कोलकाता। पश्चिम बंगाल के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति और मियाद वृद्धि का मामला आखिरकार लगातार दो दिनों तक बैठक के बाद सुलझा है। राजभवन कोलकाता में शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु और राज्यपाल डॉक्टर सी वी आनंद बोस ने सोमवार शाम को बैठक की थी। उसके बाद मंगलवार को भी एक बार फिर दोनों ने बैठकर मंथन किया। बाद में संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोस और बसु ने बताया कि कुलपतियों की नियुक्ति संबंधी समस्या का निपटान कर लिया गया है।
बताया गया है कि मंगलवार को बैठक में छह विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने कुलाधिपति के तौर पर राज्यपाल डॉ. आनंद बोस को अपना इस्तीफा सौंपा। राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और इन सभी को तीन महीने की कार्य अवधि विस्तार दिया गया है। इस दौरान सर्च कमिटी के गठन पर सहमति बनी है जो इन तमाम विश्वविद्यालयों में नए कुलपतियों की नियुक्ति के लिए आने वाले आवेदनों पर विचार कर उचित फैसला लेगी।
इसके अलावा कई अन्य कुलपतियों की कार्यावधि पूरी हो गई है। वे मंगलवार की बैठक में शामिल नहीं हो पाए थे। वे बुधवार को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपेंगे। उनका भी कार्य विस्तार किया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने कहा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर मैं राजभवन आया और राज्यपाल से इन मुद्दों पर चर्चा की। इसके बाद समाधान हुआ है।”
राज्यपाल और राजभवन के बीच हालिया विवाद के बारे में भी डॉ. बोस ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “शिक्षा के क्षेत्र में कोई टकराव नहीं है। बंगाल अपनी शिक्षा, संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। हम सभी को यह उपलब्धि बरकरार रखनी होगी। हमें एक दूसरे से तालमेल कर शिक्षा की प्रगति को बनाए रखने का प्रयास किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो उस लक्ष्य की प्राप्ति में शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति बहुत जरूरी है।