राज्यों में चुनाव बनाम मुफ़्त की घोषणाओं की बारिश

चुनावी मौसम आया – मुफ़्त की घोषणाओं का परचम लहराया – मामला सुप्रीम कोर्ट में आया
भारत में 70 वर्षों से जारी चुनावी फ्री स्कीम्स को बंद करने का स्थाई समाधान ढूंढना समय की मांग है – एडवोकेट किशन भावनानीं गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में लगभग प्रतिवर्ष चुनावी पर्व होता ही रहता है। परंतु पिछले कुछ वर्षों से हम देख रहे हैं कि राज्य स्तर पर किसी राज्य में विधानसभा चुनाव की संभावना का पता उस राज्य की जनता को ही नहीं पूरे विश्व को चल जाता है कि इस राज्य में चुनावी मौसम की घटनाएं घट रही है। वह ऐसे कि कुछ अवधि पूर्ण से ही राजनेता अपनी-अपनी बिसात बिछाना शुरू कर देते हैं। ताबातोड़ दौरे, जन भागीदारी को महत्व, जनसंपर्क, जनता की गतिविधियों में शामिल होना शुरू कर देते हैं क्योंकि इसका दूरगामी परिणाम चुनाव में देखने को मिल जाता है। परंतु अभी हम देख रहे हैं कि एक नई प्रथा शुरू हो गई है, मुफ्त की घोषणाएं! जिसमें इतने यूनिट बिजली फ्री, गैस सिलेंडर लैपटॉप वाईफाई इंटरनेट कोविड से लेकर अभी तक राशन फ्री इत्यादि अनेक प्रकार कीमुफ़्त घोषणाओं का परचम लहराया जाता है। आज अगर वह पार्टी सिलेंडर 600 में देने की घोषणा कर दी है तो यह पार्टी 500 में देने की घोषणा कर रही है। वह महिलाओं को इतने हजार फ्री देने की घोषणा कर रहे हैं तो यह इतने हजार फ्री देने की घोषणा कर रही है।

ऐसे में जनता जनार्दन को चुनावी पर्व में आनंद आना स्वाभाविक बात भी है। इसके अतिरिक्त चुनाव से एक दिन पहले भी रात को प्रसिद्ध पुरानी कहावत कत्ल की रात आई यह भी बोलते हैं, क्योंकि उस रात जनता पर उपहारों की बारिश भी होती है। यह मैंने स्वयं ने भी अपने पड़ोस में अपनी आंखों से देखा है किस तरह कार्यकर्ता थैली में लेकर आते हैं और जितने घर के सदस्य उतने हरे देकर जाते हैं! खैर यह तो अंदर की बात है। परंतु यह मुफ्त की घोषणाएं वर्तमान में ही नहीं इसकी प्रथा 1954 से देखने को मिल रही है, जिसकी चर्चा हम नीचे पैरा में करेंगे। चूंकि अभी दो राज्यों में चुनाव आयोग ने सर्वे कर लिया है। तारीखें घोषित करने के लिए उच्च स्तरीय सभा हो गई है, उम्मीद है बहुत जल्द तारीखें घोषित हो जाएगी।इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत में 70 वर्षों से जारी चुनावी फ्री स्कीम्स को बंद करने का स्थाई समाधान ढूंढना समय की मांग है।

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम सीईओ के विचारों और पांच राज्यों में चुनाव तारीखों की करें तो, मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ने गुरुवार को कहा था कि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रलोभन मुक्त चुनाव कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। चुनाव में धनबल, मुफ्त की रेवड़ियों आयोग के रडार पर होंगी। देश के पांच राज्यों में अगले महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव की तारीख का एलान अभी नहीं हुआ है, लेकिन कहा जा रहा है कि इसको लेकर अहम जानकारी सामने आई है। कहा जा रहा है कि नवंबर के दूसरे हफ्ते और दिसंबर के पहले हफ्ते के बीच पांच राज्यों में चुनाव कराए जा सकते हैं। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वो राज्य हैं- राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम।

विधानसभा चुनाव की तारीखों को लेकर दिल्ली में पर्यवेक्षकों की अहम बैठक हो गई है। इस बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त के अलावा दोनों चुनाव आयुक्त भी शामिल थे। साथ ही जनरल ऑब्जर्वर, एक्सपेंडिचर और सिक्योरिटी ऑब्जर्वर भी मौजूद थे। अगले हफ्ते चुनाव की तारीखों का एलान हो सकता है। मीडिया में एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान, मध्य प्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना में एक चरण में चुनाव हो सकते हैं। पिछली बार भी इन राज्यों में एक ही चरण में मतदान हुआ था। वहीं, छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव कराए जाने की संभावना है। मिजोरम विधानसभा का कार्यकाल इस साल 17 दिसंबर को खत्म हो रहा है। वहीं, तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की विधानसभाओं का कार्यकाल अगले साल जनवरी में खत्म होगा।

साथियों बात अगर हम दो राज्यों में मुफ्त घोषणाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल करने और नोटिस जारी होने की करें तो, मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों की तरफ से चुनाव से पहले की जा रही घोषणाओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। मुफ्त की घोषणाओं पर पहले से लंबित याचिका के साथ इस मामले को भी जोड़ा गया है। याचिकाकर्ता का कहना था कि चुनावी लाभ के लिए बनाई जा रही योजनाओं से आखिरकार आम लोगों पर ही बोझ पड़ता है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले लोगों के लिए ऐसी योजनाओं का ऐलान किया जा रहा है, जिसमें उन्हें कैश दिया जाएगा। इसे फ्रीबीज भी कहा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। चीफ जस्टिस ने कहा कि चुनाव से पहले सभी तरह के वादे किए जाते हैं।

इसपर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यहां सिर्फ वादों की बात नहीं हो रही है, इसकी वजह से नेट वर्थ निगेटिव हो रहा है। नेता जिला जेल को बेचने तक की हद तक चले गए हैं। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा कि इस मामले को भी मुफ्त के वादों पर पहले से लंबित याचिका के साथ सुना जाएगा। राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव जीतने के लिए की जाने वाली मुफ्त की घोषणाओं के खिलाफ वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पहले से लंबित है। नई याचिका मध्य प्रदेश के रहने वाले ने दाखिल की है। उनका कहना है कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री एक के बाद एक घोषणाएं करते जा रहे हैं। इनसे सरकारी खजाने पर हजारों करोड़ रुपए का बोझ बढ़ेगा। चुनावी लाभ के लिए बनाई जा रही योजनाओं का खर्च आखिरकार आम लोगों को ही उठाना पड़ता है। याचिकाकर्ता ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री कार्यालय को भी पक्ष बनाया था। लेकिन कोर्ट ने उन्हें पक्षकारों की लिस्ट से हटाने को कहा। कोर्ट ने कहा कि नोटिस राज्य सरकार को भेजा जाना चाहिए, न कि मुख्यमंत्री को। इसके साथ ही कोर्ट ने रिजर्व बैंक को भी नोटिस जारी करने से मना कर दिया।

साथियों बात अगर हम पिछले 70 वर्षों से चली आ रही मुफ्त घोषणाओं स्कीमों की करें तो
(1) सबसे पहले मद्रास राज्य में कामराज ने 1954 से 1963 के दौरान मुफ्त शिक्षा स्कूली छात्रों के लिए मुफ्त भोजन जैसे स्कीम की घोषणा की थी।
(2) 1967 में डीएमके फाउंडर ने तमिलनाडु चुनाव में रुपए में 4.30 किलो चावल देने जैसे वादे किए थे।
(3) 1982 में सी रामचंद्रन ने कामराज की तरह ही तमिलनाडु में बच्चों को मुफ्त भोजन की योजना शुरू की थी।
(4) 1980 के दशक में आंध्र प्रदेश के एंन.टी. रामाराव ने 2 रुपए किलो चावल देने की योजना लागू की थी, जो मुझे भी याद है, बचपन में मैं रोज रेडियो पर इस योजना के बारे में सुनता था।
(5) 1990 के दशक में जयललिता ने मुफ्त साड़ी, प्रेशर कुकर, टेलीविजन, वाशिंग मशीन देने जैसे वादे किए थे।
(6) 1990 के दशक में ही पंजाब की अकाली दल सरकार ने सबसे पहले मुफ्त बिजली देना शुरू किया था।
(7) 2006 में विधानसभा चुनाव में तमिलनाडु में डीएमके ने भी वोटरों को कलर टेलीविजन देने का वादा किया था।
(8) 2015 में आप पार्टी ने लोगों को मुफ्त बिजली पानी देने का वादा किया था।
(9) 2022 में पंजाब में आप पार्टी नें, 1 जुलाई से हर घर को 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने की योजना लागू की गई।
(10) 1 अप्रैल 2022 से हिमाचल प्रदेश में भी फ्री बिजली पानी योजना लागू की गई।
(11) गुजरात में भी हाल में 4 हज़ार गांवों को मुफ्त वाईफाई और गाय संरक्षण के लिए 500 करोड रुपए देने का वादा किया है।
(12) गुजरात में आप पार्टी, नें 300 यूनिट बिजली फ्री व महिलाओं को एक हजार रुपए मासिक देने का वादा किया था।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राज्यों में चुनाव बनाम मुफ़्त की घोषणाओं की बारिश। चुनावी मौसम आया – मुफ्त की घोषणाओं का परचम लहराया – मामला सुप्रीम कोर्ट में आया। भारत में 70 वर्षों से जारी चुनावी फ्री स्कीम्स को बंद करने का स्थाई समाधान ढूंढना समय की मांग है।

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