रेलवे सुरक्षा बल (RPF) कर्मियों में मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान

संवाद सूत्र, कोलकाता : रेलवे सुरक्षा बल (RPF) भारतीय रेलवे की एक महत्वपूर्ण शाखा है, जो रेलवे परिसर की सुरक्षा, यात्रियों की सुरक्षा, और मालवाहन के सुरक्षा कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाती है। RPF कर्मियों का कार्य अत्यधिक जिम्मेदार, तनावपूर्ण और कभी-कभी जोखिमपूर्ण होता है, क्योंकि उन्हें अपनी ड्यूटी में न केवल यात्री सुरक्षा का ध्यान रखना होता है, बल्कि समय पर अपराधों की रोकथाम और समाधान भी करना होता है।

ऐसे में RPF कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है, जो उनके कार्य प्रदर्शन और व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर सकता है। इस लेख में हम RPF कर्मियों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को समझने और उनके समाधान के उपायों पर चर्चा करेंगे।

  • मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालने वाले कारक :-

      RPF कर्मियों को अनेक प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इनमें प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

Addressing mental health challenges among Railway Protection Force (RPF) personnel
AI Generated File Photo (Magic Studio)

अत्यधिक कार्यभार और तनाव :-

RPF कर्मियों को अक्सर लंबे समय तक कार्य करना पड़ता है, जो शारीरिक और मानसिक थकान का कारण बनता है। उन्हें लगातार सतर्क रहना होता है, विशेष रूप से रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में। कार्य की जिम्मेदारी, आकस्मिक घटनाओं का सामना और कभी-कभी जोखिमपूर्ण कार्य स्थितियां मानसिक दबाव को बढ़ा देती हैं। यह तनाव बाद में चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक विकारों में परिणत हो सकता है।

उनके कार्य समय का स्वरूप अनियमित होता है, जिससे नींद की कमी एवं शारीरिक थकावट हो सकती है। ऐसी स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से रेसुब कर्मी प्रायः जूझते हुए विपरीत परिस्थितियों मे व असामंजस्यपूर्ण वातावरण में काम करते हैं, जो चिन्ता और मानसिक थकावट को बढ़ा सकता है।’

अधिकांश रेसुब अधिकारी व जवान  उन स्थानों पर काम करते हैं, जो अलग-थलग या दूरस्थ होते हैं, जहां परिवार या सामाजिक समर्थन प्रणाली तक पहुंच कठिन हो जाती है। इससे अकेलापन और मानसिक तनाव बढ़ जाता है।

चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना :-

रेसुब कर्मियों को अक्सर ऐसे जोखिमपूर्ण हालातों में काम करना पड़ता है, जिनमें अपराधियों से संघर्ष, दुर्घटनाओं की स्थिति या रेलवे में विभिन्न आपातकालीन स्थितियों से निपटना शामिल है। इन घटनाओं का सामना करने से मानसिक आघात हो सकता है, जो PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder (अभिघातजन्य तनाव विकार) जैसी समस्याओं का जनक बन सकता है। यह स्थिति उनके मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

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परिवार और व्यक्तिगत जीवन में तनाव :-

रेसुब कर्मियों की ड्यूटी अक्सर रात्रि में होती है, जिससे उनके पारिवारिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक घर से दूर रहने, परिवार के सदस्य से संपर्क न हो पाना, और सामाजिक जीवन में भागीदारी की कमी से तनाव और अकेलापन बढ़ सकता है। यह व्यक्तिगत जीवन में असंतुलन पैदा करता है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर डालता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव :-

रेसुब कर्मियों को समाज में एक विशेष जिम्मेदारी की भावना के साथ कार्य करना पड़ता है। इसके साथ ही, उनकी ड्यूटी की कठिनाइयाँ और खतरनाक स्थितियों के चलते कई बार उन्हें सामाजिक दबाव और आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। ये दबाव मानसिक तनाव का कारण बन सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षण :-

रेसुब कर्मियों में मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के विभिन्न लक्षण हो सकते हैं, जो उनके कामकाजी और व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करते हैं। कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

अवसाद (Depression):

अत्यधिक तनाव, अकेलापन और चिंता के कारण रेसुब कर्मियों में अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति में उदासी, निराशा, और उत्साह की कमी महसूस होती है।

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चिंता और भय (Anxiety):

रेसुब कर्मियों को जोखिमपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनमें चिंता और भय की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

नींद की समस्याएं:-

काम के दबाव और तनाव के कारण रेसुब कर्मियों को नींद से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- अनिद्रा (Insomnia) या नींद का अत्यधिक आना।

मनोदशा में बदलाव:-

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण, व्यक्ति के मिजाज में तीव्र बदलाव देखे जा सकते हैं, जैसे अत्यधिक गुस्सा या घबराहट का होना।

शारीरिक समस्याएं:-

मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं शारीरिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डाल सकती हैं, जैसे सिरदर्द, पेट की समस्याएं, और शारीरिक थकान।

  •  मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के उपाय :-

रेसुब कर्मियों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। इसमें मानसिक, शारीरिक और सामाजिक पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। निम्नलिखित उपायों से रेसुब कर्मियों की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हो सकता है:

मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम :-

रेसुब कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए जागरूकता अभियान चलाना अत्यंत आवश्यक है। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों, उनके कारणों और समाधान के तरीकों के बारे में शिक्षा दी जानी चाहिए। इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से कर्मियों को यह समझाया जा सकता है कि मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य की तरह महत्वपूर्ण है और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य परामर्श सेवा :-

रेसुब कर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य परामर्श (counseling) सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए। इसके लिए प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम को नियुक्त किया जा सकता है, जो कर्मियों की मानसिक स्थिति को समझ कर उन्हें उचित मार्गदर्शन और उपचार प्रदान कर सकें। इसके माध्यम से कर्मी अपनी समस्याओं को खुलकर व्यक्त कर सकते हैं और मानसिक तनाव को कम करने के उपाय सीख सकते हैं।

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कार्यस्थल पर समर्थन और सहयोग:-

रेसुब में कार्यस्थल पर एक सहयोगात्मक वातावरण होना चाहिए, जहां कर्मियों को एक-दूसरे से मानसिक और भावनात्मक समर्थन मिल सके। इसके लिए सहकर्मी सहायता कार्यक्रम बेहद प्रभावी हो सकते हैं। इसमें अधिकारी एक दूसरे से जुड़ सकते हैं और अपनी समस्याओं को साझा कर सकते हैं। इससे कार्य का दबाव कम होगा और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। वरिष्ठ अधिकारियों को भी कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का ध्यान रखना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें विश्राम या छुट्टी प्रदान करनी चाहिए। इस तरह से इस समस्या को हल कर सकते हैं।

शारीरिक स्वास्थ्य और फिटनेस:-

शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। रेसुब कर्मियों को नियमित शारीरिक व्यायाम और फिटनेस कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है और उन्हें मानसिक रूप से सशक्त बनाता है।

छुट्टियां और कार्य का संतुलन:-

रेसुब कर्मियों को पर्याप्त छुट्टियां दी जानी चाहिए ताकि वे अपने परिवार के साथ समय बिता सकें और कार्य के दबाव से बाहर निकल सकें। इसके साथ ही, उनकी ड्यूटी का समय भी संतुलित किया जाना चाहिए, ताकि लंबे समय तक लगातार काम न करना पड़े और मानसिक थकान न हो।

  • परिवारों के लिए समर्थन कार्यक्रम:-

रेसुब कर्मियों के परिवारों के लिए भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं, ताकि वे समझ सकें कि उनके परिवार के सदस्य मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। परिवार का समर्थन मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके लिए परिवारों को मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन, और चिंता से निपटने के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया जा सकता है।

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पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य सहायता:-

यदि किसी रेसुब कर्मी को गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं, तो उन्हें पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य सहायता की आवश्यकता हो सकती है। इसमें मनोवैज्ञानिक, मानसिक चिकित्सक और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से उपचार और परामर्श प्राप्त किया जा सकता है।

गोपनीयता एवं सहायता सेवाओं की सुलभता:-

मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभ बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कर्मचारियों को बिना किसी डर के मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्राप्त करने के लिए वातावरण तैयार किया जाना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य समर्थन प्रणालियों को पारदर्शी, सुरक्षित और विश्वसनीय बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा कर्मचारियों के लिए गोपनीय हेल्पलाइन या ऑनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध कराया जा सकता है, जहां वे अपनी पहचान का खुलासा किए बिना सहायता प्राप्त कर सकें। इससे उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के लिए समर्थन प्राप्त करने में अधिक आत्मविश्वास मिलेगा।

  • निष्कर्ष:-

रेसुब कर्मियों का मानसिक स्वास्थ्य उनकी कार्यक्षमता और जीवन की गुणवत्ता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें लगातार तनाव, जोखिमपूर्ण स्थितियों और शारीरिक-मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

इन समस्याओं के समाधान के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता, समर्थन सेवाएं, शारीरिक स्वास्थ्य, और संतुलित कार्य-जीवन शैली पर ध्यान देना आवश्यक है। यदि इन उपायों को प्रभावी तरीके से लागू किया जाए, तो रेसुब कर्मियों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है और वे अपनी कार्यक्षमता को अधिक बेहतर व प्रभावी तरीके से प्रस्तुत कर सकते हैं।

Addressing mental health challenges among Railway Protection Force (RPF) personnel
डॉ. ए. एन. झा , महानिरीक्षक-सह-डाइरेक्ट/रेसुब क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान, दक्षिण पूर्व रेल, खड़गपुर

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