मीना चतुर्वेदी के प्रथम कहानी संग्रह ‘स्नेह स्पंदन’ का लोकार्पण

कोलकाता। भारतीय भाषा परिषद, सभाकक्ष में सदीनामा प्रकाशन द्वारा लेखिका मीना चतुर्वेदी के प्रथम कहानी संग्रह ‘स्नेह स्पंदन’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में कवयित्री रीमा पांडेय ने सरस्वती वंदना का पाठ किया और इसके बाद सभी आमंत्रित गणमान्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। दीप प्रज्वलन के बाद सभी आमंत्रित अतिथियों और वक्ताओं का स्वागत किया गया। सदीनामा के संपादक जीतेन्द्र जीतांशु द्वारा संचालित उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित छपते-छपते हिंदी दैनिक के संपादक और ताजा टीवी के निदेशक विश्वम्भर नेवर का स्वागत स्वयं लेखिका मीना चतुर्वेदी ने शाल ओढ़ाकर और पुष्पगुच्छ भेंटकर किया।

कार्यक्रम के आरंभ में सूर्य कान्त चतुर्वेदी “मोहन” ने स्वागत वक्तव्य के साथ लोकार्पित पुस्तक ‘स्नेह स्पंदन’ का परिचय भी दिया। तदुपरान्त आमंत्रित सभी विशिष्ट अतिथियों द्वारा पुस्तक का लोकार्पण किया गया। सर्वप्रथम युवा आलोचक कुमार सुशांत ने पुस्तक पर अपनी बात रखते हुए कहा कि मीना चतुर्वेदी की कहानियाँ परिस्थितियों के दवाब की कहानी है। उन्होंने कहा कि लेखिका ने अपने इस कहानी संग्रह में शामिल छोटी कहानियों में कई प्रयोग किए है। इस संग्रह में शामिल कुछ कहानियाँ पत्रात्मक और कुछ आत्मकथात्मक शैली में भी लिखी गईं हैं। इस संग्रह में शामिल कहानियाँ आदर्शवादी कहानियाँ हैं, जिसे लेखिका ने अपनी सपाटबयानी भाषा के साथ प्रस्तुत किया है।

भवानीपुर एजुकेशन सोसायटी की प्रो. मीनाक्षी चतुर्वेदी ने इस कहानी संग्रह पर अपने विचार रखते हुए कहा कि साहित्य हमारे समाज से ही निकलता है। हम जो देखते और महसूस करते हैं, उसे ही लिखते हैं। लेखिका ने भी अपने जीवन व आस-पास जो देखा और महसूस किया, उसे ही इन कहानियों के माध्यम से समाज के सामने रखा है। स्कॉटिच चर्च कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. गीता दूबे ने कहा कि कहानी जीवन का एक टुकड़ा है और मीना चतुर्वेदी की कहानियाँ जीवन के एक टुकड़े का एक टुकड़ा है। डॉ. गीता दूबे ने मीना चतुर्वेदी की कहानियों को पाठक के ह्रदय में सहज-सरल ढंग से उतरने वाली कहानी बताया। उन्होंने कहा कि कहानी में सारा खेल स्मृति और कल्पना का होता है। मीना चतुर्वेदी की कहानियों में स्मृतियों का बाहुल्य हैं और सभी कहानियाँ मूल्यबोध की कहानियाँ हैं।

सेवानिवृत जनरल वी.एन. चतुर्वेदी ने मीना चतुर्वेदी को उनके प्रथम कहानी संग्रह के लिए अपने वक्तव्य के माध्यम से बधाई दी। कथाकार डॉ. अभिज्ञात ने कहानी संग्रह में शामिल कहानियों को लेखिका के आस-पास के दुनिया से निकली हुई कहानी बताया। कथाकार महेश कटारे ने मीना चतुर्वेदी को बधाई देते हुए कहा कि कहानी समाज के परिधि पर लड़ा जानेवाला गुरिल्ला युद्ध है। मुख्य अतिथि विश्वम्भर नेवर ने कहा कि मीना चतुर्वेदी क़ी कहानियों में सत्यता की सुगंध है। कहानी लिखते समय एक दृष्टि होनी चाहिए। बिना दृष्टि के कहानी नहीं होती। मीना चतुर्वेदी की कहानियों में एक दृष्टि है। उन्होंने कहा कि कहानी सहज रूप में संप्रेषण का माध्यम होता है। लेखिका मीना चतुर्वेदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि उन्होंने दूसरों की व्यथा को कहानी के रूप में लिखा है। उनकी कहानियों की भाषा साधारण हैं और उन्होंने साफ-सुथरी कहानियाँ लिखी हैं। अपने वक्तव्य में उन्होंने यह भी कहा कि कविता सभी लोग नहीं समझ पाते परंतु कहानी सभी लोग समझ पाते हैं।

आज के कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में कवयित्री कुसुम जैन उपस्थित रही। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में उन्होंने कहा कि मीना चतुर्वेदी की कहानियों में उनके व्यक्तित्व की छाप है। जिस प्रकार मीना चतुर्वेदी सहज और सरल है, उसी प्रकार उनकी कहानियाँ भी सहज और सरल हैं। मानसी चतुर्वेदी द्वारा संयोजित कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन लेखिका मीना चतुर्वेदी के पुत्र अंकुर चतुर्वेदी ने दिया। इस आयोजन में शहर के अनेक गणमान्य साहित्यकार और साहित्यप्रेमी उपस्थित हुए। जिनमें मुख्य रूप से प्रगति शोध फाउंडेशन से विनोद यादव, कथाकर सेराज खान बातिश, कथाकार सुरेश शॉ, शिक्षिका रेखा शॉ, प्रभाकर चतुर्वेदी, नीलकमल चतुर्वेदी, नीरज चतुर्वेदी एवं धीरज चतुर्वेदी आदि थे।

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