चौघड़िया क्या है इसे किस तरह से जाना जा सकता है

वाराणसी। ऐसा अक्सर होता है कि हमें किसी दिन कोई कार्य करना है लेकिन उस दिन कोई शुभ योग मुहूर्त नहीं है तो फिर दिन या रात के हिसाब से शुभ, अमृत या लाभ का चौघड़िया देखकर उस दौरान मांगलिक या कोई महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं। जानिए चौघड़िया क्या है और इसे किस तरह जान सकते हैं। हम लाएं हैं आपके लिए चौघड़िया की विशेष प्रस्तुति।

चौघड़िया किसे कहते हैं? सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को दिन का चौघड़िया और अगले दिन सूर्योदय के मध्य के समय को रात्रि का चौघड़िया कहा जाता है। चौघड़िया में चौ, का अर्थ चार है और घड़ी का अर्थ है समय अवधि। इसे चतुर्षिका मुहूर्त के रूप में भी जाना जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से अच्छे और बुरे सात चौघड़िया हैं। सूर्योदय से सूर्यास्त तथा सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच के समय को 30-30 घटी में बांटा गया है। चौघड़िया मुहूर्त के लिए, उसी 30 घटी की समय अवधि को 8 भागों में विभाजित किया गया है। जिसके परिणामस्वरूप दिन और रात के दौरान 8-8 चौघड़िया मुहूर्त होते हैं। एक घटी लगभग 24 मिनट की होती है तथा एक चौघडिया 4 घटी (लगभग 96 मिनट) का होता है। प्रत्येक चौघड़िया मुहूर्त लगभग 4 घटी का होता है, इसलिए इसे चौघड़िया= चौ (चार) + घड़िया (घटी) के नाम से जाना जाता है। इसे चतुर्श्तिका मुहूर्त भी कहते हैं।

ये शुभ या अशुभ चरण चौघड़िया तालिका के साथ निर्धारित होते हैं।
कौन सा चौघड़िया अच्छा होता है?
किसी शुभ कार्य को प्रारम्भ करने के लिए अमृत, शुभ, लाभ और चर इन चार चौघड़ियाओं को उत्तम माना गया है।
शेष तीन चौघड़िया- रोग, काल और उद्वेग को त्याग देना चाहिए।
चौघड़िया मुहूर्त का चयन करते समय, वार वेला, काल वेला, राहु काल, और काल रात्रि के समय को त्याग दिया जाना चाहिए।
यानी यदि शुभ चौघड़िया के दौरान राहु काल या कोई सा अशुभ काल चल रहा है तो उस समय को त्यागकर दूसरे चौघड़िया का चयन करें।
वार वेला और काल वेला दिन के दौरान प्रचलित हैं जबकि रात के दौरान काल रात्री प्रचलित है।

प्रत्येक दिन का पहला मुहूर्त उस दिन के ग्रह स्वामी द्वारा प्रभावित होता है।
उदाहरण के लिए, रविवार का पहला चौघड़िया मुहूर्त सूर्य द्वारा प्रभावित है।
इसके बाद के मुहूर्त क्रमशः शुक्र, बुध, चन्द्रमा, शनि, बृहस्पति तथा मंगल द्वारा प्रभावित चौघड़िया आते हैं।
दिन का अन्तिम मुहूर्त भी उस दिन के ग्रह स्वामी द्वारा प्रभावित माना गया है।

1. उद्वेग चौघड़िया : ज्योतिष में सूर्य के प्रभाव को आमतौर पर अशुभ माना गया है इसीलिए इसे उद्वेग के रूप में चिह्नित किया जाता है। हालांकि, इस चौघड़िया में सरकारी कार्यों को किया जा सकता है।

2. चर चौघड़िया : शुक्र को एक शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है। इसलिए इसे चर या चंचल रूप में चिह्नित किया गया है। शुक्र की चर प्रकृति के कारण, चर चौघड़िया को यात्रा उद्देश्य के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।

3. लाभ चौघड़िया : बुध ग्रह भी शुभ और लाभदायक ग्रह है इसलिए इसे लाभ के रूप में चिह्नित किया गया है। लाभ के चौघड़िया में शिक्षा या किसी विद्या को सिखने का कार्य प्रारंभ किया जाता है तो वह फलदायी होता है।

4. अमृत चौघड़िया : चंद्र ग्रह अति शुभ और लाभकारी ग्रह है। इसीलिए इसे अमृत के रूप में चिह्नित किया गया है। अमृत चौघड़िया को सभी प्रकार के कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है।

5. काल चौघड़िया : शनि एक पापी ग्रह है इसीलिए इसे काल के रूप में चिह्नित किया गया है। काल चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। हालांकि, कुछ मामलों में धनोपार्जन हेतु की जाने वाली गतिविधियों के लिए यह लाभदायक सिद्ध हो सकता है।

6. शुभ चौघड़िया : बृहस्पति अत्यंत ही शुभ ग्रह है और यह लाभकारी ग्रह माना गया है। इसलिए इसे शुभ के रूप में चिह्नित किया जाता है। शुभ चौघड़िया को विशेष रूप से विवाह समारोह आयोजित करने के लिए उपयुक्त माना जाता है।

7. रोग चौघड़िया : मंगल एक क्रूर और अनिष्टकारी ग्रह है। इसलिए इसे रोग के रूप में चिह्नित किया गया है। रोग चौघड़िया के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। लेकिन युद्ध में शुत्र को हराने के लिए रोग चौघड़िया की अनुशंसा की जाती है।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योतिर्विद् वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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