जिलाधिकारियों के तबादले पर TMC ने उठाया सवाल

Kolkata Hindi News, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने डीएम के तबादले पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य में चार जिलाधिकारियों का तबादला उसके रुख की पुष्टि करता है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछले राज्य चुनाव में लोगों की ओर से खारिज किए जाने के बाद निर्वाचन आयोग का इस्तेमाल कर रही है।

निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को कई राज्यों के गैर-कैडर जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को इस आधार पर हटा दिया कि ये पद क्रमशः भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों के लिए हैं।

इस सूची में पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर, झाड़ग्राम, पूर्व बर्दवान और बीरभूम जिलों के जिलाधिकारी के नाम भी शामिल हैं। इससे पहले 19 मार्च को निर्वाचन आयोग ने 24 घंटे से भी कम समय में पूर्व में नियुक्त विवेक सहाय को हटाकर संजय मुखर्जी को राज्य का पुलिस महानिदेशक बना दिया था।

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी राजीव कुमार को ‘गैर-चुनाव’ संबंधी पद पर स्थानांतरित करने के आयोग के निर्देश के बाद सहाय को उस पद पर नियुक्त किया था।

तृणमूल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि निर्वाचन आयोग द्वारा भाजपा के इशारे पर इस तरह के कदम, 2019 में जीती गई 18 सीट की संख्या को बेहतर करने के केंद्र में सत्तारूढ़ दल के दावे के खोखलेपन को उजागर करते हैं।

भट्टाचार्य ने सवाल किया कि भाजपा (चुनाव की) तारीख की घोषणा के बाद इतने सारे तबादलों पर जोर क्यों दे रही है, अगर उसे जीत का इतना भरोसा है ? भाजपा हमारे अधिकारियों को अपनी मिशन बंगाल रणनीति से बाहर क्यों नहीं रख सकती ?

भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा विपक्षी दलों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के कथित इस्तेमाल पर उन्होंने दावा किया कि 2020 के बाद से ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के मामलों में चार गुना वृद्धि हुई है और उनमें से 95 प्रतिशत मामले विपक्ष के खिलाफ हैं।

भट्टाचार्य ने उन मामलों की जांच में एजेंसियों की समग्र सफलता दर पर भी सवाल उठाया। उनकी पार्टी के सहयोगी और पूर्व तृणमूल सांसद शांतनु सेन ने कहा कि हमारी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भाजपा नेताओं को चुनौती दी कि वे साबित करें कि पिछले दो साल में केंद्र ने मनरेगा और आवास योजना के मद में पश्चिम बंगाल का धन नहीं रोका। उन्होंने कहा कि चुनौती दिए जाने के बाद 175 घंटे बीत चुके हैं।

सेन ने दावा किया कि भाजपा इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस से बच रही है।

भट्टाचार्य ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि भाजपा ने पहली सूची में 19 उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अब तक राज्य में उम्मीदवारों की घोषणा क्यों नहीं की है। राज्य में लोकसभा की 42 सीट है। उन्होंने कहा कि अपने बड़े-बड़े दावों के बावजूद, यह दर्शाता है कि भाजपा वास्तव में कितना हताश है।

Note : यह खबर न्यूज़ एशिया एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है। इसके कंटेंट के लिए कोलकाता हिन्दी न्यूज जिम्मेदार नहीं है।

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