नयी दिल्ली/कोलकाता। पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में केंद्रीय बल की नियुक्ति के आदेश को चुनौती देते हुए TMC और SEC ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) और राज्य चुनाव आयोग (SEC) की संयुक्त रूप से दायर एक याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से राज्य के कानूनी सलाहकारों के साथ बैठक करने के बाद चुनाव निकाय और राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया।
बता दें कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को चुनाव आयोग को 48 घंटे के भीतर बलों की तैनाती के लिए केंद्र को एक अनुरोध भेजने का निर्देश दिया था। कोलकाता हाई कोर्ट ने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में केंद्रीय बलों को तैनात करने के 13 जून के आदेश के बाद से अब तक कोई सराहनीय कदम नहीं उठाया गया है।
अदालत ने 13 जून को SEC की ओर से संवेदनशील घोषित क्षेत्रों और जिलों में तत्काल केंद्रीय बलों की मांग और तैनाती का निर्देश दिया था। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी समेत विपक्षी नेताओं ने शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए अदालत में याचिका दायर की थी।
उन्होंने दावा किया कि राज्य में 2022 में नगरपालिका चुनाव और 2021 में कोलकाता नगर निगम चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं। राज्य के विभिन्न हिस्सों से झड़पों की कई घटनाओं की सूचना मिली थी और पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
पिछले नौ दिनों में हिंसा के कारण राज्य में सात लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जोर देकर कहा है कि राज्य में पंचायत चुनाव नामांकन प्रक्रिया शांतिपूर्ण है। टीएमसी सुप्रीमो ने एक या दो छिटपुट घटनाओं को मुद्दा बनाने की कोशिश करने के लिए विपक्षी दलों की भी आलोचना की।
बता दें कि पश्चिम बंगाल में लगभग 5.67 करोड़ मतदाता जिला परिषदों, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों में लगभग 74,000 सीटों के लिए प्रतिनिधि चुनने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करेंगे। त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के लिए मतदान 8 जुलाई को होगा, जबकि मतगणना 11 जुलाई को होगी।