भू-राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने चीन द्वारा भारत, अमेरिका चुनावों को लक्षित करने एआई का दुरुपयोग करने की आशंका?
एआई आधारित सामग्री से चुनावों को प्रभावित करने तकनीकी दिग्गज की चेतावनी को रेखांकित करना समय की मांग- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर बीते कुछ वर्षों या यूं कहें कि दशकों से दुनियां में ताकतवर देशों द्वारा अन्य देशों में अपनी विचारधारा की सरकार बनाने को प्रोत्साहन देने अदृश्य हस्तक्षेप वाली प्रणाली अपनाने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि पिछले साल हमने पड़ोसी मुल्क द्वारा अपनी सरकार गिराने में एक बहुत बड़े विकसित देश का नाम दिया गया था। ऐसा उदाहरण हम इसके पूर्व भी देख चुके हैं। अभी दो दिन पहले ही एक बहुत बड़ी तकनीकी दिग्गज कंपनी ने चेतावनी दी है कि अभी 2024 में शुरू होने वाले भारत, अमेरिका व दक्षिण कोरिया में होने वाले चुनाव को विस्तारवादी देश द्वारा अपने भूराजनीतिक हितों के लिए एआई सामग्री से प्रचार प्रसार माध्यमों द्वारा प्रभावित करने की चेतावनी दी है, जिसे रेखांकित करना समय की मांग है। चूंकि भारत में 19 अप्रैल 2024 से प्रथम चरण के चुनाव होने जा रहे हैं, वहीं अमेरिका में इसी वर्ष नवंबर दिसंबर में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भूराजनीतिक हितों को बढ़ावा देने चीन द्वारा भारत अमेरिका चुनावों को लक्षित करने एआई का दुरुपयोग करने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
साथियों बात अगर हम भारत, अमेरिका जैसे प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले देशों में एआई सामग्री के दुरुपयोग की आशंका की करें तो, एक तकनीकी दिग्गज ने चेतावनी दी है कि चीन- भारत, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों में चुनावों के दौरान अपने भू-राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए जनता की राय को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-जनित सामग्री को तैनात कर सकता है। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाली ऐसी सामग्री की संभावना कम होने के बावजूद, मीम्स, वीडियो और ऑडियो को बढ़ाने में चीन का बढ़ता प्रयोग संभवतः जारी रहेगा और भविष्य में और अधिक प्रभावी साबित हो सकता है, उन्होंने लिखा, चीन उत्तर कोरिया के साथ मिलकर ऐसा करेगा। ये कंपनी एक थ्रेट एनालिसिस सेंटर (एमटीएसी) द्वारा प्रकाशित नवीनतम पूर्वी एशिया रिपोर्ट में कंपनी थ्रेट इंटेलिजेंस अंतर्दृष्टि में से एक हैं।
चीन मतदाताओं को विभाजित करने के लिए फर्जी सोशल मीडिया खातों का उपयोग कर रहा है ताकि उनमें विभाजन पैदा किया जा सके और संभवतः अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे को अपने पक्ष में प्रभावित किया जा सके। चीन ने दुनिया भर में अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए एआई जनित सामग्री का उपयोग भी बढ़ाया है। उत्तर कोरिया ने अपने सैन्य लक्ष्यों और खुफिया संग्रह को वित्त पोषित करने और आगे बढ़ाने के लिए अपनी क्रिप्टोकरेंसी डकैतियों और आपूर्ति श्रृंखला हमलों को बढ़ा दिया है। इसने अपने संचालन को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने के लिए एआई का उपयोग करना भी शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग अक्टूबर में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा और उत्तर कोरिया प्रमुख उन्नत हथियार कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना जारी रखेगा।
साथियों बात अगर हम एक तकनीकी दिग्गज के आंकलन की करें तो, भारत और अमेरिका जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में इस साल चुनाव होने वाले हैं और इस दौरान चीन अपने हितों को लाभ पहुंचाने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) आधारित सामग्री का उपयोग कर सकता है। प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी ने एक ब्लॉग में यह आशंका जताई। ब्लॉग में कहा गया, हमारा आंकलन है कि विशेष रूप से भारत, दक्षिण कोरिया और अमेरिका सहित इस साल दुनियाभर में होने वाले आम चुनावों के दौरान चीन अपने हितों को लाभ पहुंचाने के लिए एआई आधारित सामग्री का निर्माण और प्रसार कर सकता है।
रिपोर्ट में उत्तर कोरियाई साइबर जोखिम तत्वों का भी उल्लेख किया गया, जो इन तीन देशों में चुनावों को प्रभावित करने की दिशा में काम कर रहे हैं माइक्रोसॉफ्ट के निष्कर्षों के अनुसार, चीन द्वारा एआई आधारित सामग्री का उपयोग करने से चुनाव परिणामों के प्रभावित होने की आशंका कम है, लेकिन इनके लगातार उपयोग, मीम्स के प्रसार आदि से भविष्य में इनका असर हो सकता है।ब्लॉग में कहा गया, ऐसी सामग्री के चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की आशंका कम होने के बावजूद, चीन इन मीम, वीडियो और ऑडियो का प्रसार बढ़ाता रहेगा और भविष्य में ये अधिक प्रभावी साबित हो सकते हैं। चीन भूराजनीतिक हितों को बढ़ावा देने के लिए भारत, अमेरिका में चुनावों को लक्षित करने के लिए एआई का दुरुपयोग कर सकता है।
साथियों बात अगर हम तीन देशों में होने वाले आबादी चुनाव में साइबर अभिकर्ताओं के लक्षित दिशा में काम की संभावना की करें तो, रिर्पोट में कहा गया है, इस बीच, जैसे जैसे भारत, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में आबादी चुनाव की ओर बढ़ रही है, हमें चीनी साइबर और प्रभाव अभिनेताओं और कुछ हद तक उत्तर कोरियाई साइबर अभिनेताओं को इन चुनावों को लक्षित करने की दिशा में काम करते हुए देखने की संभावना है।इसमें कहा गया है कि चीन कम से कम एआई-जनित सामग्री बनाएगा और बढ़ाएगा, जिससे इन हाई-प्रोफाइल चुनावों में उसकी स्थिति को फायदा होगा। रिपोर्ट में कहा गया है, हालांकि चीनी साइबर अभिनेताओं ने लंबे समय से अमेरिकी राजनीतिक संस्थानों की टोह ली है, हम प्रभावशाली अभिनेताओं को अमेरिकियों के साथ बातचीत करने और अमेरिकी राजनीति पर संभावित शोध परिप्रेक्ष्य देखने के लिए तैयार हैं। आखिरकार, जैसा कि उत्तर कोरिया नई सरकारी नीतियों पर काम कर रहा है और हथियारों के परीक्षण के लिए महत्वाकांक्षी योजनाओं को आगे बढ़ा रहा है, हम रक्षा क्षेत्र पर लक्षित तेजी से परिष्कृत क्रिप्टोकरेंसी डकैतियों और आपूर्ति श्रृंखला हमलों की उम्मीद कर सकते हैं, जो शासन में धन पहुंचाने और नए विकास को सुविधाजनक बनाने में मदद करेंगे।
अतः अगर हम ऊपर पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत, अमेरिका व दक्षिण कोरिया में 2024 में होने वाले चुनावों को एआई आधारित सामग्री से प्रभावित करने की संभावना?भू-राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने चीन द्वारा भारत, अमेरिका चुनावों को लक्षित करने एआई का दुरुपयोग करने की आशंका? एआई आधारित सामग्री से चुनावों को प्रभावित करने की तकनीकी दिग्गज की चेतावनी को रेखांकित करना समय की मांग है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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