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धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो

भारत में बुराइयों और भेदभाव के अंत का संकल्प लेकर विजयदशमी पर्व मनाया गया
भारत सहित पूरी दुनियां में बसे भारतीयों ने अन्याय पर न्याय, अहंकार पर विनम्रता, और क्रोध पर धैर्य की जीत का पर्व विजयादशमी उत्सव मनाया – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां में एक अकेला देश भारत है जहां आदि अनादि काल से हजारों वर्ष पूर्व के इतिहास और कथाओं से प्रेरित अनेक पर्वों को बड़ी शिद्दत धूमधाम और आस्था के साथ मनाए जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि हर धर्म जाति और आस्था से जुड़े पर्व मनाया जाते हैं। चाहे हिंदू , मुस्लिम, सिख, ईसाई या किसी भी धर्म जाति से संबंधित हो बहुत गर्व से आस्था के साथ मनाए जाते हैं। इसी कड़ी में मंगलवार दिनांक 24 अक्टूबर 2023 को अन्याय पर न्याय, अहंकार पर विनम्रता और क्रोध पर धैर्य की जीत का प्रतीक पर्व विजयादशमी उत्सव मनाया गया। जो हर राज्य, केंद्र शासित प्रदेशों में बड़ी धूमधाम से रावण का दहन कर मनाया गया। इस अवसर पर उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे माननीयों द्वारा देशवासियों को पर्व का सशक्त संदेश दिया। अलग-अलग स्थानों पर एक्स मीडिया पर अपने भावों को प्रकट किया। जिसमें माननीय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, परिवहन मंत्री सहित अनेको माननीयों ने जनता को मार्ग दर्शन दिया। चूंकि विजयदशमी पर्व धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो, की स्थिति पर खरा उतरता है जिसे धूमधाम व गर्व से मनाया जाता है, इसलिए आज हम पीआईबी और मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत सहित पूरी दुनियां में बसे भारतीयों ने अन्याय पर न्याय, अहंकार पर विनम्रता और क्रोध पर धैर्य की जीत का पर्व विजयदशमी उत्सव मनाया गया।

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम इस बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक त्योहार दशहरे पर माननीय राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के संदेशों की करें तो, एक संदेश में राष्ट्रपति ने कहा, भारत और विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को दशहरे के शुभ अवसर पर मैं हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूँ। दशहरा का त्यौहार, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भारत के पूर्वी और दक्षिणी राज्य दशहरा को दुष्ट राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत के रूप में मनाते हैं, जबकि उत्तरी और पश्चिमी राज्य इस त्योहार को भगवान राम की रावण पर जीत के रूप में मनाते हैं।

यह त्यौहार हमें बुराई के प्रतीक अहंकार और नकारात्मकता से छुटकारा पाकर, सभी के लिए प्रेम और एकता की भावनाओं को अपनाना सिखाता है जो ‘अच्छाई’ का प्रतीक है। भगवान राम के मूल्य हमें जीवन की कठोरतम परीक्षाओं और प्रतिकूलताओं के बावजूद धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। आइए, इस दिन हम देश की समृद्धि और सभी की भलाई विशेषकर वंचितों के लिए, मिलकर काम करने का संकल्प लें। उपराष्ट्रपति ने दशहरे की पूर्व संध्या पर सभी देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने अपने संदेश में कहा पूरे भारत में बड़े उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाये जाने वाले त्योहार दशहरे के शुभ अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत, अनैतिकता पर नैतिकता की जीत का प्रतीक है। यह न्याय परायणता में हमारे विश्वास को मजबूत करने एवं सत्य, करुणा एवं साहस जैसे गुणों को अपनाने और संजोने का भी एक अवसर है। मेरी कामना है कि यह त्योहार सभी के लिए शांति, समृद्धि तथा सौहार्द लाए।

साथियों बात अगर हम मंगलवार दिनांक 24 अक्टूबर 2023 को अनैतिकता पर नैतिकता की जीत के प्रतीक विजयादशमी पर्व पर माननीय पीएम द्वारा एक समारोह को संबोधन की करें तो, इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि विजयादशमी अन्याय पर न्याय की, अहंकार पर विनम्रता की, और क्रोध पर धैर्य की जीत का पर्व है। उन्होंने कहा कि यह संकल्पों को दोहराने का भी विशेष शुभ दिन है। उन्होंने समाज के सौहार्द्र को बिगाड़ने वाली विकृत मानसिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद तथा भारत के विकास के बजाय स्वार्थ की सोच रखने वाली ताकतों से सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, हमें समाज में बुराइयों के, भेदभाव के अंत का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस साल हम चंद्रयान की लैंडिंग के ठीक दो महीने बाद विजयादशमी मना रहे हैं। इस दिन शस्त्र पूजन परंपरा का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि भारत की धरती पर शस्त्रों की पूजा किसी भूमि पर आधिपत्य नहीं, बल्कि उसकी रक्षा के लिए की जाती है। उन्होंने कहा कि शक्ति पूजा का अर्थ संपूर्ण सृष्टि के सुख, कल्याण, विजय और गौरव की कामना करना है।

उन्होंने भारतीय दर्शन के शाश्वत एवं आधुनिक पहलुओं पर बल दिया। हम राम की मर्यादा भी जानते हैं और अपनी सीमाओं की रक्षा करना भी जानते हैं। भारत के लिए अगले 25 वर्षों के महत्व को दोहराया। उन्होंने कहा, हमें प्रभु राम के उत्‍कृष्‍ट लक्ष्‍यों वाला भारत बनाना है। एक विकसित भारत, जो आत्मनिर्भर हो, एक विकसित भारत, जो विश्व शांति का संदेश देता हो, एक विकसित भारत, जहां सभी को अपने सपनों को पूरा करने का समान अधिकार हो, एक विकसित भारत, जहां लोगों को समृद्धि और संतुष्टि का एहसास हो। यह राम राज की परिकल्पना है। इसी आलोक में पीएम ने सभी देशवासियों से जल बचाने, डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने, स्वच्छता, लोकल के लिए वोकल, गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाने, पहले देश और फि‍र विदेश के बारे में सोचने, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने, मिलेट्स को बढ़ावा देने और अपनाने, फि‍टनेस जैसे 10 संकल्प लेने को कहा और आखिर में हम कम से कम एक गरीब परिवार के घर का सदस्य बनकर उनकी सामाजिक हैसियत को बढ़ाएं। जब तक देश में एक भी गरीब व्यक्ति है जिसके पास बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं, घर नहीं है, बिजली नहीं है, गैस नहीं है, पानी नहीं है, इलाज की सुविधा नहीं है, हम चैन से नहीं बैठेंगे।

आने वाले 25 वर्ष भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। पूरा विश्व आज भारत की ओर नजर टिकाए हमारे सामर्थ्य को देख रहा है। हमें विश्राम नहीं करना है। रामचरित मानस में भी लिखा है- राम काज कीन्हें बिनु, मोहिं कहां विश्राम हमें भगवान राम के विचारों का भारत बनाना है। विकसित भारत, जो आत्मनिर्भर हो, विकसित भारत,जो विश्व शांति का संदेश दे, विकसित भारत, जहां सबको अपने सपने पूरे करने का समान अधिकार हो, विकसित भारत, जहां लोगों को समृद्धि और संतुष्टि का भाव दिखे। राम राज की परिकल्पना यही है, राम राज बैठे त्रैलोका, हरषित भये गए सब सोका यानि जब राम अपने सिंहासन पर विराजें तो पूरे विश्व में इसका हर्ष हो और सभी के कष्टों का अंत हो। लेकिन, ये होगा कैसे? इसलिए मैं आज विजयादशमी पर प्रत्येक देशवासी से 10 संकल्प लेने का आग्रह करूंगा। पहला संकल्प – आने वाली पीढ़ियों का ध्यान रखते हुए हम ज्यादा से ज्यादा पानी बचाएंगे। दूसरा संकल्प – हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को डिजिटल लेन-देन के लिए प्रेरित करेंगे। तीसरा संकल्प – हम अपने गांव और शहर को स्वच्छता में सबसे आगे ले जाएंगे। चौथा संकल्प – हम ज्यादा से ज्यादा वोहकलफॉर लोकल के मंत्र को फॉलो करेंगे, मेड इन इंडिया प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करेंगे। पांचवा संकल्प – हम क्वालिटी काम करेंगे और क्वालिटी प्रॉडक्ट बनाएंगे, खराब क्वालिटी की वजह से देश के सम्मान में कमी नहीं आने देंगे। छठा संकल्प – हम पहले अपना पूरा देश देखेंगे, यात्रा करेंगे, परिभ्रमण करेंगे और पूरा देश देखने के बाद समय मिले तो फिर विदेश की सोचेंगे। सातवां संकल्प – हम नैचुरल फार्मिंग के प्रति किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करेंगे। आठवां संकल्प – हम सुपरफूड मिलेट्स को-श्रीअन्न को अपने जीवन में शामिल करेंगे। इससे हमारे छोटे किसानों को और हमारी अपनी सेहत को बहुत फायदा होगा। नवां संकल्प – हम सब व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए योग हो, स्पोर्ट्स हो, फिटनेस को अपने जीवन में प्राथमिकता देंगे और दसवां संकल्प – हम कम से कम एक गरीब परिवार के घर का सदस्य बनकर उसका सामाजिक स्तर बढ़ाएंगे।

साथियों बात अगर हम विजयदशमी पर्व के दिन डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म अपनाने की करें तो,
भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने अक्टूबर 1956 में नागपुर के दीक्षाभूमि में विजयदशमी के दिन अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। तब से, इस दिन को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रीलंका के भिक्षु धम्मरत्न थेरो आज शाम नागपुर में डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के केंद्रीय स्मारक- दीक्षाभूमि में आयोजित होने वाले 67वें धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हुए। इस अवसर पर केंद्रीय, उपमुख्यमंत्री और केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री के साथ डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर स्मारक समिति के अध्यक्ष उपस्थित थे। धर्म पर चोट यह नई नहीं है। विजयदशमी आज और भी प्रासंगिक हो जाती है ताकि समाज इस चलन को समझ सके पर देश को खत्म न कर सके। जरूरत है सही अर्थों में मर्यादा पुरुषोत्तम जय श्री राम के मानवता आदि चित्रों को समझने की और उनको अपने जीवन में करने की ताकि समर्थ समाज का निर्माण हो सके हर तरह के खत्म हो सही मायने में धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो और विश्व का कल्याण हो।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो। भारत में बुराइयों और भेदभाव के अंत का संकल्प लेकर विजयदशमी पर्व मनाया। भारत सहित पूरी दुनियां में बसे भारतीयों ने अन्याय पर न्याय, अहंकार पर विनम्रता और क्रोध पर धैर्य की जीत का पर्व विजयादशमी उत्सव मनाया गया।

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