वाराणसी। श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था तो वहीं श्रीराम का जन्म मध्याह्न में हुआ था। इसीलिए राम जी की पूजा मध्याह्न में और श्रीकृष्ण जी की पूजा मध्यरात्रि में विशेष मुहूर्त में की जाती है। दोनों की ही पूजा की विधि भी अलग-अलग है। आओ जानते हैं राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त और पूजा विधि। प्रतिवर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में राम नवमी यानी राम जन्मोत्सव मनाया जाता है। राम जी का जन्म इस बार कैलेंडर के अनुसार 17 अप्रैल 2024 बुधवार के दिन रहेगा।
नवमी तिथि प्रारम्भ : 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 01:23 बजे
नवमी तिथि समाप्त : 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 03:14 तक।
शुभ मुहूर्त 17 अप्रैल 2024 :
राम नवमी मध्याह्न मुहूर्त : सुबह 11:10 से दोपहर 01:43 के बीच।
राम नवमी अभिजीत मुहूर्त : इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है।
विजय मुहूर्त :
दोपहर 02:34 से 03:24 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:47 से 07:09 तक।
सायाह्न सन्ध्या : शाम 06:48 से रात्रि 07:56 तक।
रवि योग : पूरे दिन
रामनवमी की सरल पूजा विधि :
1. पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात: काल स्नान-ध्यान से निवृत हो भगवान का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं।
2. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने ईष्ट देव या जिसका भी पूजन कर रहे हैं उन देव या भगवान की मूर्ति या चित्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें। मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
3. पूजन में देवताओं के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए। देवताओं के लिए जलाए गए दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए।
4. फिर देवताओं के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। फिर उनकी आरती उतारें। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।
6. अंत में आरती करें। जिस भी देवी या देवता के तीज त्योहार पर या नित्य उनकी पूजा की जा रही है तो अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है।
7. श्रीराम के सबसे प्रिय पदार्थ धनिया पंजीरी, राम भोग, कलाकंद, खीर, बर्फी, गुलाब जामुन आदि को भोग और प्रसाद के रूप में तैयार करके पहले से ही रख लें।
8. पूजा के बाद घर की सबसे छोटी महिला अथवा लड़की को घर में सभी जनों के माथे पर तिलक लगाना चाहिए।
9. घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। अन्य ओर मुख करके पुजा न करें।
10. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है।
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848
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