नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकारिता को राजनीति के बजाय समाजनीति या राष्ट्रनीति का वाहक बनने पर जोर देते हुए शनिवार को कहा कि यह देश को विकसित भारत बनने में मदद करेगा। मोदी ने 17 वी भारतीय सहकारी कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए कहा कि सहकारिता छोटे किसानों का संबल है। उन्होंने सहकारिता को आयात घटाने और निर्यात बढ़ाने के क्षेत्र में आगे आने, कंप्यूटरीकरण के माध्यम से परदाशिता लेने, कृषि लागत कम कर रसायनमुक्त खेती को बढ़ावा देने तथा पशुपालन एवं मत्स्यपालन के क्षेत्र में आगे आने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि 2014 के पहले किसानों को बिचौलियों के कारण सरकारी मदद काम मिलने की शिकायत थी। अब पीएम किसान सम्मान निधि कोष का पूरा पैसा किसानों के सीधे बैंक खाते में जा रहा है।अब तक ढाई लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के बैंक खाते में गए हैं। दुनिया में खाद महंगी हो रही है जिसका बोझ किसानों पर नहीं हो यह प्रयास किए जा रहे हैं। भारत में यूरिया प्रति बेग 270 रुपए मिलता है जबकि यह बंगलादेश में 720 रुपए और चीन में 2000 रुपए।
पिछले नौ साल में किसानों को उर्वरक सब्सिडी के रूप में 10 लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को सालाना अलग -अलग तरह से 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जा रही है। गन्ना किसानों को 315 रुपए प्रति क्विंटल का उचित और लाभकारी मूल्य दिया गया है। गन्ना के क्षेत्र में सहकारिता की बड़ी भूमिका होने वाली है। लोगों का मानना है कि ऊपरी स्तर पर भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद समाप्त हो गया है।
सहकारिता क्षेत्र भ्रष्टाचारमुक्त मॉडल बने जिससे आम लोगों को इस पर भरोसा हो। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र ने डेयरी के मामले में शानदार काम किया है और उसने दुग्ध उत्पादों तथा शहद का निर्यात किया है। विश्व में मोटे अनाजों का बाजार बन रहा है और सहकारिता को यहां तक अपनी पहुंच बनानी चाहिए।