वाराणसी। अक्षय तृतीया पर बन रहे हैं 7 अद्भुत योग। अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 को है। हर साल अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदना काफी शुभ माना जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। अक्षय तृतीया को आखा तीज और अक्षय तीज के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य, सोना-चांदी खरीदना या फिर नए काम की शुरुआत के लिए अक्षय तृतीया तिथि सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस साल अक्षय तृतीया पर महासंयोग बन रहा है जो इस दिन के महत्व को कई गुना बढ़ा रहा है।
अक्षय तृतीया पर शुभ योग : अक्षय तृतीया के दिन अबूझ मुहूर्त रहता है यानी कि इस दिन बिना मुहूर्त देखे मांगलिक कार्य कर सकते हैं। पंचांग के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया पर 7 शुभ योग का महासंयोग बन रहा है। अक्षय तृतीया पर इन अति दुर्लभ योग के संयोग में पूजा और सोना-चांदी आदि की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी की सालभर कृपा बरसेगी।
आयुष्मान योग – 21 अप्रैल 2023, सुबह 11:00 – 22 अप्रैल 2023, सुबह 09:26
सौभाग्य योग – 22 अप्रैल 2023, सुबह 09:26 – 23 अप्रैल 2023, सुबह 08:22
त्रिपुष्कर योग – सुबह 05:49 – सुबह 07:49 (22 अप्रैल 2023)
सर्वार्थ सिद्धि योग – 22 अप्रैल 2023, सुबह 11.24 – 23 अप्रैल 2023, सुबह 05.48
रवि योग – 22 अप्रैल 2023, सुबह 11.24 – 23 अप्रैल 2023, सुबह 05.48
अमृत सिद्धि योग – 22 अप्रैल 2023, सुबह 11.24 – 23 अप्रैल 2023, सुबह 05.48
अक्षय तृतीया पर चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में होगा। ऐसे में इस दिन चांदी खरीदना बहुत शुभ फलदायी होगा। चांदी का हाथी, आभूषण खरीदने से घर में बरकत बनी रहेगी।
अक्षय तृतीया का मुहूर्त :
वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि शुरू – 22 अप्रैल 2023, सुबह 07.49
वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि समाप्त – 23 अप्रैल 2023, सुबह 07.47
पूजा मुहूर्त – सुबह 07.49 – दोपहर 12.20 (22 अप्रैल 2023)
सोना खरीदने का मुहूर्त – 22 अप्रैल 2023, सुबह 07.49 – 23 अप्रैल 2023, सुबह 07.47
अक्षय तृतीया का महत्व : अक्षय तृतीय के दिन ही सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। वृंदावन के श्री बांके बिहारीजी मंदिर में अक्षय तृतीया पर ही श्रीविग्रह के चरण-दर्शन होते हैं, पूरे साल ये वस्त्रों से ढंके रहते हैं। इसी दिन भगवान बद्रीनाथ के पट खुलते हैं और चार धाम यात्रा का आरंभ होता है। इस तिथि पर ही भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार लिया था। मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर कलश पूजन और जल से भरा कलश दान करने अक्षय फल प्राप्त होता है जिसका शुभ असर जीवनभर रहता है। सोना, चांदी, वाहन, भूमि खरिदना, निवेश करना, गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, नया व्यापार शुरू करने से सफलता मिलती है और खरीदी गई चीजों में वृद्धि होती है, मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848