नए भारत में जनसंख्यकिय संरचना में बहुसंख्यक आबादी मध्यम वर्ग की होगी!

हमनें गरीबी को पीछे छोड़े हैं, आइए अब शासकीय सुविधाएं छोड़ें – नए मध्यम वर्ग में स्वागत से जुड़ें
भारत में उभरता मध्यम वर्ग आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक विकास को बढ़ाने में ताकतवर और मील का पत्थर साबित होगा – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत जिस तरह विकास की बुलंदियों के नए-नए आयाम गढ़ रहा है वैसे-वैसे इसका रिजल्ट व दूरदर्शी संभावनाएं आना शुरू हो गई है। कुछ दिन पूर्व संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पिछले 15 वर्षों में भारत में 37.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ गए हैं। वहीं भारतीय नीति आयोग के रिपोर्ट में भी आया के पिछले 5 वर्षों में 13.5 करोड लोग गरीबी रेखा के ऊपर आए हैं। जिसका उल्लेख पिछले कुछ दिनों से माननीय पीएम महोदय अपने हर संबोधन में करते हैं और इस रिजल्ट को गरीबी अनुकूल नीतियों, रणनीतियों को तेजी से लागू करने का कारण बताते हैं। इसमें मध्यम वर्ग की जनसंख्या के ढांचे में बेतहाशा वृद्धि हो जाएगी क्योंकि गरीबी रेखा से आया वह वर्ग अब नए मध्यम वर्ग के माध्यम से इस मध्यम वर्ग में जुड़ जाएंगे और भारत में सबसे बड़ा वर्ग मध्यम वर्ग हो जाएगा।

अभी हाल ही में प्रकाशित द राइस ऑफ इंडियन मिडल क्लास शीर्षक नाम से प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की आज़ादी को 100 वर्ष पूर्ण होने पर 2047 में देश में 100 करोड़ से अधिक लोग मध्यम वर्ग में शामिल हो जाएंगे। मध्यम वर्ग की आबादी 2004-05 में जहां 30 प्रतिशत गरीब परिवार हुआ करते थे उनकी आबादी 2030 तक 6 प्रतिशत के नीचे आ जाएगी और 2047 तक मात्र 2 प्रतिशत के भी नीचे चली जाएगी और मध्यम वर्ग की आबादी 2004-05 के 14 प्रतिशत से बढ़कर 2030 तक 46 प्रतिशत तक हो जाएगी और 2047 तक यह आबादी 63 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसा रिपोर्ट में कहा गया है जिसे जी-20 के शेरिफ़ द्वारा जारी किया गया था। मेरा मानना है कि जिस प्रकार अभी 13.5 करोड लोग या संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 37.5 करोड लोग गरीबी रेखा के ऊपर आए हैं तो उन्हें अब कलमबद्ध करना जरूरी हो गया है।

उनका रिकॉर्ड अब गरीबी रेखा से मध्यम वर्ग में तब्दील करना जरूरी हो गया है, ताकि उनको मिलने वाली शासकीय सुविधा, आरक्षण, शासकीय सहायता, हित अब उनसे नीचे वास्तविक गरीबों को मिले ताकि वह भी तेजी से मध्यम वर्ग में आए। मेरे सुझाव को शासकीय प्रशासकीय व माननीय पीएम द्वारा रेखांकित करना समय की मांग है। क्योंकि अब भारत की आबादीअधिकतम मध्यम वर्गीय होने की ओरअग्रसर हो रही है जो 2030 तक 40 प्रतिशत और 2047 तक 63 प्रतिशत होगी। अब सरकारों को मध्यम वर्गीय को अधिक ध्यान में रखना होगा क्योंकि सत्ता की चाबी इन्हीं 63 प्रतिशत मध्यम वर्गीय परिवारों से होकर ही गुजरेगी, जिसे रेखांकित करते हुए लोकसभा चुनाव 2024 में मध्यम वर्ग के परिवारों को नज़रंदास करने की भूल शायद ही कोई राजनीतिक दल करेगा?

परंतु अब गरीबी रेखा से ऊपर उठ चुके 37.5 करोड लोगों को शासकीय सुविधा से वंचित करना समय की मांग है क्योंकि अब 80 करोड़ नागरिकों को फ्री राशन सेवा पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। जिसे अब जनता रेखांकित कर रही है? और चुनाव में इसका जवाब मताधिकार का प्रयोग करके देने का मन बना लिया है? इसीलिए शीघ्रता से इन 37.5 या 13.5 करोड़ को मध्यम वर्गीय में हस्तांतरित कर शासकीय सुविधाओं पर बैन लगाना समय की मांग है। चूंकि पीएम ने जी-20 शिखर सम्मेलन में गरीबी रेखा से मध्यम वर्गीय क्रम में पहुंचने की वजनदार बात कही है इसलिए शासन प्रशासन को पीएम के इन शब्दों को ध्यान देना बहुत जरूरी है। ध्यान देकर, अमल कर रिकॉर्ड चेंज करना समय की मांग है। इस विषय पर मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से हम चर्चा करेंगे नए भारत में बहुसंख्यक आबादी मध्यम वर्ग की होगी, हमनें गरीबी को पीछे छोड़े हैं, आइए अब शासकीय सुविधाएं छोड़ें।

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एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम इस दशक के अंत तक आबादी की संरचना बदलने की संभावना की करें तो, रिपोर्ट के अनुसार कुल क्रय शक्ति में बढ़ोतरी से भारत दुनियां के सबसे बड़े बाजारों में शुमार हो जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है, इस दशक के अंत तक देश की आबादी की संरचना बदल जाएगी। देश की आबादी की नई संरचना कुछ इस तरह होगी कि निम्न आय वर्ग मध्य वर्ग का हिस्सा बन जाएगा। इस तरह, एक ऐसा ढांचा खड़ा होगा जिसमें सबसे नीचे कमजोर आय वर्ग के लोग रहेंगे और बीच में मध्य वर्ग की भारी भरकम मौजूदगी होगी। सबसे ऊपर धनाढ्य लोगों का एक बड़ा समूह होगा। मध्य वर्ग पर पड़ने वाले असर पर रिपोर्ट में कहा गया है कि धनी लोगों में पूर्ण आय से अधिक रह सकती है, मगर मध्य वर्ग की बढ़ती आबादी भारतीय अर्थव्यवस्था को तेजी देनेवाला एक प्रमुख घटक बन जाएगा। वर्ष 2047 तक मध्यम वर्ग का आकार बढ़कर 1.02 अरब तक पहुंच जाएगा। वर्ष 2047 तक भारत की अनुमानित कुल आबादी 1.66 अरब में मध्यम वर्ग का आकार बढ़कर 1.02 अरब तक पहुंच जाएगा। वर्ष 2020-21 में तब देश की कुल आबादी में मध्य वर्ग का हिस्सा 43.2 करोड़ था।हालांकि, इसे लेकर कोई सार्वभौम परिभाषा नहीं है कि कौन मध्य वर्ग में आते हैं।

इसे ध्यान में रखते हुए प्राइस ने 2020-21 की कीमतों के आधार पर सालाना 1.09 लाख से 6.46 लाख रुपये अर्जित करने वाले लोगों को भारतीय मध्य वर्ग के रूप में परिभाषित किया है। पारिवारिक आय के आधार पर यह आंकड़ा सालाना 5 लाख रुपये से 30 लाख रुपये तक माना गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार अगर देश की आर्थिक वृद्धि दर अगले ढाई दशकों के दौरान 6 से 7 प्रतिशत के बीच बनी रही तो देश में मध्य वर्ग का आकार 2020-21 के 31 प्रतिशत से बढ़कर 2046-47 में 61 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। भारत की उपभोक्ता अर्थव्यवस्था एवं नागरिक हालात से संबद्ध गैर-लाभकारी संस्था ‘प्राइस’ की जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। द राइज ऑफ इंडियाज मिड्ल क्लास शीर्षक नाम से प्रकाशित रिपोर्ट प्राइस द्वारा जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है। प्राइस ने आईसीई के 360 के जरिये पूरे देश में सर्वेक्षण कर ये आंकड़े जुटाए हैं। यह नवीनतम रिपोर्ट देश के 25 राज्यों के 40, हज़ार परिवारों की प्रतिक्रिया पर आधारित हैं।

साथियों बात अगर हम वर्तमान समय में निम्न और अधिक आय वाले परिवारों में भारी अंतर की करें तो, रिपोर्ट के अनुसार निम्न आय वर्ग वाले परिवारों और अधिक आर्थिक संसाधन वालों परिवारों में भारी अंतर है। रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में भारत में परिवारों की औसत आय 5.43 लाख रुपये थी। इसकी तुलना में अति पिछड़े एवं आर्थिक तरक्की की चाह रखने वाले लोगों की आय क्रमशः सातवां एवं आधा था। एक गरीब परिवार की आय की तुलना में मध्यम वर्ग और धनी परिवार क्रमशः 13 गुना और 50 गुना अधिक कमाते हैं। सालाना 2 करोड़ रुपये से अधिक कमाने वाले परिवारों की संख्या 2016 से 2021 के बीच बढ़कर दोगुना हुई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चालू दशक में 2030 तक भारत में धनाढ्य परिवारों का आकार पांच गुना बढ़ जाएगा और आर्थिक वृद्धि में देश के ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी भूमिका होगी।

रिपोर्ट के अनुसार सालाना 2 करोड़ रुपये से अधिक कमाने वाले परिवारों की संख्या 2016 से 2021 के बीच बढ़कर दोगुना हो गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देश के पश्चिमी हिस्से में धनाढ्य लोगों की संख्या सबसे अधिक (देश के उत्तरी राज्यों की 3.94 लाख की तुलना में 8.03 लाख) है। रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र इस मामले में शीर्ष (6.48 लाख धनाढ्य परिवार) पर है। इसके बाद दिल्ली (1.81 लाख), गुजरात (1.41 लाख), तमिलनाडु (1.37 लाख) और पंजाब (1.01 लाख) आते हैं। महाराष्ट्र और दिल्ली में देश के लगभग आधे धनाढ्य लोग रहते हैं। पीएम ने पिछले हफ्ते बी-20 सम्मेलन में कहा था कि आने वाले सालों में भारत के पास सबसे बड़ा मध्यम वर्ग होगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार गरीबों के हिसाब से नीतियां बना रही है और इसके कारण देश में मिडिल क्लास का नया उभार हो रहा है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नए भारत में जनसंख्यकिय संरचना में बहुसंख्यक आबादी मध्यम वर्ग की होगी। हमनें गरीबी को पीछे छोड़े हैं, आइए अब शासकीय सुविधाएं छोड़ें – नए मध्यम वर्ग में स्वागत से जुड़ें। भारत में उभरता मध्यम वर्ग आर्थिक, राजनीतिक व सामाजिक विकास को बढ़ाने में ताकतवर और मील का पत्थर साबित होगा।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार/आंकड़े लेखक के है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

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