बृहस्पतिवार को बाल ना धोने का रहस्य

वाराणसी। हम अक्सर अपने घरो में देखते हैं या सुनते हैं कि जब भी कभी बृहस्पतिवार का दिन होता हैं और उस दिन अगर किसी कारणवश बालों को धोना पड़ जाये तो घर के बड़े जैसे दादी-नानी और मम्मी तुरंत मना कर देते हैं कि बृहस्पतिवार को बाल नहीं धोने चाहिये। आजकल की युवा पीढ़ी पुराने रीती-रिवाज, परम्पराओं को नहीं मानते हैं। कहते हैं उस दिन तो भैस भी अपना सिर पानी में नहीं डुबोती हैं। जब एक जानवर ऐसा कर सकती हैं फिर इंसान क्यों नहीं। पर क्या कभी आपने सोचा हैं कि आखिर ऐसा क्या हैं जो बृहस्पतिवार को बाल नहीं धोने चाहिए?

अगर आप ये बात नहीं जानते हैं तो आपको बता दे कि हिन्दू धर्म के विभिन्न देवताओं में से एक देवता बृहस्पति भी हैं, जिन्हें खास रूप से गुरुवार के दिन ही पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि गुरुवार के दिन बाल धो लिए जाएं तो ऐसे में भगवान बृहस्पति की कृपा उस जातक से उठ जाती है। उसकी ज़िंदगी में धन की हानि होती है एवं साथ ही सुख-समृद्धि के क्षेत्र में भी वह असफलता ही पाता है। लेकिन कुछ लोग इस तथ्य को महज अंधविश्वास मानते हैं। परन्तु इस तथ्य के पीछे छिपी कहानी इसे सही साबित करती है।

कहते हैं एक काफी अमीर शख़्स हुआ करते थे। वे और उनकी पत्नी एक सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे। उन्हें किसी प्रकार की कोई आर्थिक कमी नहीं थी। लेकिन वह महिला दान-पुण्य के मामले में थोड़ी कुटिल थी। एक दिन उनके दरवाजे पर एक साधु भिक्षा मांगने आए। उस समय उस महिला के पति घर पर नहीं थे तो उसने साधु को दरवाजे से यह कहकर लौट जाने से कहा कि वह घर के कार्यों में कुछ व्यस्त है, कृपा करके वह कुछ देर बाद दोबारा आएं। लेकिन यह दृश्य एक बार नहीं कई बार दोहराया गया। रोज़ाना वह साधु वहां आते और भिक्षा मांगते, लेकिन हमेशा की तरह वह स्त्री उन्हें वही बहाना बनाकर जाने को कहती। तो एक दिन साधु ने पूछ ही लिया कि बताएं आप कब कार्यों को छोड़ मुझे दान देंगी? तो जवाब में महिला ने कहा कि जब तक मेरे पास ढेरों कार्य हैं, मैं तुम्हें भिक्षा नहीं दे सकती। तो साधु ने उत्तर में कहा कि प्रत्येक गुरुवार को अपने बाल धो लो, तुम इन सभी कार्यों से जल्द ही मुक्त हो जाओगी।

उस महिला ने साधु की इस सलाह के पीछे छिपी गहराई पर गौर तो नहीं किया, लेकिन नियमित रूप से हर गुरुवार को बाल धोना आरंभ कर दिया और धीरे-धीरे उनकी सारी संपत्ति पानी के बहाव की तरह खत्म होती चली गई। वे इतने गरीब हो गए कि उनके पास खाने को एक वक्त की रोटी भी नहीं थी। तभी एक दिन फिर दोबारा वह साधु वहां आया और भिक्षा मांगी, तो महिला ने बताया कि उनके पास स्वयं के खाने के लिए भी भोजन नहीं है तो वह उन्हें क्या खिलाएगी। बाद में पति-पत्नी दोनों को ज्ञात हुआ कि वह साधु कोई और नहीं वरन् स्वयं भगवान बृहस्पति थे, जो उन्हें दान-पुण्य का पाठ पढ़ाने के लिए वहां आए थे। इसी कहानी के आधार पर यह मान्यता उत्पन्न हो गई कि कभी भूलकर भी गुरुवार को अपने केसों में पानी ना डालें। साथ ही भगवान बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार को पीले वस्त्र धारण करें, पीले फूलों से उनकी पूजा करें एवं भोजन में पीले रंग के पकवान ही बनाएं।

हमारे सनातन धर्म के प्रत्येक नियम शास्त्रोक्त होते है इनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी हमे लाभ मिलता है। बृहस्पतिवार हफ्ते में धर्म का दिन माना जाता है। इस दिन देव गुरु बृहस्पति और भगवान् विष्णु की पूजा की जाती है। ब्रह्मांड के सभी नौ ग्रहों में से गुरु (बृहस्पति) सबसे भारी ग्रह है। इसीलिए इस दिन हर उस काम को करने से मना किया जाता है जिससे शरीर या घर में हल्का महसूस हो। क्योंकि ऐसा करने से ग्रह भी हल्का हो जाता है जिसका दुष्प्रभाव परिवार और शरीर को ही झेलना पड़ता है।

गुरुवार के दिन महिलाओं को बाल नहीं धोने का कारण भी शास्त्र और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लाभप्रद है। क्योंकि स्त्रियों की जन्मकुंडली में बृहस्पति पति और संतान का कारक होता है। और अकेले बृहस्पति ग्रह के खराब होने के पति और संतान पर संकट आ सकता है। गुरुवार के दिन बाल धोना बृहस्पति को कमजोर करता है जिससे उसके शुभ प्रभावों में कमी आ जाती है। इसीलिए वीरवार के दिन बाल नहीं धोने चाहिए। और न ही कटवाने चाहिए। इससे पति और संतान के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा और उनकी उन्नति बाधित होगी।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योतिर्विद् वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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