अलीपुरद्वार। डोलोमाइट की धूल से व्यापक ‘प्रदूषण’ फ़ैल रहा है। इससे स्थानीय लोगों को सांस लेने में खासी परेशानी हो रही है। आरोप है कि अलीपुरद्वार जिले के बीरपाड़ा में यह समस्या एक-दो दिन नहीं बल्कि सालों से चल रही है। कथित तौर पर, डोलोमाइट ‘प्रदूषण’ से कुछ लोग सांस की समस्याओं से भी पीड़ित हैं। कई पेड़ नष्ट हो जाते हैं। उद्यान अधिकारियों ने कई बार शिकायत की है कि डोलोमाइट की उपस्थिति में चाय की पत्तियों की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। उसके बाद स्वाभाविक रूप से क्षेत्र में गुस्सा बढ़ रहा है क्योंकि इस प्रदूषण को रोकने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए हैं। हालांकि प्रशासन का दावा है कि इलाके में प्रदूषण नियंत्रण में है।
हर दिन सुबह होने से पहले भूटान हिल्स से डोलोमाइट से लदे वाहन बीरपारा के दलगांव रेलवे स्टेशन पर पहुंचते हैं। रेलवे सूत्रों के मुताबिक रात तक डोलोमाइट से लदे सैकड़ों वाहन दलगांव आ रहे हैं। वहां से डोलोमाइट मालगाड़ी द्वारा देश के विभिन्न भागों में जाता है। आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सुबह से रात तक डोलोमाइट की धुल हवा में उड़ती रहती है। जो चारों ओर फैल जाती है। मदारीहाट बीरपारा के प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारी देबज्योति चक्रवर्ती ने कहा, “जब डोलोमाइट की धूल शरीर में प्रवेश करती है, तो यह सांस की बीमारियों का कारण बनती है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता है। इसे सिलिकोसिस कहते हैं। यदि आप अधिक समय तक धूल भरे वातावरण में रहते हैं तो यह रोग हो सकता है।
इससे फेफड़ों में धूल जम जाती है। चर्म रोग, आँखों की समस्या हो सकती है।” वीरपारा में डोलोमाइट के प्रदूषण को रोकने के लिए तमाम सत्ता विरोधी दल कार्रवाई करते नजर आए हैं। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भी बीजेपी बार-बार दलगांव स्टेशन से डोलोमाइट लोडिंग को रोकने की मांग कर रही है। पार्टी के मदारीहाट विधायक मनोज तिग्गा ने कहा, ‘हम दलगांव स्टेशन पर डोलोमाइट की लोडिंग और अनलोडिंग रोकने के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। हमारे आंदोलन के चलते रेलवे इस लोडिंग-अनलोडिंग को मुजनई स्टेशन पर शिफ्ट करना चाहता है। लेकिन राज्य को इसके लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध करानी होगी।”