आशा विनय सिंह बैस की कलम से : दक्षिण भारत, उत्तर भारत से कई मामलों में बेहतर है!!

आशा विनय सिंह बैस, रायबरेली। मुझे अच्छी तरह याद है कि 1996 में जब मैं तांबरम ट्रेनिंग करने के लिए गया था, तब चेन्नई (मद्रास) के उस छोटे से कस्बे में हर तीसरी दुकान पर ₹1 डालकर लोकल में बात करने वाले लैंडलाइन फोन उपलब्ध थे। उस समय उत्तर भारत में यह सुविधा बड़े शहरों या रेलवे स्टेशनों में ही हुआ करती थी।

दक्षिण भारत तकनीकी शिक्षा के मामले में उत्तर भारत से हमेशा ही आगे रहा है। देश का पहला आईटी सिटी होने का गौरव बेंगलुरु को प्राप्त है। विज्ञान के क्षेत्र में भी दक्षिण भारत अग्रणी रहा है। आधुनिक भारत के सबसे प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम दक्षिण भारत से थे। सिविक सेंस में भी दक्षिण भारत का प्रदर्शन लगातार बेहतर रहा है। जिस जनसंख्या विस्फोट से होने वाली समस्या को उत्तर भारत अब समझ पाया है, उसे दक्षिण भारत ने 30 वर्ष पहले ही समझ लिया था। सार्वजनिक स्थल पर साफ सफाई, ट्रैफिक नियम, कानून व्यवस्था आदि का पालन करने में भी मुझे लगता है दक्षिण भारतीय उत्तर भारतीयों से मीलों आगे हैं।

दक्षिण भारत से होकर गुजरने वाली रेलगाड़ियों के स्लीपर क्लास में उतनी ही भीड़ और साफ सफाई की व्यवस्था होगी जितनी उत्तर भारत से गुजरने वाली एसी थ्री टायर में होती है। दक्षिण भारतीय अपनी परंपराओं के प्रति भी अत्यंत सजग हैं। उत्तर भारत में धोती कब की लुप्त हो गई लेकिन दक्षिण भारत में यह मॉडर्न फैशन की तरह अब भी पूरे जोर शोर से चल रही है।

खानपान के मामले में बात करें तो उत्तर भारत ने सरसों का तेल इस्तेमाल करना लगभग बंद कर दिया है लेकिन दक्षिण भारत विशेषकर केरल के लोग नारियल तेल के अलावा किसी अन्य तेल का प्रयोग नहीं करते, न खाने में न बालों में लगाने में। इसीलिए उत्तर भारतीयों की तुलना में उनके बाल अधिक उम्र तक काले और घने रहते हैं।

लेकिन एक मामले में मुझे लगता है कि दक्षिण भारतीय कमजोर पड़ जाते हैं। हम उत्तर भारतीय सिनेमाई कलाकारों को बस एक्टर ही समझते हैं। सदी के महानायक ने जब बाराबंकी में किसान बनकर जमीन की ठगी करने की कोशिश की थी तो हम उन्हें गरियाने से बिल्कुल भी नहीं चूके थे। लेकिन दक्षिण भारतीय, फिल्मी कलाकारों को भगवान बना लेते हैं। एनटीआर, एमजीआर, रजनीकांत, जयललिता जैसे तमाम उदाहरण हैं जिनके लिए वहां की जनता पागल है, मर मिटने को भी तैयार है। आपको याद होगा कि जयललिता का देहावसान होने पर उनके कुछ पागल समर्थकों ने आत्महत्या तक कर ली थी। मैंने एक दक्षिण भारतीय को भगवान के फोटो के साथ रजनीकांत की फोटो लगाकर पूजा करते हुए भी देखा है।

फिल्मी तारिकाओं के प्रति उनकी दीवानगी इस कदर है कि उन्होंने जयललिता, खुशबू से लेकर ताज़ा तरीन अभिनेत्री निधि अग्रवाल का मंदिर तक बना डाला है। अपनी युवावस्था के पूरे 12 वर्ष दक्षिण में गुजारने के कारण मुझ पर भी कुछ रंग साउथ का चढ़ गया है। मेरे नसों में भी नारियल चटनी, रसम, सांभर अभी तक दौड़ रही है। इसलिए जब मेरे पास अंबानी, अदानी, बिरला जितने पैसे होंगे तब मैं देवसेना का मंदिर बनवाऊंगा। क्योंकि वह बहादुर, बुद्धिमान और बृजबाला सी ब्यूटीफुल है।

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