नागरी लिपि परिषद् के स्थापना दिवस के अवसर पर मनाया आजादी का अमृत महोत्सव

नई दिल्ली । आजादी के अमृत महोत्सव श्रंखला में नागरी लिपि परिषद् एवं गाँधी स्मृति एवं दर्शन समिति तथा समानार्थी हिंदी संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम विषय – “आजादी का अमृत महोत्सव लिपि और भाषा के संदर्भ में” द्वितीय सत्र के अंतर्गत विषय- “नागरी विमर्श एवं काव्य अभिव्यक्ति” में मुख्य वक्ता के रूप में मंतव्य व्यक्त करते हुए डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, मुख्य राष्ट्रीय महासचिव, महिला इकाई, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना, उज्जैन ने “नागरी लिपि का गौरव गान” कविता के अंतर्गत नागरी लिपि की‌ विशेषताएं गाते हुए सुंदर काव्यपाठ किया।

अध्यक्षीय भाषण में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के परीक्षक नियंत्रक, हिन्दी प्रेमीमंडल के सभा अध्यक्ष, चबाकुल रामकृष्ण राव, हैदराबाद ने काव्यपाठ करते हुए कहा :- “नागरी लिपि को विश्व में उचित स्थान प्राप्त हो, सभी भारतीय कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक हो।” डॉ. वेद प्रकाश गौड़ ने कहा :- “दिल से हिंदी अपनाएं। डॉ. पूर्ण सिंह डबास, ने कहा :- “भरी दोपहरी में चोर ताला तोड़ रहा।” हास्य व्यंग रचना का पाठ किया। डॉ. फतेह सिंह लोढ़ा, राजस्थान ने दूध पानी की मैत्री के माध्यम से भाव प्रगट किए।

डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव, उज्जैन ने कहा :- आज भी हर महानगरो में अंग्रेजी की मानसिकता दिखती है। अखिलेश ने उद्वोधन द्वारा विचार व्यक्त किए। काव्य पाठ द्वारा डॉ. संत ने कहा :- एक भाषा एक लिपि हमारी शान है।
राजीव पांडे, ओंकार त्रिपाठी “हिंदी संस्कार है पहचान है कहा।” स्मृति चौधरी ने गाया- “बिना हिंदी नहीं जीना”, भूपसिंह यादव, राजपाल यादव ने मरते दम तक हिंदी की सेवा करने का प्रण काव्य के माध्यम से लिया। अटल मुरादाबादी ने काव्य के माध्यम से बताया कि हिंदी सुंदर सरस भाषा है, ऋषि मुनियों की भाषा है। देवनागरी ज्ञानपुष्प से समृद्ध वैज्ञानिक है।

राहुल जी ने बताया कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी को भी उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा है कि, राष्ट्रभाषा हिंदी बने। प्रमिला कौशिक ने गाया – “गर्वित है मन हिंदी से”, उमाकांत खुवालकर ने गाया – “क्यूं खुलकर मिलते नहीं लोग।”, डॉ. जय जय राम, अरुण पाल जसाला ने हिंदी का गुणगान किया। शशि त्यागी ने कहा -“चलो दुनिया को हम बताऐं नागरी नई नहीं, ऊषा शर्मा, दिल्ली ने गाया -“भारत का गौरव गान हिन्दी”।, अरुण कुमार पासवान ने “75 साल आजादी अमृत महोत्सव” सार्थक, प्रासांगिक कविता सुनाई, सुरेश पाल वर्मा, जसाला, जीतेंद्र पांडे ने कविता में विनोवा भावे का स्मरण किया। दिनेश उपाध्याय आदि ने हिन्दी भाषा, नागरी लिपि और देश के लिए काव्यात्मक विचार और भावनाएं व्यक्त कीं।

सम्पूर्ण कार्यक्रम का संयोजन डॉ. हरिसिंह पाल, महामंत्री, नागरी लिपि परिषद् , दिल्ली ने उत्तम रुप से किया। शुरुआत में कार्यक्रम का संचालन आचार्य ओम प्रकाश ने संभाला बाद में डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद ने कार्यक्रम का संचालन किया और अंत में आचार्य ओम प्रकाश ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति डॉ. विनोद बब्बर, प्रो. प्रेम पतंजली, अध्यक्ष, नागरी लिपि परिषद्, दिल्ली, डॉ. शहाबुद्दीन नियाज़ मोहम्मद शेख, कार्यकारी अध्यक्ष, नागरी लिपि परिषद्, पुणे, महाराष्ट्र, की रही। अशोक कौशिक, दिल्ली, मोहित चौबे, गाजियाबाद, रश्मि श्रीवास्तव, संजय श्रीवास्तव, लखनऊ, राकेश छोकर, डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक आदि की गरिमामय उपस्थिति रही। कार्यक्रम में अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

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