बैलेट पेपर व वीवीपीएटी पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

बैलेट पेपर से चुनाव कराने व वीवीपीएटी स्लिप की 100 प्रतिशत क्रॉस चेकिंग का चैप्टर दि एंड- सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज की
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के दिन, सुप्रीम कोर्ट में बैलेट पेपर वीवीपीएटी शत प्रतिशत मिलन की मांग को झटका लगा, पर फैसले का सम्मान होगा- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में ऐसा भी एक जमाना था जब हम बैलेट पेपर के द्वारा अपना वोट देते थे। यानें अपने मनपसंद उम्मीदवार और उसके चुनाव चिन्ह पर ठप्पा लगाते थे। इस व्यवस्था के दुष्प्रभाव में हमने दूरदर्शन व अन्य चैनलों पर बूथ कैपचरिंग सहित बैलेट पेपरों पर धड़ाधड़ ठप्पे लगाते पेटी में डालते हुए भी चैनलों में देखे थे तथा लाइनों में खड़े मतदाताओं को भगा दिया जाता था। यह भी मैंने चैनलों पर स्वयं देख था। फिर समय का चक्कर ऐसा चला कि प्रौद्योगिकी का तेजी के साथ विकास हुआ तो मतदान में बैलेट पेपर से हटकर ईवीएम मशीनों का उपयोग कर दिया जाने लगा। फिर हमने ईवीएम की गड़बड़ियों के बारे में भी अनेक आरोप प्रत्यारोप मीडिया में देखे व सुने फिर वीवीपीएटी आया, जिसमें हम देख सकते हैं कि वोट हमारे पसंदीदा उम्मीदवार को गया या नहीं, जो मैंने स्वयं ने भी 19 अप्रैल 2024 को मतदान के दौरान यह देखा।

फिर इसकी पर्चियों का 100 प्रतिशत क्रॉस वेरिफिकेशन का मुद्दा आया यह सभी मुद्दे विवादों में घिरते हुए सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक जा पहुंचे, जिसमें माननीय सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रखा था, जो दिनांक 26 अप्रैल 2024 को माननीय दो जजों की बेंच ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने व वीवीपीएटी स्लिपों की 100 प्रतिशत क्रॉस चेकिंग की याचिका को खारिज कर दिया जिसका चैप्टर अब दि एंड हो गया है। चूंकि बैलेट पेपर व एवं वीवीपीएटी पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आज आया है, इसीलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के दिन सुप्रीम कोर्ट ने बैलेट पेपर व एवं वीवीपीएटी का शतप्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है, परंतु फैसले का सम्मान सभी पक्ष करेंगे।

साथियों बात अगर हम दिनांक 26 अप्रैल 2024 को आए माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले की करें तो, लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की मांग को लेकर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। बैलेट पेपर की मांग को लेकर दर्ज याचिका भी खारिज कर दी गई है। कोर्ट के इस फैसले से ईवीएम के जरिए डाले गए वोट की वीवीपैट की पर्चियों से शत-प्रतिशत मिलान की मांग को झटका लगा है। एससी ने साफ कर दिया है कि देश में बैलेट पेपर से वोटिंग का दौर वापस नहीं आएगा। यानें मतदान तो ईवीएम से ही होगा, इसके साथ ही वीवीपैट से 100 फीसदी पर्ची मिलान भी नहीं होगा। हालांकि, ईवीएम 45 दिनों तक सुरक्षित रहेगी और अगर नतीजों के बाद 7 दिनों के भीतर शिकायत की जाती है तो जांच कराई जाएगी। एससी ने इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। माननीय जस्टिसने कहा, हमने सभी याचिकाओं को खारिज किया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सील कर सुरक्षित किया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि उम्मीदवारों के पास परिणामों की घोषणा के बाद टेक्निकल की एक टीम द्वारा ईवीएम के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा, जिसे चुनाव की घोषणा के 7 दिनों के भीतर किया जा सकेगा।वोटिंग पर्चियों की गिनती पर कोर्ट ने कहा, सिंबल लोडिंग यूनिट्स के पूरा होने पर कंटेनर में सील कर दिया जाएगा, इस पर उम्मीदवारों के हस्ताक्षर होंगे और नतीजे घोषित होने के बाद 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाएगा।

साथियों बात अगर हम माननीय कोर्ट में चुनाव आयोग द्वारा रखे गए पक्ष की करें तो, चुनाव आयोग के अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि एक वोटिंग यूनिट में एक बैलट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और एक वीवीपीएटी यूनिट होती है। सभी यूनिट में अपना-अपना माइक्रो कंट्रोलर होता है। इन कंट्रोलर से छेड़छाड़ नहीं हो सकती। सभी माइक्रो कंट्रोलर में सिर्फ एक ही बार प्रोग्राम फीड किया जा सकता है। चुनाव चिह्न अपलोड करने के लिए हमारे पास दो मैन्युफैक्चर हैं, एक ईसीआई है और दूसरा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स। चुनाव आयोग ने बताया कि सभी ईवीएम 45 दिन तक स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखी जाती हैं। उसके बाद रजिस्ट्रार, इलेक्शन कमीशन से इस बात की पुष्टि की जाती है कि क्या चुनाव को लेकर कोई याचिका तो दायर नहीं हुई है।अगर अर्जी दायर नहीं होती है तो स्ट्रॉन्ग रूम को खोला जाता। कोई याचिका दायर होने की सूरत में स्ट्रॉन्ग रूम को सीलबन्द रखा जाता है। बुधवार को एससी ने कहा था कि अदालत चुनाव की नियंत्रण अथॉरिटी नहीं हैं। अदालत ने ईवीएम मुद्दे पर दो बार दखल दिया है। बेंच ने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले वीवीपीएटी पर दो आदेश जारी किए हैं, जो एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है और मतदाताओं को यह देखने में सक्षम बनाती है कि उनके वोट सही ढंग से दर्ज किए गए हैं या नहीं। कोर्ट ने कहा, एक आदेश तब पारित किया गया था जब अदालत ने चुनावों के दौरान वीवीपैट के उपयोग का आदेश दिया था और दूसरा आदेश तब पारित किया गया था जब अदालत ने निर्देश दिया था कि वीवीपैट का उपयोग एक से बढ़ाकर पांच बूथों तक किया जाना चाहिए। अब आप सभी चाहते हैं कि हम मतपत्रों पर वापस जाने के लिए निर्देश जारी करें। बेंच ने कहा, यदि जरूरी हुआ तो वो मौजूदा ईवीएम सिस्टम को मजबूत करने के लिए निर्देश पारित कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2019 में चुनाव आयोग से कहा था कि किसी संसदीय क्षेत्र में प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम के साथ वीवीपैट की संख्या एक से बढ़ाकर पांच कर दी जाए।

साथियों बात अगर हम इस केस और फैसले के असर को सभी पक्षकारों के नजरिए से समझने की कोशिश करें तो, केस और फैसले के असर को इन सभी पक्षों के नजरिए से समझते हैं
(1) आम आदमी यानी मतदाता सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आम आदमी की वोट देने की प्रोसेस में कोई बदलाव नहीं होगा। वोटर पोलिंग बूथ जाएगा। अंगुली पर स्याही लगेगी। चुनाव अधिकारी कंट्रोल यूनिट का बटन दबाएगा। वोटर बैलट यूनिट में कैंडिडेट के नाम के सामने का बटन दबाएगा और फिर कुछ सेकेंड तक वीवीपैट की लाइट में अपनी पर्ची देख सकेगा।

(2) फैसले के बाद राजनीतिक पार्टियां और कैंडिडेट्स के लिए एक रास्ता खुला है। वे ईवीएम की जांच करवा सकेंगे। इसे नीचे दिए पॉइंट्स से समझिए। दूसरे या तीसरे नंबर पर आने वाले किसी कैंडिडेट को शक है तो वह रिजल्ट घोषित होने के 7 दिन के भीतर शिकायत कर सकता है।शिकायत के बाद ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स इसकी जांच करेंगे। किसी भी लोकसभा क्षेत्र में शामिल विधानसभा क्षेत्रवार की कुल ईवीएम में से 5 प्रतिशत मशीनों की जांच हो सकेगी। इन 5 प्रतिशत ईवीएम को शिकायत करने वाला प्रत्याशी या उसका प्रतिनिधि चुनेगा।इस जांच का खर्च कैंडिडेट को ही उठाना होगा। चुनाव आयोग ने बताया- जांच की समय सीमा और खर्च को लेकर जल्द ही जानकारी शेयर की जाएगी। जांच के बाद अगर ये साबित होता है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है तो शिकायत करने वाले कैंडिडेट को जांच का पूरा खर्च लौटा दिया जाएगा।

(3) याचिकाकर्ता, उनकी सभी याचिकाएं खारिज हो गईं, लेकिन ईवीएम की जांच के आदेश से थोड़ी राहत मिली। एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश दिए, जिसमें कैंडिडेट्स के लिए शिकायत और फिर जांच की बात भी है। इसके बाद सभी याचिकाएं खारिज कर दी गई।

(4) चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 3 निर्देश दिए हैं।
(1) सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस यूनिट को सील कर दिया जाए। सील की गई यूनिट को 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में स्टोर किया जाए।
(2) इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव का परीक्षण कीजिए।
(3) यह भी देखिए कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है।

(5) सरकार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सरकार के लिए कोई निर्देश नहीं है।

साथियों बात अगर हम माननीय कोर्ट द्वारा केस के तह तक जाने के लिए सवालों की करें तो, इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से ईवीएम और वीवीपैट से जुड़े चार सवाल पूछे थे।
(1) कंट्रोल यूनिट या वीवीपैट में क्या माइक्रो कंट्रोलर स्थापित है?
(2) माइक्रो कंट्रोलर क्या एक ही बार प्रोग्राम करने योग्य है?
(3) ईवीएम में सिंबल लोडिंग यूनिट्स कितने उपलब्ध हैं?
(4) चुनाव याचिकाओं की सीमा 30 दिन है और इसलिए ईवीएम में डेटा 45 दिनों के लिए संग्रहीत किया जाता है. लेकिन एक्ट में इसे सुरक्षित रखने की सीमा 45 दिन है। पिछले कुछ वर्षों में चुनाव प्रणाली का हिस्सा रहने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन विवादों में हैं। इसकी विश्वसनीयता पर उठते सवालों के चलते लगातार चुनावी प्रक्रिया को भी कठघरे में खड़ा किया जाता रहा है लेकिन आज देश की सर्वोच्च अदालत ने ईवीएम विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया और वीवीपैट के ईवीएम से 100 फीसदी मिलान की मांग को खारिज कर दिया है। एक तरफ जहां सुप्रीम कोर्ट ने 100 प्रतिशत ईवीएम, वीवीपैट मिलान की याचिका खारिज की, तो दूसरी ओर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस ऐतिहासिक फैसले में चुनाव आयोग को भी कुछ सख्त आदेश दिए हैं और चुनाव सुधार को लेकर बयान दिया है।

साथियों बात अगर हम माननीय कोर्ट के दो महत्वपूर्ण निर्देशों की करें तो, पहला निर्देश यह है कि सिंबल लोडिंग प्रोसेस पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट को सील किया जाना चाहिए और इसे 45 दिन तक सुरक्षित रखा जाना चाहिए, नतीजे में दूसरे और तीसरे नंबर पर आए उम्मीदवार चाहें तो परिणाम आने के सात दिन के भीतर दोबारा जांच की मांग कर सकते हैं, ऐसी स्थिति में इंजीनियरों की एक टीम द्वारा माइक्रो कंट्रोलर की मेमोरी की जांच की जाएगी। जस्टिस महोदय ने कहा कि वीवीपैट वेरिफिकेशन का खर्चा उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा। यदि ईवीएम में गड़बड़ी पाई जाती है तो खर्च वापस कर दिया जाएगा। जस्टिस महोदय का कहना था कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर संदेह करना ठीक नहीं है। लोकतंत्र, सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाए रखने के बारे में है। विश्वास और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बैलेट पेपर व वीवीपीएटी पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला। बैलेट पेपर से चुनाव कराने व वीवीपीएटी स्लिप की 100 प्रतिशत क्रॉस चेकिंग का चैप्टर दि एंड-सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज की। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के दिन, सुप्रीम कोर्ट में बैलेट पेपर वीवीपीएटी शत प्रतिशत मिलन की मांग को झटका लगा, पर फैसले का सम्मान होगा।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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