ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम की अद्भुत विजय

किरण नांदगाँवकर, मध्यप्रदेश : इतिहास रचा जा चूका है!! जी हाँ!! इसे इतिहास रचना ही कहते हैं।ओलंपिक में अंततः भारत के युवा शेरों ने दहाडते हुए, जर्मनी को हराते हुए, हॉकी में चालीस वर्ष का सूखा खत्म करते हुए कांस्य पदक दिलवा कर ही दम लिया है। भारतीय हॉकी टीम की एक वक्त था जब दुनिया में तूती बोलती थी। मेजर ध्यानचंद हॉकी के जादूगर माने जाते थे। भारत की हॉकी में धाक इतनी थी की भारत को हॉकी में उस काल में हराना लगभग नामुमकिन सा था। जर्मनी के हिटलर ने ध्यानचंद को खरीदने की कोशिश की थी और उन्हें जर्मनी की सेना में उंचे पद का प्रस्ताव दिया था, लेकिन देश सर्वोपरि और देश प्रेम का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है।

ध्यानचंद ने हिटलर के इस हिटलरी प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। ऐसा रुतबा था उस वक्त हॉकी में भारत का। भारत की हॉकी उस समय स्वर्णिम दौर में थी और ध्यानचंद की कप्तानी में भारत ने 1928, 32 और 36 के ओलंपिक गोल्ड मेडल जीते। भारत यहीं नहीं रुका और उसके बाद भी 1948, 52, 56, 64 और 80 तक कुल 8 गोल्ड अपने नाम रिकॉर्ड के रुप में लिखवा दिए। लेकिन उसके बाद इस गोल्ड मेडलिस्ट भारतीय हॉकी को नज़र लग गई और भारतीय हॉकी टीम ओलंपिक में गोल्ड तो दूर एक अदद मेडल जितना तक भूल गई।

टोक्यो ओलंपिक में आज जब युवाओं ने फिर एक बार भारतीय हॉकी टीम के कप्तान को अपने शानदार प्रदर्शन से पोडियम पर पदक के लिए खड़ा कर दिया है, तो ऐसा प्रतित हो रहा है की भारत की हॉकी का वह स्वर्णिम काल फिर लौट आया है। एक लम्बे अरसे बाद भारत की हॉकी में एक दमदार टीम टर्फ पर नज़र आई है। इस युवा टीम ने पूरे ओलंपिक में इस बार दमदार हॉकी खेली है और देश के खेल प्रेमियों को खुश कर दिया है। न्यूजीलैंड, स्पेन, अर्जेंटीना, जापान, ग्रेट ब्रिटेन जैसी टीमों को इन युवा शेरों ने पानी पिलाया है।

ऑस्ट्रेलिया और बेल्जियम जैसी मजबूत टीमों से हारकर भी आज जर्मनी जैसी धाकड़ टीम के खिलाफ युवाओं ने 3-1से पिछडने के बाद भी जिस तरह वापसी की और 5-4 से जर्मनी को हराकर रुलाया वह जाहिर कर गया की भारत की यह युवा टीम आने वाले समय में भारतीय हॉकी की साख को फिर उस ऊंचाई तक ले जाने वाला है जिसके लिए भारतीय हॉकी पहले जानी जाती थी। बहुत बधाई, अभिनंदन इन युवा शेरों का।

आप टोक्यों से आईयें आप का देश पलक पावडे बिछाकर इंतजार कर रहा है। आप सभी ग्यारह (पूरी हॉकी टीम और स्टाफ) खूब मान-सम्मान और अभूतपूर्व स्वागत के हकदार है। तिरंगे की शान हॉकी में फिर लौटाने के लिए पुरी भारतीय हॉकी टीम को एक बड़ा सा सैल्यूट तो बनता है। जयहिद

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