सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन

नयी दिल्ली। सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का मंगलवार को निधन हो गया है। वह 80 वर्ष के थे। नयी दिल्ली स्थित एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि सुलभ इंटरनेशनल के केंद्रीय कार्यालय में झंडोत्तोलन के बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी और उन्हें एम्स में भर्ती करवाया गया था। वह दो दिनों पहले ही पटना में एक कार्यक्रम में भाग लेने भी पहुंचे थे। गौरतलब है कि दिवंगत बिंदेश्वर पाठक ने वर्ष 1970 में सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी।

बिंदेश्वर पाठक की पहचान बड़े भारतीय समाज सुधारकों में से एक है। उन्होंने सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की, जो मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों, अपशिष्ट प्रबंधन और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करती है। उन्होंने सुलभ शौचालयों को किण्वन संयंत्रों से जोड़कर बायोगैस निर्माण का अभिनव उपयोग किया, जिसे उन्होंने तीन दशक पहले डिजाइन किया था।

अब दुनिया भर के विकासशील देशों में स्वच्छता के लिए एक पर्याय बन रहे हैं। उनके अग्रणी काम, विशेष रूप से स्वच्छता और स्वच्छता के क्षेत्र में, उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। पाठक का जन्म बिहार के वैशाली जिले के रामपुर बाघेल गांव के दो अप्रैल 1943 को हुआ था। पाठक एक भारतीय समाजशास्त्री और सामाजिक उद्यमी थे।

वह सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक थे, जो एक भारत-आधारित सामाजिक सेवा संगठन है जो शिक्षा के माध्यम से मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों, अपशिष्ट प्रबंधन और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। वह भारतीय रेलवे के स्वच्छ रेल मिशन के ब्रांड एंबेसडर थे। उनके काम को सामाजिक सुधार में अग्रणी माना जाता है, खासकर स्वच्छता और साफ-सफाई के क्षेत्र में।

इस संगठन के साथ उनके काम के लिए उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। उन्हें वर्ष 2017 के लिए लोक प्रशासन, शैक्षणिक और प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें1991 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। पाठक ने 1964 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

उन्होंने 1980 में अपनी मास्टर डिग्री और 1985 में पटना विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।एक विपुल लेखक और वक्ता डॉ. पाठक ने कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध है ‘द रोड टू फ्रीडम’ और दुनिया भर में स्वच्छता, स्वास्थ्य और सामाजिक प्रगति पर सम्मेलनों में लगातार भाग लेते रहे थे।

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