ममता के बाद भाजपा नेता राहुल सिन्हा के चुनाव प्रचार करने पर चुनाव आयोग ने लगाई रोक

कोलकाता। Bengal Election : निर्वाचन आयोग ने भाजपा नेता राहुल सिन्हा की कथित टिप्पणी के लिए उनके चुनाव प्रचार करने पर मंगलवार को 48 घंटे की रोक लगाते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी मानव जीवन का उपहास उड़ाने वाली और बेहद भड़काऊ थी। इससे पहले उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनाव प्रचार करने पर रोक लगाई थी।

आयोग ने सिन्हा के बयान की कड़ी निंदा की जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था कि विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले के सीतलकूची में केंद्रीय सुरक्षा बलों को चार लोगों के बजाय आठ लोगों की हत्या कर देनी चाहिए थी।

निर्वाचन आयोग ने कहा, ‘‘मानव जीवन का उपहास उड़ाते हुए उन्होंने बेहद भड़काऊ टिप्पणी की और बलों को भड़काने का काम किया जिससे कानून-व्यवस्था के गंभीर नतीजे हो सकते हैं।’’ निर्वाचन आयोग ने भाजपा नेता की टिप्पणी को आदर्श आचार संहिता और जन प्रतिनिधित्व कानून के विभिन्न प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता की धाराओं का उल्लंघन बताया है।

निर्वाचन आयोग के आदेश के अनुसार सिन्हा पर यह पाबंदी 13 अप्रैल मंगलवार दोपहर 12 बजे से शुरू होगी और 15 अप्रैल को दोपहर 12 बजे यानी 48 घंटे तक बनी रहेगी। आयोग ने कहा कि उसने मामले की गंभीरता को देखते हुए सिन्हा को बिना कोई नोटिस जारी किए आदेश जारी किया है।

आदेश में घटना के बाद सिन्हा के बयान का जिक्र किया गया है, ‘‘केंद्रीय बलों को उन्हें मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए। अगर वे फिर से ऐसा करते हैं तो फिर उसी तरह कड़ाई से निपटना चाहिए। केंद्रीय बलों को सीतलकूची में चार के बजाए आठ लोगों को मारना चाहिए था। केंद्रीय बलों को एक कारण बताओ नोटिस जारी होना चाहिए कि उन्होंने केवल चार लोगों को क्यों मारा।’’

आदेश के अनुसार, ‘‘निर्वाचन आयोग भाजपा नेता राहुल सिन्हा के उपरोक्त बयानों की निंदा करता है और उन्हें आगे चुनाव आचार संहिता लागू रहने के दौरान सार्वजनिक रूप से ऐसे बयान नहीं देने की चेतावनी देता है।’’

शुभेंदु को लगाई फटकार : आयोग ने एक अन्य आदेश में भाजपा के नंदीग्राम से उम्मीदवार शुभेंदु अधिकारी को इस बयान के लिए डांट लगाई कि ‘‘लोगों ने अगर बेगम को वोट दिया तो यहां मिनी पाकिस्तान बन जाएगा।’’ लेकिन निर्वाचन आयोग ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की।

आयोग ने जारी आदेश में कहा, ‘‘आयोग शुभेंदु अधिकारी को चेतावनी और सलाह देता है कि जब तक आदर्श आचार संहिता लागू है तब तक इस तरह की टिप्पणी से बचें। ’’आयोग ने पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष के एक बयान को लेकर उन्हें नोटिस भेजा है जिसमें घोष ने कथित रूप से कहा था कि ‘‘सीतलकूची जैसी घटना की पुनरावृत्ति अनेक स्थानों पर होगी’’।

आयोग ने घोष को नोटिस का जवाब देने और इन टिप्पणियों पर अपना रूख स्पष्ट करने के लिए बुधवार सुबह दस बजे तक का समय दिया है।

नोटिस में कहा गया है कि आयोग का ऐसा मानना है कि दिलीप घोष ने आचार संहिता के विभिन्न उपबंधों, जन प्रतिनिधि कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए ‘‘ऐसे बयान दिए जो उकसावे वाले हैं और भावनाओं को भड़का सकते हैं।’’

नोटिस के मुताबिक, ‘‘इससे कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है और चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।’’

निर्वाचन आयोग से घोष की शिकायत तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई थी।

नोटिस में घोष की उस कथित टिप्पणी का जिक्र है, जिसमें कहा गया था, ‘‘यदि कोई अपनी सीमाओं को पार करेगा तो आपने देखा ही है कि सीतलकूची में क्या हुआ। सीतलकूची जैसी घटना कई स्थानों पर होगी।’’

उल्लेखनीय है कि घोष ने रविवार को कहा था कि यदि ‘‘सीतलकूची में मारे गए दुष्ट लड़कों की तरह’’ किसी ने कानून हाथ में लेने का प्रयास किया तो विधानसभा चुनावों के अगले चरण में भी कूचबिहार की तरह हत्याएं हो सकती हैं।

उत्तर 24 परगना जिले के बारानगर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि जिन दुष्ट लड़कों ने समझ रखा था कि केंद्रीय बलों की राइफलें चुनावी ड्यूटी के दौरान केवल दिखावे के लिए हैं, ऐसे लोग सीतलकूची की घटना देखने के बाद यह गलती दुहराने का साहस नहीं करेंगे।

सीतलकूची विधानसभा क्षेत्र में शनिवार को चौथे चरण के मतदान के दौरान सीआईएसएफ के जवानों से कुछ लोगों द्वारा ‘‘राइफलें छीनने का प्रयास’’ करने के बाद केंद्रीय बल ने गोलीबारी की जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।

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