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आइए हल्दी की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करें

हल्दी की खेती से किसानों को दूरगामी कमाई वाली फसल से सुखद परिणाम मिलेंगे
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हल्दी के नए बाजार विकसित करने में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना समय की मांग – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां को विश्वास हो चुका है कि भारत के हर क्षेत्र में चौमुखी विकास हो रहा है। 40-50 सालों से लटके कामों को सफलता पूर्वक नए जोश के साथ आगे बढ़कर मंजिल तक पहुंचा जा रहा है। वहीं आज भारत ने हर क्षेत्र को विकसित करने के लिए उनकी जड़ों तक पहुंचकर समस्याओं का हल ढूंढने में भिड़ गया है जिसके लिए उस उत्पाद या क्षेत्रों का राष्ट्रीय बोर्ड गठन कर उसका विकास किया गया है। जिसका उदाहरण चाय बोर्ड सहित अन्य अनेक बोर्डों का गठन किया गया है और अब राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंजूरी प्रदान कर अधिसूचित हुआ है। बता दें इसके लिए अनेक वर्षों से किसानों की मांग जारी थी और 15-20 सालों से आंदोलन कर रहे थे। जिसमें इस राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को लेकर प्रण लिया था कि जब तक बोर्ड का गठन नहीं होगा तब तक वह चप्पल नहीं पहनेंगें। अब इस बोर्ड के गठन का प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पारित कर अधिसूचित किया गया है।

बोर्ड के गठन से अब अनेक स्थानों, हल्दी उत्पादन के दूरदराज दुर्लभ स्थान या अनजान स्थान का संज्ञान लेकर वहीं हल्दी उत्पादन में तकनीक की सहायता कर उत्पादन बढ़ाया जाएगा। अब समय आ गया है कि जिस क्षेत्र में हल्दी उगने का एटमॉस्फेयर है और हल्दी की फसल अच्छी निकालने की संभावना है, वहां किसानों को हल्दी की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। क्योंकि हल्दी सभी खाद्य औषधि सहित अन्य सभी प्रयोग में आने वाली एक वस्तु है जिसमें किसानों को अच्छी कमाई करने की उम्मीद है। साथ ही बोर्ड की पूरी मदद मिलने की रणनीति तैयार की गई है। बोर्ड इसका संज्ञान लेकर इसका विकास करेगा तो नए ऊंचे आयामों की प्राप्ति किसानों को होगी। चूंकि हल्दी किसानों के लिए एक कमाई वाली फसल हैऔर अब राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को भी अधिसूचित किया गया है, इसलिए आज हम मीडिया में और पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे। आइए हल्दी की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करें।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हल्दी के नए बाजार विकसित करने में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना समय की मांग है।

साथियों बात अगर हम हल्दी के महत्व और किसानों के लिए कमाई वाली फसल होने को, जानने की करें तो, बताते चलें कि हल्दी की खेती को कमाई वाली फसल कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ये बहुत से कार्यों में इस्तेमाल होने वाली फसल है। जिसकी मांग हमेशा बनी रहती है। हल्दी का इस्तेमाल मसाले, औषधि, ब्यूटी प्रोडक्ट्स व अन्य कई उत्पादों में होता है। इसके साथ ही हल्दी की खेती के दौरान अधिक पानी या फिर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, ये एक ऐसी फसल है जो कम लागत में उग सकती है और इससे अच्छी आमदनी की जा सकती है। देश के लगभग हर घर में हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी खेती कर किसान भाई अच्छा पैसा कमा सकते हैं। यदि हम एक हेक्टेयर जगह में हल्दी की खेती करने की सोच रहे हैं तो करीब-करीब दस हज़ार रुपये के बीज, दस हजार रुपये की खाद व मजदूरी शुल्क जो उस समय लागू हो वह हमको देना होगा।

हल्दी की खेती से होने वाली आय मुख्य रूप से उत्पादन पर निर्भर होती है। एक हेक्टेयर में हल्दी का औसत उत्पादन 20-25 क्विंटल तक का होता है। यदि हल्दी का भाव दो सौ रुपये किलो है, तो एक हेक्टेयर में हल्दी की खेती से करीब 5 लाख तक की कमाई की जा सकती है। बाजार में हल्दी की काफी मांग है। भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी हल्दी की काफी मांग है। हम हल्दी को ऑनलाइन प्लेटफार्म के जरिए भी अच्छे दामों में बेच सकते हैं। हल्दी की खेती करने के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी को चुनें। इसके खेती करने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल करें। हल्दी की खेती के दौरान कीटों और बीमारियों से बचाव के लिए उचित उपाय करें। फसल को सही समय पर खेत से निकाल लें।

साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को अधिसूचित करने की करें तो, भारत सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन को अधिसूचित कर दिया है। राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड देश में हल्दी और हल्दी उत्पादों के विकास और वृद्धि पर फोकस करेगा। बोर्ड हल्दी से संबंधित मामलों में नेतृत्व प्रदान करेगा, प्रयासों को मजबूत बनाएगा तथा हल्दी क्षेत्र के विकास और वृद्धि में मसाला बोर्ड और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ अधिक समन्वय की सुविधा प्रदान करेगा। सरकार ने कैब‍िनेट की बैठक में नेशनल टर्मरिक बोर्ड (राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड) के गठन को मंजूरी दे दी है।

इसके बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री का कहना है कि इस बोर्ड का लक्ष्य है कि भारत 2030 तक प्रतिवर्ष एक बिलियन डॉलर हल्दी का निर्यात विदेश में किया करेगा। नेशनल टर्मरिक बोर्ड के कामकाज के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद दुनियां ने हल्दी के महत्व को समझ लिया है। भारत सरकार भी इसके उत्पादन उपभोग और निर्यात को बढ़ावा देना चाहती है, यह बोर्ड इसमें मदद करेगा। इसके साथ ही बोर्ड देश में हल्दी और हल्दी उत्पादों के विकास और ग्रोथ पर ध्यान केंद्रित करेगा। बोर्ड हल्दी से जुड़े मामलों पर नेतृत्व प्रदान करेगा, प्रयासों को बढ़ाएगा, हल्दी क्षेत्र के विकास और टर्मरिक बोर्ड की ग्रोथ और अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ अधिकसमन्वय की सुविधा प्रदान करेगा। इसके साथ ही दुनिया भर में हल्‍दी की खपत बढ़ने की बहुत संभावनाएं है और बोर्ड की मदद से हल्‍दी की प्रत‍ि जागरूकता और खपत बढ़ाने, निर्यात बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए बाजार विकसित करने, नए उत्पादों में र‍िसर्च करने और विकास को बढ़ावा देने का काम करेगा।

बोर्ड विशेष रूप से मूल्य संवर्धन से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए हल्दी उत्पादकों की क्षमता निर्माण और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा। बोर्ड गुणवत्ता, खाद्य सुरक्षा मानकों के पालन को भी बढ़ावा देगा। इतना ही नहीं बोर्ड हल्दी को सुरक्षा प्रदान करेगा और उपयोगी दोहन के लिए भी कदम उठाएगा। बोर्ड के गठन को मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय मंत्री ने पीएम को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे हमेशा किसानों के हित में काम करते हैं। हल्दी बोर्ड का गठन भी इसी दिशा में किया गया एक प्रयास है। उनका कहना है कि इससे कई किसानों की लंबी मांग पूरी हो गई जो लगभग 15 से 20 साल से इसको लेकर के आंदोलन कर रहे थे और अपने मांग के समर्थन में उन किसानों ने चप्पल न पहनने का फैसला लिया था।

साथियों बात अगर हम हल्दी के प्रति जागरूकता बढ़ाने बोर्ड के कार्यों की करें तो, हल्दी के स्वास्थ्य और कल्याण लाभों पर विश्व भर में महत्वपूर्ण संभावनाएं और रुचि है, जिसका लाभ बोर्ड जागरूकता और खपत बढ़ाने, निर्यात बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए बाजार विकसित करने, नए उत्पादों में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने तथा मूल्यवर्धित हल्दी उत्पादों के लिए हमारे पारंपरिक ज्ञान के विकास का काम करेगा। यह विशेष रूप से मूल्य संवर्धन से अधिक लाभ पाने के लिए हल्दी उत्पादकों की क्षमता निर्माण और कौशल विकास पर फोकस करेगा। बोर्ड गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा मानकों और ऐसे मानकों के पालन को भी प्रोत्साहित करेगा। बोर्ड मानवता के लिए हल्दी की पूरी क्षमता की सुरक्षा और उपयोगी दोहन के लिए भी कदम उठाएगा।

बोर्ड की गतिविधियां हल्दी उत्पादकों के क्षेत्र पर केंद्रित और समर्पित फोकस तथा खेतों के निकट बड़े मूल्यवर्धन के माध्यम से हल्दी उत्पादकों की बेहतर भलाई और समृद्धि में योगदान देंगी, जिससे उत्पादकों को उनकी उपज के लिए बेहतर कीमत मिलेगी। अनुसंधान, बाजार विकास, बढ़ती खपत और मूल्य संवर्धन में बोर्ड की गतिविधियां यह भी सुनिश्चित करेंगी कि हमारे उत्पादक और प्रोसेसर उच्च गुणवत्ता वाले हल्दी और हल्दी उत्पादों के निर्यातकों के रूप में वैश्विक बाजारों में अपनी प्रमुख स्थिति बनाए रखना जारी रखेंगे।

साथियों बात अगर हम हल्दी के व्यापार और उत्पाद की करें तो, भारत विश्व में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। वर्ष 2022-23 में 11.61 लाख टन (वैश्विक हल्दी उत्पादन का 75 प्रतिशत से अधिक) के उत्पादन के साथ भारत में 3.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी। भारत में हल्दी की 30 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं और यह देश के 20 से अधिक राज्यों में उगाई जाती है। हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं। हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से अधिक है। 2022-23 के दौरान, 380 से अधिक निर्यातकों द्वारा 207.45 मिलियन डालर मूल्य के 1.534 लाख टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया गया था। भारतीय हल्दी के लिए प्रमुख निर्यात बाजार बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और मलेशिया हैं। बोर्ड की केंद्रित गतिविधियों से यह उम्मीद की जाती है कि 2030 तक हल्दी निर्यात 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि, हल्दी की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करें। हल्दी की खेती से किसानों को दूरगामी कमाई वाली फसल से सुखद परिणाम मिलेंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हल्दी के नए बाजार विकसित करने में राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना समय की मांग है।

Kishan
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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