुष्ठानों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल होंगे।
भगवान राम के बाल रूप रामलला की मूर्ति की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ में देश के प्रमुख आध्यात्मिक और धार्मिक संप्रदायों के प्रतिनिधियों, विभिन्न आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधियों सहित सभी क्षेत्रों के प्रमुख लोग शामिल होंगे।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और मंदिर निर्माण ट्रस्ट के अनुसार इसके दोपहर एक बजे तक सम्पन्न होने की उम्मीद है। इसके बाद प्रधानमंत्री एक सभा को संबोधित करेंगे।
राम मंदिर का निर्माण और प्रबंधन कर रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य ने बताया, ”प्रधानमंत्री मंदिर निर्माण से जुड़े ‘श्रमजीवियों’ के साथ भी बातचीत करेंगे।”
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी कुबेर टीला भी जाएंगे, जहां एक प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है। वह वहां पूजा करेंगे।
मैसूर के अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई रामलला की नई 51 इंच की मूर्ति को पिछले बृहस्पतिवार को मंदिर के गर्भगृह में रखा गया था।
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मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से और निकास दक्षिण दिशा से होगा। मंदिर तीन मंजिला होगा। मुख्य मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालु पूर्वी दिशा से 32 सीढ़ियाँ चढ़ेंगे।
पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर 380 फीट लंबा (पूर्व-पश्चिम दिशा), 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें 392 खंभे और 44 द्वार होंगे।
राम मंदिर को फूलों और विशेष रोशनी से सजाया गया है और पूरा शहर धार्मिक उत्साह से सराबोर है। उपरिगामी सेतु (फ्लाईओवर) पर स्ट्रीटलाइट्स को भगवान राम की कलाकृतियों के साथ-साथ धनुष और तीर के कटआउट से सजाया गया है और सजावटी लैंपपोस्ट पारंपरिक ‘रामानंदी तिलक’ पर आधारित डिजाइन वाले हैं।
अयोध्या में जगह-जगह रामलीलाएं, भागवत कथाएं, भजन संध्याएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे हैं।
अयोध्या को फूलों से सजाया गया है। रविवार को लाउडस्पीकर पर ‘राम धुन’ बजाई गई और शहरवासी भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के रूप में सजे हुए सड़कों पर निकले और उनके पीछे-पीछे मंत्रमुग्ध भक्त भी शामिल हुए।
पुष्पों की सजावट और रोशनी में ‘जय श्री राम’ का चित्रण करने वाले औपचारिक द्वार शहर की आभा को बढ़ा रहे हैं।
प्राण प्रतिष्ठा का जश्न भारत के साथ-साथ 60 अन्य देशों में भी मनाए जाने की तैयारी है। अमेरिका से लेकर फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया तक विश्व हिंदू परिषद और हिंदू प्रवासी समूहों द्वारा कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी की गई है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह का टेलीविजन और ऑनलाइन मंचों के माध्यम से सीधा प्रसारण करने का पूरा बंदोबस्त किया गया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर 22 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने भी आधे दिन की छुट्टी का एलान किया है।
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राज्य सरकार इस बड़े दिन की तैयारी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और बहुस्तरीय सुरक्षा योजना के तहत शहर भर में पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कई दल भी तैनात किए गए हैं।
प्रशासन ने किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम किए हैं। कड़ाके की ठंड को देखते हुए शहर और जिला अस्पतालों और यहां के मेडिकल कॉलेज में बिस्तर आरक्षित किए गए हैं। एम्स के विशेषज्ञों ने डॉक्टरों को केंद्रित आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रशिक्षण दिया है।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित कुछ लोग रविवार को ही अयोध्या पहुंच गए। अन्य आमंत्रितों के सोमवार सुबह पहुंचने की उम्मीद है।
समारोह के आमंत्रित अतिथियों की सूची में सात हजार से अधिक लोग हैं। इस कार्यक्रम में आमंत्रित प्रमुख लोगों में बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन, उद्योगपति मुकेश अंबानी और गौतम अडाणी और दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर भी शामिल हैं।
प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने वालों में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े लोग भी शामिल हैं। समारोह में आमंत्रित लगभग सभी विपक्षी नेताओं ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है, कांग्रेस ने इसे ”भाजपा- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यक्रम” करार दिया है।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में नहीं आएंगे आडवाणी
करोड़ों लोगों के मन में काफी वक्त से सवाल था कि लाल कृष्ण आडवाणी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाएंगे या नहीं। अब फैसला हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी अत्यधिक ठंड के कारण राम मंदिर में ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं होंगे। बता दें कि आडवाणी राम मंदिर आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे जिन्होंने अयोध्या में मंदिर के निर्माण की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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