खड़गपुर : कोलकाता में आयोजित धरना प्रदर्शन और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जंगल महल की घरेलू परिचरकाएं भी शामिल हुई। संगठन के नेताओं ने कहा कि घरेलू कामगार समाज के सबसे उपेक्षित-वंचित-शोषित वर्गों में से एक हैं। उनके पास कोई विशिष्ट वेतन संरचना नहीं है, कोई काम के घंटे नहीं हैं। सप्ताहांत और सबसे बढ़कर कोई भी उचित सामाजिक सुरक्षा उनकी पहुंच से बाहर है।
सरकार की बहुप्रचारित ‘सामाजिक सुरक्षा योजना’ का दरवाज़ा उनके लिए लगभग बंद हो चुका है। इस योजना में शामिल होने के लिए संघर्ष करने वालों को भी इस योजना का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। फिर कुछ कार्यस्थलों में सम्मानजनक कार्य वातावरण और सुरक्षा का अत्यधिक अभाव है। कई मामले में अपने परिवार को देखने का अवसर भी उपलब्ध नहीं है। कई लोगों को घर में भी परेशानी होती है।
ऐसे में घरेलू नौकरानियों का संगठन ‘सारा बांग्ला परिचारिका समिति’ कुछ मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन जारी रखे हुए है। संगठन की प्रदेश सचिव पार्वती पाल ने कहा कि बार-बार मांग करने के बावजूद सरकार ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है। आज वे एक बार फिर विरोध मार्च, धरना और हजारों हस्ताक्षर के साथ कुछ महत्वपूर्ण मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष जनप्रतिनिधित्व का कार्यक्रम कर आई हैं।
इस कार्यक्रम में जंगल महल की कई परिचारिकाएं भी भी शामिल हुईं। प्रारंभ में, सुबोध मलिक स्क्वायर से एक विरोध मार्च एस्प्लेनेड में वाई चैनल तक गया। वहां हुई सभा में संस्था के सचिव के अलावा संस्था की अध्यक्ष लिली पाल, शोभा महत, बुलबुल आइच आदि ने संबोधित किया। यहां से उपाध्यक्ष जयश्री चक्रवर्ती के नेतृत्व में 5 सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल हजारों सेविकाओं के हस्ताक्षरयुक्त मांग पत्र के साथ मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया।