लोकसभा चुनाव 2024 तारीखों की अधिसूचना जारी करने की उल्टी गिनती शुरू

लोकसभा चुनाव 2024- तारीखों की घोषणा 14-15 मार्च 2024 को होने की संभावना-सात चरणों में मतदान व अप्रैल के दूसरे सप्ताह से प्रथम चरण का मतदान होने की संभावना
चुनाव आयोग ने केंद्रीय गृहसचिव, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, उंगलियों की तर्जनी पर लगाई जाने वाली स्याही सहित सबसे समीक्षा बैठक ली- तारीखों पर मंथन शुरू- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां की निगाहें संसार की सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के लोकसभा चुनाव 2024 पर लगी हुई है। लोकतांत्रिक स्वायत्त संस्था चुनाव आयोग भी पिछले कई हफ्तों से चुनाव की तैयारी में लगा हुआ है। जिसमें 8 मार्च 2024 को चुनाव आयोग और केंद्रीय गृह सचिव व सहयोगियों के साथ बैठक हुई उधर चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण रोल अदा करने वाली चुनावी अमिट स्याही जिसे तर्जनी पर लगाया जाता है, करीब 15 मार्च 2024 तक अपना पूरा उत्पादन कर चुनाव आयोग को हैंडओवर करने की संभावना व्यक्ति की गई है। चूंकि लोकसभा चुनाव 2024 के संबंध में तैयारी चुनाव आयोग में लगभग पूर्ण कर ली है ऐसा मेरा मानना है। इसलिए ही शायद 14-15 मार्च 2024 को तारीखों के ऐलान होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि मेरा मानना है कि इस अमिट स्याही जो शायद आम नागरिक इतना सीरियसली नहीं लेते या उनका ध्यान इस महत्वपूर्ण स्याही पर नहीं जाता इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, चुनाव आयोग की केंद्रीय गृह सचिव, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों उंगलियों की तर्जनी पर लगाए जाने वाली स्याही सहित सबसे समीक्षा बैठक भी तारीखों पर मंथन शुरू।

साथियों बात अगर हम चुनाव आयोग की अंतिम चरणों की तैयारी में एक दिनांक 8 मार्च 2024 को केंद्रीय गृहसचिव और उनके सहयोगियों के साथ बैठक की करें तो, लोकसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा से कुछ दिन पहले, चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों ने आम चुनाव के लिए सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा करने हेतु गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाया है। मिडिया ने बताया कि गृह सचिव शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और साथी चुनाव आयुक्त से मुलाकात कर राज्यों में केंद्रीय बलों की तैनाती पर चर्चा की। यह बैठक चुनाव तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोग की जम्मू-कश्मीर यात्रा से कुछ दिन पहले हो रही है। चुनाव आयोग ने लोकसभा और चार विधानसभा चुनावों के लिए 3.4 लाख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों की मांग की है। लगभग 97 करोड़ मतदाताओं के साथ, चुनाव आयोग पूरे भारत में लगभग 12.5 लाख मतदान केंद्र स्थापित करेगा। वहीं चुनाव आयोग रेलवे के शीर्ष अधिकारियों से भी मुलाकात करेगा। रेलवे विभिन्न चरणों के दौरान केंद्रीय बलों को तैनाती के लिए ले जाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। ऐसे में चुनाव घोषणा के पहले रेलवे से भी निर्वाचन आयोग विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए खास वार्ता करेगा।

लोकसभा 2024 चुनाव की तारीखों की घोषणा 14 या 15 मार्च को होने की संभावना है। मिडिया में बताया कि चुनाव 2019 की तरह 7 चरणों में हो सकते हैं। पहले चरण के लिए मतदान अप्रैल के दूसरे सप्ताह में हो सकता है। 14 मार्च से आदर्श आचार संहिता लागू होने की संभावना है। अमिट स्याही वालों भी बताया कि लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी भी शुरू हो गई हैं। 2024 के आम चुनाव में 30 लाख वायल अमिट स्याही का ऑर्डर मिल चुका है। इसकी आयु अधिकतम 6 महीने ही होती है, इसलिए चुनाव की तिथि के 1 से 3 महीने के अंदर ही इसकी सप्लाई की जाती है। इसे समय से तैयार किया जा सके, इसलिए चुनाव आयोग से कम से कम 6 महीने पहले इसका आर्डर ले लिया जाता है।

साथियों बात अगर हम लोकसभा चुनाव सहित अन्य चुनावो में तर्जनी पर लगाई जाने वाली अमिट स्याही के महत्व योगदान व प्रमुख कारक की करें तो, वोटिंग के समय उंगली पर स्याही लगाकर ये सुनिश्चित किया जाता है कि वोटर्स दोबारा कई बार वोट न करे। निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन के मुताबिक वोटिंग से पहले वोटर्स के बाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर स्याही लगाई जाती है। इस स्याही को नाखून के ऊपर गांठ तक लगाई जाती है। अगर किसी की तर्जनी उंगली नहीं है तो ऐसे हालात में वोटर्स के बाएं किसी भी उंगली में नीली स्याही लगाई जा सकती है। अगर वोटर्स का बाया हाथ ही नहीं है तो ऐसी परिस्थिति में मतदाता के दाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर स्याही लगाई जाती है। यदि मतदाता के दोनों हाथों में कोई उंगली नहीं है तो ऐसे में उसके हाथ के किसी भी एक हिस्से पर स्याही लगाई जाती है। यदि वोटर्स का दोनों हाथ ही नहीं है तो इस स्थित में उसके पैर के अंगूठे पर स्याही से निशान लगाया जाता है। दरअसल, फर्जी मतदान रोकने और वोट डाल चुके मतदाता की पहचान के लिए यह विशेष स्याही बाएं हाथ की तर्जनी में लगाई जाती है, जो एक सेकंड के अंदर अपना निशान छोड़ती है और 40 सेकंड से भी कम समय में सूख जाती है। इसे कम से कम 72 घंटे तक मिटाया नहीं जा सकता है और कई अंगुलियों पर इसका रंग 15 दिनों तक लगा रहता है। वोट डालने के बाद बाएं हाथ की तर्जनी उंगली पर लगी स्याही के साथ सेल्फी आपने भी जरूर ली होगी। खासतौर से युवाओं में इसे लेकर काफी क्रेज देखने को मिलता है। मौजूदा विधानसभा चुनावों में भी लोगों ने वोट डालने के बाद जमकर सोशल मीडिया पर सेल्फी पोस्ट की हैं।

साथियों बात अगर हम अमिट स्याही की जरूरत की करें तो हमारे देश में साल 1951-52 में पहली बार चुनाव हुए थे। उस चुनाव में कई लोगों ने किसी अन्य व्यक्ति के स्थान पर वोट डाल दिया तो कुछ लोगों ने एक से अधिक बार मतदान का प्रयोग किया। चुनाव आयोग के पास जब इस तरह की शिकायतें आईं, तो उसने इसका समाधान निकालने के विकल्पों पर विचार किया। चुनाव आयोग ने सोचा कि क्यों ना मतदाता की उंगली पर एक निशान बनाया जाए, जिससे यह पता लग सके कि वो वोट डाल चुका है। इसमें मुश्किल यह थी कि जिस स्याही का निशान बनाया जाए, वह अमिट होनी चाहिए। चुनाव आयोग ने इसके लिए नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया से संपर्क किया। इसके बाद एनपीएल ने ऐसी अमिट स्याही तैयार की, जिसे ना तो पानी से और ना ही किसी केमिकल से हटाया जा सकता था। एनपीएल ने यह स्याही बनाने का ऑर्डर मैसूर पेंट एंड वार्निश कंपनी को दिया। साल 1962 में हुए चुनावों में पहली बार एमपीवीएल कंपनी द्वारा बनाई अमिट स्याही का इस्तेमाल किया गया। तब से लगातार इस स्याही का उपयोग चुनावों में हो रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस स्याही का निशान 15 दिनों से पहले नहीं मिटता। चुनावों में इस्तेमाल होने वाली इस अमिट स्याही का फॉर्मूला गुप्त है। ना तो नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया ने और ना ही मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड ने इस स्याही के फॉर्मूले को सार्वजनिक किया है। एक बार ऐसी अफवाह उड़ी थी कि इस स्याही को बनाने में सुअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है, लेकिन इन अफवाहों को खारिज कर दिया गया। कुछ जानकारों के मुताबिक इस स्याही में सिल्वर नाइट्रेट का प्रयोग होता है। इससे अमिट स्याही फोटोसेंसिटिव प्रकृति की हो जाती है। इसके चलते यह स्याही कुछ ही देर में सूख जाती है।

साथियों बात अगर हम अमिट स्याही के अंतरराष्ट्रीय चुनावी उपयोग की करें तो, एमपीवीएल की बनी अमिट स्याही का प्रयोग सिर्फ भारत में ही नहीं होता। दुनियाभर के कई सारे देश एमपीवीएल से यह अमिट स्याही खरीदते हैं और अपने यहां चुनावों में इसका उपयोग करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 28 देश एमपीवीएल से यह स्याही खरीदते हैं। इन देशों में दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, मलेशिया, मालदीव, कंबोडिया, अफगानिस्तान, तुर्की, नाइजीरिया, नेपाल, घाना, पापुआ न्यू गिनी, बुर्कीना फासो, बुरुंडी, टोगो और सिएरा लियोन भी शामिल है। स्याही एमपीवीएल के एमडी ने मिडिया में बताया कि मलेशिया, कंबोडिया, दक्षिण अफ्रीका मालदीव, तुर्की, अफगानिस्तान, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, बुर्कीना फासो, बुरुंडी और टोगो समेत एशिया और अफ्रीका के करीब 30 देश हैं, जहां के आम चुनाव में मैसूर की ये स्याही उपलब्ध करवाई जा चुकी है। एक आंकड़े के मुताबिक पिछले लोकसभा चुनाव में करीब 384 करोड़ लागत की स्याही का उपयोग हुआ था। जबकि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में 3,000 लीटर स्याही का इस्तेमाल हुआ था। एमवीपीएल की वेबसाइट बताती है कि उच्च क्वालिटी की चुनावी स्याही 40 सेकेंड से भी कम समय में सूख जाती है, इसका रिएक्शन इतनी तेजी से होता है कि उंगली पर लगने के एक सेकेंड के भीतर यह अपना निशान छोड़ देता है,यही वजह है इस स्याही को मिटाया नहीं जा सकता, हालांकि कई लोग यह दावे करते हैं कि कुछ खास केमिकल की मदद से वे इस स्याही को मिटा सकते हैं, लेकिन इसके कोई पुष्ट सबूत नहीं मिलते हैं। यह बीते कई दशकों से बेहतर तरीके से काम कर रही है।

साथियों बात अगर हम चुनावी अमिट स्याह की विशेषताओं की करें तो, चुनावी स्याही को बनाने के लिए सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है जिसे कम-से-कम 72 घंटे तक त्वचा से मिटाया नहीं जा सकता। सिल्वर नाइट्रेट केमिकल को इसलिए इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह पानी के संपर्क में आने के बाद काले रंग का हो जाता है और मिटता नहीं है। जब चुनाव अधिकारी वोटर की उंगली पर स्याही लगाता है तो सिल्वर नाइट्रेट हमारे शरीर में मौजूद नमक के साथ मिलकर सिल्वर क्लोराइड बनाता है। सिल्वर क्लोराइड पानी घुलता नहीं है और त्वचा से जुड़ा रहता है। इसे साबुन से धोया नहीं जा सकता। यह निशान तभी मिटता है जब धीरे-धीरे त्वचा के सेल पुराने होते जाते हैं और वे उतरने लगते हैं। हाथ पर लगी इस स्याही के निशान की कीमत 12 रुपये 70 पैसे है। इस हिसाब से मतदान करने वाले मध्य प्रदेश के 4.32 करोड़ मतदाताओं के हाथों पर 54.86 करोड़ रुपये से अधिक की स्याही लगी है। इस स्याही की कीमत 12700 रुपये लीटर है और एक अंगुली पर एक मिली लीटर स्याही लगती है यानी हर मतदाता की अंगुली पर 12.70 रुपये की स्याही लगाई जाती है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि लोकसभा चुनाव 2024 तारीखों की अधिसूचना जारी करने की उल्टी गिनती शुरू लोकसभा चुनाव 2024-तारीखों की घोषणा 14-15 मार्च 2024 को होने की संभावना- सात चरणों में मतदान व अप्रैल के दूसरे सप्ताह से प्रथम चरण का मतदान होने की संभावना। चुनाव आयोग नें केंद्रीय गृह सचिव, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से उंगलियों की तर्जनी पर लगाई जाने वाली स्याही सहित सबसे समीक्षा बैठक ली- तारीखों पर मंथन शुरू।

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