शिव शंकर प्रसाद, पलामूू : किसानों का आंदोलन अपने आप में अनुपम है। किसान एक ही साथ कई मोर्चे पर लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की बेहतरी के नाम पर जो तीन कानून बनाए है वह ना सिर्फ किसान विरोधी है बल्कि जनविरोधी भी है। इस कानून के केंद्र में भारत का किसान है ही नहीं जो तीन नए कानून बनाए गए हैं वह कारपोरेट को केंद्र में रखकर उनके हित में बनाए गए हैं। उक्त बातें अखिल भारतीय किसान महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष केडी सिंह ने कही। श्री सिंह भारत ज्ञान विज्ञान समिति के 32 वें स्थापना दिवस पर आयोजित परिचर्चा में बोल रहे थे। समिति के स्थापना दिवस पर किसान आंदोलन को समर्पित परिचर्चा का विषय था संघर्षरत किसान और हमारी भूमिका। परिचर्चा का विषय प्रवेश कराते हुए ज्ञान विज्ञान समिति झारखंड के राज्य अध्यक्ष शिव शंकर प्रसाद ने तीनों कानून के रद्द होने तक आंदोलन को जारी रखने और पलामू के किसानों की वैज्ञानिक चेतना के विस्तार करने के संकल्प को दोहराया।
परिचर्चा में वरिष्ठ पत्रकार गोकुल वसंत, सामाजिक कार्यकर्ता अभय कुमार, किसान नेता सह इप्टा के संरक्षक सुरेश सिंह व इप्टा के रंगकर्मी प्रेम प्रकाश ने भी कृषि कानून को काला कानून बताते हुए इसमें निहित बातों पर विस्तार से चर्चा की। वक्ताओं ने कहा कि पहला कानून आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 के तहत आवश्यक वस्तुओं की सूची से खाद्य पदार्थों को हटाकर भंडारण के लिए मुक्त कर दिया गया है। इससे महंगाई बढ़ेगी और जमाखोरी होगी। दूसरे कानून के तहत किसानों को अपनी फसल अपने मनचाहे दर पर किसी भी बाजार में बेचने की छूट देता है लेकिन भारत की जो वर्तमान परिस्थिति है सुदूरवर्ती गांव में रहने वाले किसान अपने जिला मुख्यालय तक आकर अपनी फसल नहीं बेच पाते तो वे अन्य राज्यों में कैसे जाएंगे, इसकी कोई सुविधा का प्रावधान कानून में नहीं है। इसका मतलब यह होता है कोई भी व्यापारी उनके खेत पर जाकर उनकी फसल औने पौने भाव में खरीद सकता है। इसकी छूट इस कानून से प्रतिबिंबित होती है। तीसरे कानून में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात की गई है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पहले से भी होता रहा है, लेकिन उसका नतीजा असफल रहा है।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में यह कहा गया है कि किसान को खाद बीज और अनावश्यक वस्तुओं की पूर्ति की जाएगी और उसका सामान जो कंपनी कॉन्ट्रैक्ट करेगी वह खरीद लेगी। यह दूसरे कानून में छिपे अंतर्विरोध को प्रतिबिंबित करता है। इस तरह तीनों कृषि कानून पूरी जनता के विरोध में है साथ ही किसानों को गुलाम बनाने की भी साजिश है। परिचर्चा का संचालन ज्ञान विज्ञान समिति के जिला सचिव अजय कुमार साहू ने किया। उक्त कार्यक्रम की लाइव प्रस्तुति ज्ञान विज्ञान समिति के फेसबुक पेज से भी किया गया।