लोकसभा चुनाव प्रथम चरण 19 अप्रैल 2024 बनाम रामनवमी 17 अप्रैल 2024
लोकसभा चुनाव के बीच 17 अप्रैल 2024 रामनवमी पर देश को राममय बनाने की संभावना पर चुनाव आयोग की कड़ी नजर सराहनीय- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां में 22 जनवरी 2024 को प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का महापर्व देखा और करोड़ों भक्त गणों का रुझान आध्यात्मिक आस्था के प्रति पूरी दुनियां ने देखा जो राममय में सराबोर हो गए राजनीतिक विशेषज्ञों को आभास जरूर हुआ होगा कि यह ट्रेंड वोटो में तब्दील होकर कहां जाएगा। 17 अप्रैल 2024 को रामनवमी है जो प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार रामनवमी आ रही है जिसका सूर्य अभिषेक करने का उत्सव मनाने की फिर रणनीति बनाकर तैयारी है जिसका क्रियान्वयन भव्य तरीके से होगा ऐसा मुझे लगता है। 17 अप्रैल 2024 को रामनवमी को पूरे देश में जोरदार ढंग से मनाने की उम्मीद है, जिसका पूरा-पूरा लाभ 2024 लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को मिलना निश्चित है और लक्ष्य अबकी बार 400 पार का संभव होने की पूरी पूरी उम्मीद है।
दुसरी ओर रामनवमी शोभायात्रा को लेकर जारी संशय के बीच निर्वाचन पदाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया है कि त्योहार के मौके पर किसी राजनीतिक दल के द्वारा झंडा, चुनाव चिन्ह, पोस्टर या बैनर का इस्तेमाल होने पर इसे आचार संहिता उल्लंघन माना जायेगा और समुचित कारवाई की जायेगी।रामनवमी जैसे त्योहार के मौके पर आमतौर पर राजनीतिक दल के नेताओं द्वारा देश भर में बड़े-बड़े बैनर पोस्टर और होर्डिंग्स लगाए जाते रहे हैं, इस बार चुनाव आचार संहिता की वजह से यह देखने को नहीं मिलेगा। हालांकि शोभा यात्रा के दौरान राजनेताओं को इसमें शामिल होने की छूट दी गई है मगर इस पर चुनाव आयोग के पदाधिकारी की नजर रहेगी और इसके लिए हर जिले में बने आचार संहिता कोषांग के द्वारा वीडियोग्राफी की जाएगी। इसलिए नेताजी सावधानी बरतिएगा आचार संहिता उल्लंघन का केस ठुकेगा! चूंकि लोकसभा चुनाव के बीच 17 अप्रैल 2024 रामनवमी पर देश को राममय बनाने की संभावना पर चुनाव आयोग की कड़ी नजर इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, लोकसभा चुनाव प्रथम चरण 19 अप्रैल 2024 बनाम रामनवमी 17 अप्रैल 2024
साथियों बात अगर हम देश को राममय के कार्यक्रम की करें तो, देश को राममय करने का कार्यक्रम यहीं रूकने वाला नही है। राम मंदिर आंदोलन और इसके निर्माण के लिए धन संग्रह अभियान से जुड़े लोगों की सूची तैयार की गई है। जिनको अनेक दिनों तक दर्शन करवाने का कार्यक्रम भी मंदिर ट्रस्ट ने तैयार किया है। रोजाना राम भक्तों को अयोध्या दर्शन के लिए प्रांत वाइज बुलाया जाएगा। जिनके रहने व खाने की व्यवस्था भी मंदिर ट्रस्ट ही करेगा। यह बड़ा कार्यक्रम होगा। क्या आम चुनाव के पहले राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद भव्य मंदिर में दर्शन शुरू होने का असर 2024 के चुनाव पर पड़ेगा? इसके जवाब में मंदिर ट्रस्ट का साफ कहना था कि राम मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा है। यह धार्मिक होने के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दा बना है। प्रभुराम राष्ट्रीय महापुरुष हैं। देश में रामराज्य की स्थापना परम लक्ष्य है। राम मंदिर अब राष्ट्र का मंदिर बन गया है। यही सवाल जब बीजेपी के अयोध्या महानगर अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव से किया तो वो इस सवाल का सीधा जवाब न देकर कहते हैं राम मंदिर बीजेपी के पांच प्रमुख संकल्पों में से एक है। कॉमन सिविल कोड, राम मंदिर, कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति जैसे विषय राष्ट्रवादी हैं। इनका चुनावी राजनीति से लेना देना नहीं है। जो रामभक्त है उन्हें मालूम है कि राम मंदिर की लड़ाई किसने लड़ी। लेकिन राम मंदिर बीजेपी का सदैव सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से जुड़ा मुद्दा रहा है। कभी राजनीतिक मुद्दा नहीं रहा। लेकिन राम मंदिर के नाम पर हमें जो स्वत: लाभ मिलता रहा है आगे भी मिलेगा।
साथियों बात अगर हम देश को राममय करने 17 अप्रैल 2024 रामनवमी के दिन विशाल कार्यक्रम और सूर्यभिषेक करने की करें तो, अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के लिए कई महीनों से भंडारे चल रहे हैं। अब खबर आ रही है कि इनमें से कई भंडारे 17 अप्रैल 2024 रामनवमी तक जारी रहेंगे। अयोध्या में इस समय अनेक छोटी-बड़ी रसोइयां चल रही हैं। यूं कहें कि पूरा अयोध्या ही श्रद्धालुओं को भोजन कराने के लिए सीता की रसोई में बदला हुआ है। हर दिन लाखों श्रद्धालु इन भंडारों और रसोइयों में भोजन कर रहे हैं। कमाल की बात ये है कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी ये सारे भंडारे और रसोइयां बंद नहीं हुई, बल्कि इनमें से कई भंडारे रामनवमी तक चलेंगे। ताकि इस दौरान रामलला के दर्शन के लिए देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु आसानी से भोजन कर सकें। जानकारी के मुताबिक अयोध्या में भंडारे रामनवमी तक जारी रहेंगे और इनमें रोजाना अनेक श्रद्धालु भोजन कर सकेंगे। इन भंडारों के लिए महीनों से कई ट्रकों के जरिए रसद देश भर से पहुंच रहे हैं। अयोध्या में चल रह भंडारों की तालिका भी बहुत खास है। साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से आ रहे श्रद्धालुओं की भोजन की भिन्न-भिन्न आदतों को देखते हुए मेन्यू भी बहुत खास रखा गया है। इन भंडारों के तालिका में विभिन्न प्रदेशों के लोकप्रिय भोजन शामिल हैं। जैसे पंजाब के छोले भटूरे, छोले कुलचे, दक्षिण का इडली-डोसा, उत्तपम, दिल्ली का राजमा चावल, कढ़ी चावल, पूरी सब्जी से लेकर सादा भोजन तक इन भंडारों में मिल रहा है।
साथियों बात अगर हम 17 अप्रैल 2024 को प्रभु श्री राम सूर्य से सूर्यभिषेक करने की करें तो राम मंदिर स्थापत्य का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करने के साथ अति उन्नत वैज्ञानिक युक्ति का भी परिचायक है। यह वैशिष्ट्य प्रत्येक वर्ष राम जन्मोत्सव के अवसर पर परिभाषित होगा, जब सूर्य की रश्मियां तीन तल के राम मंदिर के भूतल पर पर स्थापित रामलला के ललाट पर उतरकर उनका अभिषेक करेंगी। 40 महीने पूर्व राम मंदिर के भूमिपूजन के साथ ही पीएम ने सूर्यवंशी श्रीराम का सूर्याभिषेक कराने के लिए इस यह इच्छा व्यक्त की थी और इसे संभव बनाना वैज्ञानिकों के लिए चुनौती भी थी।संबंधित वैज्ञानिकों ने इस अभियान को चुनौती के रूप में लिया और अब वह इसे संभव करने की सुदृढ़ कार्ययोजना तैयार कर ली है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने विशेष दर्पण और लेंस-आधारित उपकरण तैयार किया है। इस उपकरण को आधिकारिक तौर पर सूर्य तिलक तंत्र नाम दिया गया है। सूर्य तिलक तंत्र को सीबीआरआई के वैज्ञानिकों की टीम ने इस तरह डिजाइन किया है कि हर साल रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे लगभग छह मिनट तक सूर्य की किरणें रामलला के विग्रह के माथे पर पड़ेंगा। ट्रस्ट के न्यासी आचार्य इस तकनीक को राम मंदिर की विरासत से जोड़कर देखते हैं। उनका मानना है कि राम जन्मभूमि असाधारण भूमि रही है और यहां की दिव्यता से ही जाने-अनजाने प्रेरित हो पीएम ने रामलला के सूर्याभिषेक की परिकल्पना की और अब उसे हमारे वैज्ञानिक साकार करने को तैयार हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम आएंगे कि नेताजी सावधानी बरतिएगा आचार संहिता उल्लंघन का केस ठुकेगा लोकसभा चुनाव प्रथम चरण 19 अप्रैल 2024 बनाम रामनवमी 17 अप्रैल 2024। लोकसभा चुनाव के बीच 17 अप्रैल 2024 रामनवमी पर देश को राममय बनाने की संभावना पर चुनाव आयोग की कड़ी नजर सराहनीय है।
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