राष्ट्रीय कवि संगम का तृतीय वार्षिक अधिवेशन धूमधाम से हुआ सम्पन्न

उनके अक्षर राज करेंगे सूरज चाँद सितारों पर – जगदीश मित्तल
दिखने लगे हैं अब वाम को भी राम जी- डॉ.गिरिधर राय

कोलकाता। राष्ट्र जागरण धर्म हमारा – अपने इस मन्त्र का अनुसरण करते हुए राष्ट्रवादी एवं साहित्यिक संस्था राष्ट्रीय कवि संगम का तृतीय वार्षिक अधिवेशन रिसड़ा स्थित रिसड़ा सेवक संघ के प्रांगण में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल बाबूजी की अध्यक्षता में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अशोक बत्रा के साथ साथ विशिष्ट अतिथियों के रूप में दिल्ली से अशोक जिंदल (कस्टम एक्साइज़, अपील विभाग, अदालती सदस्य), के.के. बंसल (चेयरमैन, डी.एच.टी.सी.लोजिस्टिक्स), डॉ. धनपत अग्रवाल (राष्ट्रीय सह संयोजक, स्वदेशी जागरण मंच), निर्मल अग्रवाल (प्रबंध निदेशक, आधुनिक मेटालिक्स लि.), के.के. सिंघानिया (चेयरमैन, सिग्नस ग्रुप ऑफ कम्पनीज) एवं सुभाष जैन (चेयरमैन, डायनामिक ट्रेकोम प्रा.लि.) ने कार्यक्रम में पधार कर कार्यक्रम को और भी गौरवान्वित कर दिया। प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय के संयोजन में हो रहे इस कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम ने किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ आलोक चौधरी की गणेश वन्दना, हिमाद्री मिश्र की सरस्वती वन्दना एवं स्वाति भारद्वाज की राम वन्दना के साथ हुआ। डॉ. ऋषिकेश राय ने स्वागत वक्तव्य दिया।

तत्पश्चात विभिन्न रचना धर्मियों ने प्रभु श्री राम के चरणों में अपने-अपने काव्य पुष्प अर्पित कर उक्त काव्य संध्या को अविस्मर्णीय बना दिया। इस अवसर पर प्रांतीय त्रैमासिक साहित्यिक ई-पत्रिका ‘राष्ट्र स्वर’ का लोकार्पण भी मित्तल जी के कर-कमलों द्वारा परिपूर्ण हुआ। पत्रिका की सफलता की कामना करते हुए मित्तल जी ने सम्पादक मंडल को बधाई दी एवं समाज में कवियों के महत्व को दर्शाते हुए अपने वक्तव्य में दोहराया – मानव होना भाग्य है कवि होना सौभाग्य। उन्होनें अमीरों की अपेक्षा कवियों की थाती को और भी अधिक मूल्यवान बताते हुए कहा – उनके अक्षर राज करेंगे सूरज चाँद सितारों पर, उनकी दौलत रह जायेगी महलों तक चौबारों तक। इस अवसर पर राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अशोक बत्रा ने अपने चिर परिचित हरयाणवी अंदाज में कवितायें सुनाकर सभी को खूब हंसाया। उनकी कविता – ‘हरयाणे की औरतें’ एवं ‘तीन तीन सालियों से भरी ससुराल’ सुनकर सभी ने खूब तालियाँ बजाई। डॉ. गिरधर राय ने अपने हास्य व्यंग्य की रचनाओं से सभी को बहुत गुदगुदाया। विशेषकर उनकी रचना ‘दिखने लगे हैं अब वाम को भी राम जी’ खूब सराही गयी।

इनके अलावा, यूँ तो अनेक काव्य मनीषियों ने अपनी रचनाओं का जादू बिखेरा किन्तु इनमें से विशेषकर – श्यामा सिंह, राम पुकार सिंह, देवेश मिश्र, हिमाद्री मिश्र, रीमा पांडे, चंद्रिका प्रसाद अनुरागी, रामाकांत सिन्हा, कामायनी संजय, विजय शर्मा विद्रोही, डॉ. अरविंद मिश्र, शिव प्रकाश दास, नागेन्द्र दूबे, शिव शंकर सिंह सुमित, डॉ. मनोज मिश्र, स्वागता बसु, आलोक चौधरी, कृष्ण कुमार दुबे, रामनाथ बेखबर, नंदलाल रौशन, विश्वजीत शर्मा सागर, प्रदीप कुमार धानुक, श्वेता गुप्ता श्वेताम्बरी, ऊषा जैन, उमेश चंद तिवारी, संजय शुक्ला, स्वाती, रिंकी, उर्मिला, श्रद्धा टिबरेवाल, प्रणति ठाकुर, वन्दना पाठक, नीलम झा, नीलम मिश्रा, मोहन चतुर्वेदी बैरागी, रणजीत भारती, अनु नेवटिया, देबाशीष पाल, कंचन राय, सीमा सिंह, विकास ठाकुर, अनुराधा सिंह, मुरली चौधरी, निडर, सबरंग आदि की रचनाओं ने कार्यक्रम को और भी ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। कार्यक्रम की सफलता के पीछे डॉ. गिरिधर राय, श्यामा सिंह, राम पुकार सिंह, बलवंत सिंह, देवेश मिश्र, डॉ. ए.पी. राय, राजीव मिश्र, अशोक शर्मा, कृष्णानंद मिश्रा आदि का अभूतपूर्व योगदान रहा। विशेष उपस्थिति रही राकेश पाण्डेय, सूत्रकार की। अंत में, इस सफल अधिवेशन को प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामा सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ सुसम्पन्न किया।

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