भारत अमेरिका मिलकर ड्रैगन को दे रहे झटके पे झटका!

भारत ने ड्रैगन पर लैपटॉप टेबलेट तो अमेरिका ने डेवलपिंग कंट्री स्टेटस व निवेश पर प्रतिबंध लगाया
वैश्विक प्रतिबंधों का ज़बरदस्त प्रहार – ड्रैगन की दरबार में हाहाकार – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। भारत में 18 मई 1984 को रिलीज हुई हिंदी फीचर फिल्म शराबी का गीतकार अनजान द्वारा लिखा गया गीत, जहां चार यार मिल जाए वही रात हो गुलजार, महफिल रंगीन सजे, दौर चले धूम मचे,मस्त मस्त नजर देखें नए चमत्कार जहां चार यार, इस 40 साल पहले लिखे गए गीत का संज्ञान अगर हम आज उन चार यारों भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रॉस, जापान सहित सभी समान विचारधारा वाले देशों को दोस्तों के रूप में लें तो, नजर देखें नए चमत्कार के साथ जहां वैश्विक मानव कल्याण के लिए विकास गाथाओंं के नए-नए आयाम मिलजुल कर लिखे जा रहे हैं। शिक्षा स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अनेक क्षेत्रों में एक दूसरे को साथ दे रहे हैं तो वहीं, आतंकवाद वित्तपोषण विस्तारवादी सोच वाले देशों पर वैश्विक प्रतिबंधों का जबर्दस्त प्रहार कर उन्हें अकेला सकेला करने की ओर कदम बढ़ा दिए गए हैं।

जहां एक ओर भारत विस्तारवादी देश पर कई समय पहले से डिजिटल स्ट्राइक कर सैकड़ों चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाया है वहीं फिर अभी 1 नवंबर 2023 से लैपटॉप, टेबलेट जैसे कई वस्तुओं के आयात पर बैन लगा दिया है, तो वहीं अमेरिका ने जून 2023 में विस्तारवादी देश ड्रैगन को डेवलपिंग कंट्री स्टेटस का दर्ज़ा छीना है और अब 9 अगस्त 2023 को अमेरिकी वेंचर कैपिटल और प्राइवेट एक्टिविटीज फर्मों को चीनी कंपनियों में पैसा निवेश करने से प्रतिबंध करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं जो करीब-करीब 2 वर्षों के गहन विचार विमर्श के बाद हस्ताक्षर हुए हैं।

ठीक उसी तरह यूरोपियन संघ के देश यूक्रेन-रूस युद्ध में एक पक्ष के समर्थन में चीन के होने से ईयू संगठन उनके खिलाफ हो गए हैं और अपने-अपने स्तरपर अनेक प्रतिबंध या तो लगाए गए हैं या फिर लगाने की योजनाएं चल रही है जो रेखांकित करने वाली बात है। चूंकि अभी पिछले हफ्ते में चीन पर वैश्विक प्रतिबंधों में भारत और अमेरिका द्वारा प्रतिबंध की कड़ी में डेवलपमेंट किया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध है जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत-अमेरिका मिलकर ड्रैगन को दे रहे हैं झटके पे झटका! वैश्विक प्रतिबंधों का जबर्दस्त प्रहार -ड्रैगन की दरबार में हाहाकार।

साथियों बात अगर हम अमेरिका द्वारा 9 अगस्त 2023 को चीन पर लगाए निवेश प्रतिबंधों की करें तो, अमेरिका के राष्ट्रपति ने चीन में अमेरिकी निवेश पर सीमा लगा दी है। अमेरिका की राष्‍ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए नेक्‍स्‍ट जेनरेशन मिलिट्री और सर्विलांस टेक्‍नोलॉजी को विकसित करने की क्षमता को प्रतिबंधित करने के प्रयासों के बीच उन्‍होंने ये कदम उठाया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को उन्होंने ये आदेश जारी किया है,जो कुछ चीनी सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस फर्मों में अमेरिकी निवेश को रेगुलेट करेगा। यानें अमेरिकी वेंचर केपिटल और प्राइवेट इक्विटी फर्मों को चीनी कंपनियों में पैसा निवेश करने से प्रतिबंधित कर देगा। करीब दो वर्ष के विचार-विमर्श के बाद इस आदेश पर हस्ताक्षर किए गए।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अमेरिकी अखबार का कहना है कि बीजिंग अपने निवेश का इस्तेमाल अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में कर सकता है। अमेरिका के इस निर्णय से चीन के साथ दूरी थोड़ी और बढ़ जाएगी। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, सेमिकंडक्टर और माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने के चीनी प्रयासों में नए आदेश के बाद से वेंचर कैपिटल और निजी इक्विटी फर्म अपना पैसा निवेश नहीं कर सकती। सरकार का कहना है कि यह फैसला राष्ट्रहित में लिए गए हैं। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक था। हालांकि, अमेरिका के फैसले को चीन अपने विकास में व्यवधान भी मान सकता है। अमेरिका ट्रेजरी विभाग का कहना है कि सरकार का फैसला अमेरिका को सुरक्षित रखने और अगली पीढ़ी के लिए महत्तवपूर्ण है। सरकार अमेरिका की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

साथियों अगर हम प्रतिबंध की सीमाएं देखें तो, ये आदेश (जो अगले वर्ष तक प्रभावी नहीं होगा) पूर्वव्यापी नहीं होगा और इसमें बायोटेक्‍नोलॉजी जैसे सेक्‍टर शामिल नहीं होंगे इससे अप्रत्‍यक्ष निवेश के साथ-साथ सार्वजनिक ट्रेड सिक्‍योरिटीज, इंडेक्स फंड और अन्य एसेट्स में भी छूट मिल सकती है। अटलांटिक काउंसिल की वरिष्ठ फेलो और इंडियाना यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल स्‍टडी की एसोसिएट प्रोफेसर ने इस फैसले को व्यावसायिक समुदाय के लिए अच्छी खबर बताया है। इक्विटी को टारगेटवेंचर-कैपिटल फर्मों और टेक इंडस्‍ट्री ने आदेश के दायरे को कम करने के लिए बाइडेन प्रशासन की पैरवी की थी, क्योंकि निवेशकों को डर था कि व्हाइट हाउस अमेरिकी निवेश पर व्यापक सीमाएं लगाएगा, वहीं यूरोपीय संघ समेत मित्र राष्ट्रों ने भी विरोध करते हुए कहा था कि गंभीर प्रतिबंध उनकी इकोनॉमीज को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि ये आदेश उनको टारगेट करता है जो मर्जर, प्राइवेट इक्विटी और प्राइवेट कैपिटल के साथ-साथ जॉइंट वेंचर्स और फाइनेंसिंग अरेंजमेंट के जरिये प्रतिबंधित चीनी कंपनियों में इक्विटी इंटरेस्‍ट हासिल करना चाहते हैं। इसके चीनी स्टार्टअप और बड़ी कंपनियों तक सीमित रहने की उम्मीद है जो अपने रेवेन्‍यू का 50 फ़ीसदी से अधिक प्रतिबंधित सेक्‍टर्स से प्राप्त करते हैं। साथियों बात अगर हम अमेरिका-चीन संबंधों में दूरी बढ़ने की करें तो कहा जा रहा है कि बाइडेन का ये फैसला अमेरिका और चीन के बीच दूरियां बढ़ाने वाले कदमों में से एक है। व्हाइट हाउस ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अमेरिका पहले से ही चीन को कुछ संवेदनशील टेक्‍नोलॉजी के निर्यात को सीमित करता है और ये आदेश अमेरिकी निवेश को इन टेक्‍नोलॉजी के स्वदेशीकरण में तेजी लाने में मदद करने से रोक देगा। इस आदेश में इसे चीन, हांगकांग और मकाऊ के रूप में परिभाषित किया गया है। अमेरिका के फैसले को चीन ने निराशाजनक बताया है।

साथियों बात अगर हम भारत द्वारा 1 नवंबर 2023 से लागू लैपटॉप टेबलेट आयात पर प्रतिबंधों की करें तो, भारत सरकार ने लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर और सर्वर के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है, गुरुवार को सरकार की ओर से एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। विदेश व्यापार महानिदेशक की अधिसूचना में कहा गया है कि इन सभी आयातों को तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। ऐसे किसी भी आयात के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होगी अपवाद के रूप में प्रति खेप केवल एक ऐसे उत्पाद के आयात के लिए छूट दी जाएगी। सरकार के इस कदम से एपल, डेल और सैमसंग जैसी कंपनियों को झटका लगेगा और उन्हें भारत में अपना विनिर्माण बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

भारत में मौजूदा नियम कंपनियों को स्वतंत्र रूप से लैपटॉप आयात करने की अनुमति देते हैं, लेकिन नया नियम इन उत्पादों के लिए एक विशेष लाइसेंस को अनिवार्य करेगा जैसा की 2020 में देश में टीवी के शिपमेंट के निर्यात पर लगाया गया था। सरकार के इस कदम से देश में विनिर्माण को मिलेगा बढ़ावा।इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग निकाय एमएआईटी के पूर्व महानिदेशक अली अख्तर जाफरी के अनुसार सरकार का यह कदम झटका नहीं बल्कि देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने की कवायद है। जानकारों ने कहा, इस कदम का मकसद भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देना है। उनके अनुसार इस कदम से डिक्सन टेक्नोलॉजीज जैसे कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को फायदा होने की उम्मीद है। कंपनी के शेयरों में सरकार के इस फैसले के बाद 7 फीसदी से अधिक की तेजी दिखी। सरकार के फैसले का एक कारण डेटा चोरी से बढ़ी सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करना भी है।

सरकार से जुड़े एक सूत्र के अनुसार स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के अलावा इस कदम का उद्देश्य चीन से आपूर्ति को रोकना है। क्योंकि उसे ऐसे उत्पादों के जरिए हो रही डेटा चोरी से सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ी हैं। एक सूत्र के अनुसार प्रतिबंध से भारत को केवल विश्वसनीय भागीदारों से ऐसे हार्डवेयर आयात करने में मदद मिलेगी। भारत की ओर से प्रतिबंधित उत्पादों में से आधे चीन से आते हैं, जिसके साथ दिल्ली के संबंधों में 2020 में सीमा संघर्ष के बाद से खटास आ गई है। उसके बाद भारत ने ड्रैगन (चीन) से निवेश और व्यापार को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने प्रोत्साहन योजना के लिए आवेदन करने की समय सीमा बढ़ाई।

भारत सरकार ने आईटी हार्डवेयर विनिर्माण में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने के लिए कंपनियों के लिए दो अरब डॉलर के प्रोत्साहन योजना के लिए आवेदन करने की समय सीमा बढ़ा दी है जिसमें लैपटॉप, टैबलेट, पर्सनल कंप्यूटर और सर्वर जैसे उत्पाद शामिल हैं। यह योजना वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति शृंखला में एक पावर हाउस बनने की भारत की महत्वाकांक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है। भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में 2026 तक 300 अरब डॉलर के वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य रखा है। सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल फोन जैसे उत्पादों पर पहले भी उच्च कर लगाने जैसे कदम उठाए हैं।

साथियों बात अगर हम अमेरिका द्वारा चीन पर डेवलपिंग कंट्री स्टेटस पर प्रतिबंध लगाने की करें तो, अमेरिकी संसद ने चीन को इकोनॉमिक फ्रंट पर तगड़ा झटका दिया है। हाल ही में यूएस सीनेट ने एक नए कानून को मंजूरी दी। इसके मुताबिक चीन को अब अमेरिका किसी भी सूरत में विकासशील देश (डेवलपिंग कंट्री) का दर्जा नहीं देगा। अमेरिका के इस कदम का चीन की इकोनॉमी पर जबरदस्त असर पड़ेगा। वर्ल्ड बैंक और दूसरे फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस से उसे अब आसानी से और कम ब्याज पर लोन नहीं मिल सकेगा। चीन डेवलपिंग कंट्री स्टेटस की वजह से खुद तो आसान और सस्ता कर्ज लेता था। लेकिन गरीब देशों को कठोर शर्तों पर लोन देकर उन्हें कर्ज के जाल में फंसा लेता था।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत अमेरिका मिलकर ड्रैगन को दे रहे झटके पे झटका! भारत ने ड्रैगन पर लैपटॉप टेबलेट तो अमेरिका ने डेवलपिंग कंट्री स्टेटस व निवेश पर प्रतिबंध लगाया।वैश्विक प्रतिबंधों का ज़बरदस्त प्रहार – ड्रैगन की दरबार में हाहाकार।

स्पष्टीकरण : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं और दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।

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