वाराणसी। पुखराज एक बहुमूल्य रत्न होता है। बृहस्पति ग्रह से संबंधित रत्न, पुखराज को संस्कृत में पुष्पराग, हिन्दी में पुखराज कहा जाता है। चौबीस घंटे तक दूध में रखने पर यदि क्षीणता एवं फीकापन न आए तो असली होता है। पुखराज चिकना, चमकदार, शुद्ध पानीदार, पारदर्शी एवं व्यवस्थित किनारे वाला होता है। यह एल्युमिनियम और फ्लोरीन सहित सिलिकेट खनिज होता है जिसका रासायनिक सूत्र है- Al2SiO4(F,OH)2। स्पष्ट पारदर्शी (पानीदार) (यदि शुद्ध), नीला, भूरा, नार्म्गी, स्लेटी, पीला, हरा, गुलाबी और लालिमा गुलाब।
पुखराज पहनने के फायदे : पुखराज बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है इसलिए यह रत्न धारण करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
बृहस्पति की प्रतिकूल स्थिति के कारण जिनके विवाह में रुकावटे आ रही हैंं, उनके लिए पुखराज धारण करना फायदेमंद रहता है।
इस रत्न को धारण करने से कमजोर पाचन में भी फायदा मिलता है।
इसके अलावा आध्यात्मिक व धार्मिक विषयों में रुचि रखने वालों के लिए भी पुखराज फायदेमंद रहता है।
रत्न शास्त्र में मोटे तौर पर कुछ राशियों के लिए पुखराज को शुभ और कुछ के लिए अशुभ बताया गया है। फिर भी पुखराज या कोई भी रत्न पहनने से पहले अपनी कुंडली किसी विशेषज्ञ को दिखाकर सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।
रत्न शास्त्र के मुताबिक मेष, वृषभ, सिंह, धनु और मीन राशि के जातकों को पुखराज पहनने से कई लाभ हो सकते हैं।
वहीं मिथुन, कर्क और वृश्चिक राशि के लोग कुछ खास परिस्थितियों में पुखराज पहन सकते हैं।
लेकिन कन्या, तुला और कुंभ राशि के जातकों को गलती से भी पुखराज धारण नहीं करना चाहिए। इन लोगों के लिए पुखराज पहनना खुद मुसीबत को बुलावा देने जैसा है।
विशेष सूचना : आप बिना कुंडली समाधान के रत्न धारण नही करे बड़ा नुकसान हो सकता है! सावधान
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे।
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848
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