कोलकाता। बंगाल में शिक्षकों की नियुक्ति के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक बल (West Bengal National Volunteer Force-NVF) की नियुक्ति में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। कहा गया है कि जीवित व्यक्ति को मृत बताकर परिजनों की जगह अज्ञात लोगों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक बल में भर्ती किया गया है। घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी। भाजपा विधायक अंबिका राय द्वारा दायर एक जनहित याचिका में एक दशक में एनवीएफ में अवैध भर्ती के कई मामलों का आरोप लगाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि भर्ती के लिए इस्तेमाल किए गए डेथ सर्टिफिकेट, वोटर कार्ड, आधार कार्ड सभी फर्जी हैं। झारग्राम जिले के शिरसी में राज्य में पहली बार इस तरह की घटना हुई है। शिरसी निवासी एनवीएफ के पूर्व कर्मचारी धृतिभानु पाल ने 2018 में जिला प्रशासन से शिकायत की थी कि एक महिला ने उनकी बेटी बनकर मरा हुआ बताकर डाई इन हार्नेस में नौकरी हासिल की थी। यहां तक कि उनका फर्जी डेथ सर्टिफिकेट भी निकाल लिया गया।
2020 में भी मामले सामने आए थे
इस संदर्भ में दायर जनहित याचिका में वकील तरुणज्योति तिवारी ने कहा कि 2020 में पश्चिम मेदिनीपुर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने एनवीएफ निदेशालय कल्याणी के उप राज्य कमांडेंट एवं जांच अधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि प्रामाणिकता महिला के किसी भी दस्तावेज, जिसे स्वयं धृतिभानु की पुत्री के रूप में प्रस्तुत किया गया था, की जिला खुफिया ब्यूरो (डीआईबी) के संबंधित निरीक्षक द्वारा ठीक से जांच नहीं की गई थी। एसपी ने उस दरोगा के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा भी की थी।
तरुणज्योति ने यह भी कहा कि ऐसे मामले भी देखे गए हैं जहां फर्जी परीक्षार्थी की शैक्षणिक योग्यता या संबंधित नगर पालिका द्वारा दिया गया चरित्र प्रमाण पत्र भी फर्जी है। इस संदर्भ में तरुणज्योति तिवारी ने कहा कि अदालत में पेश मामले में दस्तावेजी साक्ष्य के साथ ऐसी कई घटनाओं का जिक्र किया गया है. इस संदर्भ में एनवीएफ के स्टेट कमांडेंट कुणाल अग्रवाल ने कहा कि मैंने हाल ही में यह पद ज्वाइन किया है। मामले को देखा जाना चाहिए।