अपोलो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स ने की 4000 से ज़्यादा मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी

कुमार संकल्प, कोलकाता। अपोलो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स, कोलकाता ने 4000 से ज़्यादा मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरीज़ (एमआईसीएस) सफलतापूर्वक पूरी करने की घोषणा की।एमआईसीएस हार्ट सर्जरीज़ के लिए नया विकल्प उपलब्ध हुआ है जिसमें मरीज़ों को कई लाभ मिलते हैं। पारंपरिक ओपन हार्ट सर्जरी में 8 से 10 इंच का चीरा लगाया जाता है, जब कि एमआईसीएस में मात्र 1.5 से 3 इंच का चीरा लगता है, एमआईसीएस में दर्द तो कम होता ही है, साथ ही शरीर पर निशान भी नहीं बचते। मरीज़ की तबियत जल्दी ठीक हो जाती है, सर्जरी के बाद अस्पताल में ज़्यादा दिनों तक नहीं रहना पड़ता और मरीज़ अपनी सामान्य ज़िन्दगी को जल्द से जल्द शुरू कर पाता है।

पहले के दिनों में, कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग, वाल्व की मरम्मत या उसे बदलने के लिए, ह्रदय में छेदों को बंद करने आदि के लिए पारंपरिक ओपन सर्जरी यह एकमात्र समाधान था। लेकिन अब मेडिकल साइंसेस में प्रगति के साथ, मिनिमली इनवेसिव बाईपास सर्जरी (एमआईसीएस सीएबीजी), एंडोस्कोपिक वीन और रेडियल आर्टरी हार्वेस्टिंग, एमआईसीएस एओर्टिक वाल्व, मिनिमली इनवेसिव मिट्रल वाल्व सर्जरी, कीहोल एएसडी क्लोजर और कोरोनरी बाईपास इन प्रक्रियाओं को एमआईसीएस का इस्तेमाल करते हुए किया जाता है।

इस कीहोल हार्ट सर्जरी को विशेष सर्जिकल उपकरणों का उपयोग करके किया जाता है। भारत में होने वाली सभी मौतों में से 14.5% मौतें दिल के दौरे की वजह से होती हैं और सीएबीजी या कीहोल बाईपास कोरोनरी धमनी बिमारियों से पीड़ित मरीज़ों के लिए एमआईसीएस सीएबीजी या कीहोल बाईपास एक समाधान के रूप में उभरा है। इन सर्जरीज़ को सफलतापूर्वक पूरा करने के बारे में उठाए जाने वाले संदेहों को एमआईसीएस के ज़रिए दूर किया गया है। यदि एमआईसीएस को हर जगह नियमित प्रैक्टिस के रूप में अपनाया जाता है, तो लोग एंजियोप्लास्टी के बजाय एमआईसीएस बाईपास पर विचार करेंगे और 14.5% का आंकड़ा निश्चित रूप से नीचे आ जाएगा।

और नियमित रूप से मल्टी-वेसल बाईपास मृत्यु दर जोखिम को काफी कम कर देगा। अपोलो मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल्स, कोलकाता के कार्डियो थोरैसिक और वैस्कुलर सर्जन, निदेशक डॉ सुशन मुखोपाध्याय ने कहा, “कई सकारात्मक पहलुओं की वजह से एमआईसीएस से मरीज़ों को कई बेजोड़ लाभ मिलते हैं। यह सुरक्षित, प्रभावी है और इसमें मरीज़ को काफी अच्छा आराम मिलता है। इस प्रक्रिया को चुनने वाले मरीज़ मात्र 2-3 सप्ताह के भीतर अपने काम फिर से शुरू कर सकते हैं और 3 महीने के भीतर सामान्य ज़िन्दगी जी सकते हैं, लेकिन अगर यही मरीज़ पारंपरिक प्रक्रिया का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें काम को फिर से शुरू करने के लिए 2-3 महीने और सामान्य ज़िन्दगी में लौटने के लिए 6 महीने लग सकते हैं।

इसमें मरीज़ को ज़्यादा दर्द और अपने काम का नुकसान नहीं सहना पड़ता। हम पिछले एक दशक से एमआईसीएस कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग कर रहे हैं और ऐसी 4,000 से अधिक सर्जरी कर चुके हैं।बाईपास, वाल्व को बदलने, दिल में छेदों को बंद करने, कार्डियक ट्यूमर को निकालने, पेस मेकर इम्प्लांटेशन और दूसरी सभी कार्डियक सर्जरी में से 95% एमआईसीएस के ज़रिए किया जा सकता है। जिन्हें दूसरी गंभीर बीमारियां भी हैं ऐसे 80-90 वर्ष से ऊपर की उम्र के बुजुर्ग मरीज़ों के लिए भी यह सुरक्षित है।

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