तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। थैलेसीमिया एक वंशानुगत बीमारी है, जिसका मुख्य लक्षण रक्त में हीमोग्लोबिन का कम होना है। वंशानुगत अर्थात यह रोग जीवन भर के लिए लाइलाज है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चे को हीमोग्लोबिन की कमी से निपटने के लिए जीवन भर दूसरे लोगों के खून पर निर्भर रहना पड़ता है। देश में 4-6 प्रतिशत लोगों में थैलेसीमिया जीन होता है। यह ज्ञात है कि कुल एकत्रित रक्त का 40% थैलेसीमिया रोगियों पर खर्च किया जाता है। रक्त संग्रह और प्रशासन से संबंधित विभिन्न जटिलताओं के कारण थैलेसीमिया परिवारों को एक जटिल मानवीय और वित्तीय स्थिति का सामना करना पड़ता है।
जंगलमहल की सामाजिक संस्था “शालबीथी सोशल वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन” द्वारा थैलेसीमिया जागरूकता और थैलेसीमिया स्क्रीनिंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत मेदिनीपुर के विद्यासागर विद्यापीठ हेरिटेज स्कूल ने इस महती कार्य में सहयोग किया। 175 छात्रों के रक्त के नमूने एकत्र किए गए। कार्यक्रम का शुभारम्भ पूर्व न्यायाधीश विद्यासागर विद्यापीठ (बालक) मेदिनीपुर की अध्यक्षा अंजली सिन्हा, प्रधान शिक्षक अरूप भुइयां, चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ. देवजानी कर द्वारा दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया गया। दीप प्रज्ज्वलन के बाद सभी लोगों द्वारा सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।
विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएं एवं शालबीथी परिवार के सदस्य एवं 6 सदस्यीय मेडिकल टीम उपस्थित थी। विद्यासागर विद्यापीठ के प्राचार्य अरूप भुइयां और विद्यालय के शिक्षकों और छात्रों को धन्यवाद दिया गया। शालबिथि परिवार की ओर से देवलीना चटर्जी, अर्पिता हाजरा, मधुमिता शील, वर्णाली मंडल, अपर्णा दास, दीपानविता खान, शर्मिष्ठा चटर्जी और रीता बेरा उपस्थित थीं। इस शिविर से लोगों को जागरूक किया गया। उन्हें यह समझाया गया कि यह निर्धारित करना कितना महत्वपूर्ण है कि क्या थैलेसीमिया से पीड़ित परिवार का कोई व्यक्ति बच्चा पैदा करना चाहता है, पहले यह कि क्या वे इस बीमारी के वाहक हैं।