डॉ. विक्रम चौरसिया, नई दिल्ली। देश में बच्चे कितनी विकट स्थितियों से गुजर रहे हैं, इसका अंदाजा केवल कुपोषण और अशिक्षा के आंकड़ों से नहीं लगाया जा सकता। कुछ ऐसे मामले हैं जहां आंकड़े खामोश हो जाते हैं या फिर उनकी आवाज इतनी मद्धिम हो जाती है कि कुछ सुनाई नहीं देता। बच्चों का यौन शोषण ऐसा ही एक मामला है, बच्चों के अधिकार व बाल शोषण के विरुद्ध नेशनल एक्शन कोआर्डिनेशन ग्रुप के माध्यम से जागरूकता अभियान का आयोजन केंद्रीय दिल्ली के क्षेत्र में PECUC (पीपल्स कल्चरल सेंटर) के सहयोग से स्पिड संस्था द्वारा विभिन्न वर्गो जैसे आंगनवाड़ी व आशा वर्कर, अध्यापक, मीडिया, पुलिस व डॉक्टर आदि के साथ बाल शोषण के विरुद्ध सही व अधिक जानकारी हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर रही है।
इसी कड़ी में दिनांक 27 जुलाई 2022 को करोल बाग स्थित होटल हेरिटेज में मीडिया कर्मचारियों के साथ एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यशाला की शुरुआत अवधेश यादव (मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष-स्पिड) द्वारा कार्यशाला में उपस्थित सभी प्रतिभागियों व अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यशाला की कार्यसूची पर प्रकाश डालते हुए की गई। जिसके बाद सीडब्ल्यूसी के पूर्व मेंबर मोहम्मद मोहतमिम द्वारा कार्यशाला के विषय में बात करते हुए बताया गया कि बच्चों को पोक्सो एक्ट के विषय में अधिक से अधिक जानकारी देनी चाहिए तथा पोक्सो एक्ट के अनुसार कितने प्रकार के अपराध होते हैं यह भी बताया।
साथ ही इन्होंने अपने अनुभव के आधार पर यह भी साझा किया कि बच्चों को बाल यौन से संबंधित शिक्षा भी देनी चाहिए जिससे कि बच्चे बाल यौन जैसे विषयों पर अधिक जानकारी रख सकें वह अपने आप को मजबूत बना सकें। मो. मोहतमिम द्वारा निर्भया कांड के बाद बाल कानून में आए बदलाव के विषय में भी सभी के साथ साझा किया गया। मो. मोहतमिम के सत्र के बाद मीडिया प्रतिभागियों में से सवाल पूछा गया कि “क्या हमेशा लड़कियां ही पीड़ित होती है या लड़के भी पीड़ित हो सकते हैं?” जिसका जवाब देते हुए बताया गया कि बाल यौन शोषण के अंतर्गत लड़कियां ही नहीं बल्कि लड़के भी पीड़ित हो सकते हैं।
जिसके बाद अवधेश यादव ने एडवोकेट स्वाति रॉय का स्वागत करते हुए आग्रह किया जिसके बाद एडवोकेट रॉय ने भी पोक्सो एक्ट के बारे में बताते हुए साझा किया कि पोक्सो एक्ट के अनुसार यदि किसी बच्चे के साथ किसी प्रकार का शोषण होता है और यदि कोई व्यस्क व्यक्ति बच्चे के साथ शोषण होते हुए देख रहा है या बच्चे ने उस व्यक्ति को उसके साथ होने वाले शोषण के बारे में बताया है और यदि वह व्यक्ति उस बच्चे की सहायता ना करते हुए 24 घंटे के भीतर बच्चे के साथ हो रहे शोषण की जानकारी पुलिस में नहीं देता है तो वह व्यक्ति भी दोषी माना जाता है और उसके ऊपर कानूनी कार्यवाही की जाती है।
साथ ही एडवोकेट रॉय ने मीडिया साथियों को यह राय दी कि किसी भी बच्चे से संबंधित केस में रिपोर्टिंग करते हुए बच्चे की जानकारी मीडिया में अधिक साझा ना करें क्योंकि इससे उस बच्चे व परिवार पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता है। बल्कि बच्चे के साथ संवेदनशीलता अपनाते हुए बच्चे की गोपनीयता व गौरव को बनाए रखने पर अधिक बल देना चाहिए। जबकि रिपोर्ट लिखते समय आरोपी के विषय में अधिक से अधिक लिखना चाहिए जिससे कि पीड़ित बच्चे को जल्द से जल्द इंसाफ मिल सके। साथ ही एडवोकेट रॉय ने बाल शोषण के शिकार हुए बच्चों के लिए मिलने वाले कंपनसेशन आदि के विषय में भी मीडिया को जानकारी साझा की।
एडवोकेट स्वाति रॉय के सत्र के बाद मीडिया साथियों के द्वारा भी अनेकों सुझाव दिए गए व सवाल पूछे गए जैसे – मीडिया साथियों ने सुझाव दिया कि टीवी पर बहुत से विज्ञापन बार-बार दिए जाते हैं जोकि बच्चों पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं ऐसे विज्ञापन पर रोक लगाना चाहिए। अखबार में भी बहुत सी मॉडल की अधनंगी फोटो अधिक मात्रा में होती है जिससे भी बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और लड़कियों के साथ होने वाले शोषण को तो मीडिया में दिखाया जाता है परंतु लड़कों के साथ होने वाले शोषण को बहुत कम मीडिया में दिखाया जाता है। जबकि लड़कों के साथ होने वाले शोषण को भी दिखाना चाहिए जिससे कि लड़के भी उस पीड़ा के प्रति संवेदनशील हो सके।
जिसके बाद जावेद चौधरी (कोऑर्डिनेटर- NACG) ने वहां उपस्थित सभी मीडिया कर्मचारियों का तालियों के साथ अभिवादन करते हुए धन्यवाद किया कि सभी इतने ध्यान से इस कार्यशाला में अपनी भागीदारी दे रहे हैं, उन्होंने कहा कि उम्मीद है की इस कार्यशाला के पश्चात मीडिया के कर्मचारी बच्चों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए रिपोर्ट लिखने में जरूरी बदलाव करेंगे। अवधेश यादव ने चाइल्ड वेलफेयर कमिटी व चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी के विषय में अनुभव को साझा करते हुए बताया कि पिछली कार्यशाला के दौरान कुछ बच्चों ने साझा किया कि स्कूल में बने हुए सुझाव बॉक्स मुख्य अध्यापक के कक्ष के पास ऊंचाई पर नहीं लगा होना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे खुलकर सुझाव नहीं दे पाते।
कार्यशाला में बातचीत के दौरान यह भी बात की गई के भारत के न्यायालयों में बहुत से मामले लंबित है जिन का फैसला होने में काफी समय लग रहा है एवं हमें बाल यौन शोषण के विरुद्ध समाज को जागरूक करते हुए यह प्रयास करना है की सभी इस विषय पर शिक्षित हो व इसकी जानकारी रखें जिससे कि इस प्रकार के मामले धीरे धीरे समाज से समाप्त हो जाए। कार्यशाला के दौरान बच्चों से संबंधित उनके कानूनी अधिकार व बच्चों के लिए कार्य कर रही संस्थाएं जैसे CWC, DCPU, DCPCR, NCPCR, J.J. Act व POCSO Act व जरूरी हेल्पलाइन नंबर 1098, 112, 181 आदि के बारे में अधिक जानकारी हेतु चर्चा की गई।
अंत में अवधेश यादव ने कार्यशाला में उपस्थित सभी का धन्यवाद व्यक्त किया एवं एक नई उम्मीद की किरण की कामना की के आज की कार्यशाला से पत्रकार साथियों को रिपोर्ट लिखते समय बहुत सहायता मिलेगी एवं एक नई शुरुआत के साथ बच्चों के विषय पर संवेदनशीलता के साथ रिपोर्ट लिखने का ने नई प्रयास करेंगे।