मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी । आजकल घरों में सुंदर-सुंदर ड्रेसिंग कक्ष शयन कक्ष से लगकर बनाया जाता है! ड्रेसिंग कक्ष में दक्षिण और पश्चिम की दीवाल आलमारी बनाने के लिए उपयुक्त होता है!
कैश और कपड़े की आलमारी को हमेशा दक्षिण या पश्चिम की दीवाल पर रखने का विधान है।
जब दक्षिण में आलमारी रहेगी तब उत्तर दिशा की ओर आलमारी खुलेगी जो कि शुभदायक है। इसी तरह आलमारी की खुलने की दिशा पूर्व होती है यह तभी सम्भव है जब आलमारी कमरे के पश्चिम की दीवाल पर बनाई जाएगी।
एक और सिद्धांत है वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर और पूर्व की दीवाल को हल्का और दक्षिण और पश्चिम की दीवाल को भारी रखने का विधान है। आलमारी दक्षिण या पश्चिम में रखने से इस नियम का भी पालन हो जाता है।
उत्तर और पूर्व सकारात्मक ऊर्जा के सबसे बड़े स्त्रोत माने जाते हैं इसलिए उत्तर और पूर्व में कोई अवरोध नही होना चाहिए।
दक्षिण और पश्चिम दिशा नकारात्मक ऊर्जा के वाहक माने गए हैं इसलिए दक्षिण और पश्चिम दिशा में बड़े-बड़े अवरोध खड़े किए जाते हैं।
आजकल आलमारी के साथ ही साथ ड्रेसिंग टेबल भी बनाने का प्रचलन है, लेकिन दर्पण को दक्षिण या पश्चिम दीवाल पर नही लगाया जाता। इसलिए जब भी ड्रेसिंग टेबल बनाया जाए तब उसे पूर्व या उत्तर की दीवाल पर बनाना चाहिए।
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जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
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