चमोली। उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में ज़मीन धंसने की वजह से क्षतिग्रस्त घरों की संख्या 723 हो गयी है। इसके साथ ही असुरक्षित करार दिए गए क्षेत्र में पड़ने वाले घरों की संख्या 86 हो गयी है। केंद्र से लेकर राज्य सरकार की संस्थाएं जोशीमठ संकट से उबरने की कोशिशों में लगी हुई हैं लेकिन इसी बीच उत्तराखंड के दूसरे इलाकों में ज़मीन धंसने की खबरें आना शुरू हो गयी हैं। जोशीमठ से कुछ 82 किलोमीटर दूर चमोली जिले के दक्षिण पश्चिम में स्थित कर्णप्रयाग में भी घरों के दरकने की बात सामने आई है।
अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, अलकनंदा और पिंडर नदी के संगम पर बसे इस शहर के कुछ घरों में दरारें इतनी गहरी हो गयी हैं कि यहां रह रहे दर्जनों परिवारों को नगरपालिका परिषद की ओर से बनाए गए राहत शिविर में रात गुज़ारनी पड़ रही है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की टीम ने इस इलाके का दौरा करते हुए पाया है कि बद्रीनाथ हाइवे के करीब स्थित कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में दो दर्जन घरों में गहरी दरारें आ गयी हैं और छतें हवा में लटक रही हैं। साल 1975 से यहां रह रहे पूर्व सैनिक गब्बर सिंह रावत कहते हैं, ‘मेरा घर ढहने की कगार पर है। ये घर जिन खंभों पर टिका है, वे झुकने लगे हैं और पिछले साल हुई बारिश के बाद ये समस्या तेज़ी से बढ़ी है।’