- कूचबिहार के रास मेले में पहुंचे आकर्षक टम.. टम गाड़ी के निर्माता
कूचबिहार: ‘टम.. टम.. टम.. टम.. टम.. टम की आवाज के बिना कूचबिहार का रास मेला जैसे अधुरा ही होता है।’ यह वास्तव में पारंपरिक बांस और मिट्टी के पहियों से बनी एक विशेष खिलौना गाड़ी है। नाम, टमटम गाड़ी. बिहार के कटिहार जिले के कई परिवार पुरखों से इस खिलौने को कूचबिहार के रास मेले में बेचने आते हैं। जो कूचबिहार में रासमेला के आकर्षणों में से एक है। इस साल मेले की शुरुआत में ही उनकी मौजूदगी ने आकर्षण बढ़ा दिया है।
कूचबिहार के रासमेला में आये टमटम गाड़ी के निर्माता कारीगर रामानुज ने कहा, रोजी रोटी कमाने के लिए कूचबिहार आए है। हर साल आते हैं। वह 1984 साल में पहली बार रासमेले में आये थे। इस रासमेले में दादा-दादी, पिता-माता सभी आते थे। इस बार वह अपने बेटे के साथ भी आये हैं. यह एक और परंपरा है।
उनकी विशेष खिलौना गाड़ी रासमेला की परंपराओं में से एक है। मिट्टी के बर्तन से चिपका हुआ एक गुब्बारा, जिसमें दो छड़ियाँ लगी होती हैं। जब बांस की क्लैंप से उस छड़ी पर अनोखे तरीके से दबाव डाला जाता है, तो गुब्बारे के ऊपर टम टम टम टम की आवाज आती है।
यह गाड़ी बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए भी बेहद आकर्षक है। हालांकि कमोडिटी बाजार में आज गाड़ी की कीमत बढ़ गई है, लेकिन कारीगरों की वित्तीय अनुकूलता नहीं बढ़ी है। साल-दर-साल वे अलग-अलग मेलों में जाते हैं और अस्थायी तंबू बनाकर इन कारों को बेचते हैं। उन्होंने कहा कि परंपरा और प्रेम मदन मोहन का रास उत्सव उन्हें इस साल भी कूचबिहार खींच लाया है।