कोलकाता। सरकारी स्कूल के सहायक शिक्षक और पश्चिम बंगाल में कुर्मी आंदोलन के प्रमुख चेहर राजेश महतो का रातों रात तबादला कर तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के काफिले पर हमले के आरोप में आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। हालांकि महतो की गिरफ्तारी को लेकर राज्य पुलिस चुप्पी साधे हुए है, लेकिन सूत्रों ने पुष्टि की कि महतो को सात अन्य लोगों के साथ रविवार को अदालत में पेश किया जाएगा। अभिषेक बनर्जी के काफिले पर हमले के दो घटनाक्रमों के बीच महतो का तबादला और गिरफ्तारी हुई है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम मिदनापुर जिले के सालबोनी में, जहां शुक्रवार शाम को अभिषेक बनर्जी के काफिले पर हमला हुआ था एक रैली को संबोधित करते हुए बीजेपी पर कुर्मियों को अन्य आदिवासी समुदायों के खिलाफ भड़काकर जाति-हिंसा के जरिए पश्चिम बंगाल में मणिपुर जैसी स्थिति पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था।
साथ ही अलीत महतो और सुनमन महतो जैसे वरिष्ठ कुर्मी नेताओं ने काफिले पर हमले को लेकर समुदाय के सदस्यों और उनके नेताओं के खिलाफ कड़ी पुलिस कार्रवाई की स्थिति में राज्य में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। इस बीच, काफिले पर हमले के संबंध में राज्य पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में 15 लोगों को नामजद किया गया है। महतो प्राथमिकी में नामित 15 में से एक था।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों को आशंका है कि कुर्मी आंदोलन राज्य प्रशासन और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए स्थायी सिरदर्द बनने वाला है, क्योंकि पहले से ही पश्चिम बंगाल में कुर्मी आंदोलन जंगलमहल क्षेत्र में पारंपरिक क्षेत्रों से परे फैलना शुरू हो गया है, जो कि तीन आदिवासी बहुल जिलों पश्चिम मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया में फैला हुआ है।
कुर्मी समुदाय के लोगों की मुख्य शिकायत यह है कि स्वदेशी जनजातियों के लिए काम करने वाली राज्य सरकार की संस्था पश्चिम बंगाल कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अभी तक कुर्मी को आदिम जनजातियों के प्रतिनिधि के रूप में मान्यता नहीं दी है। उनका यह भी आरोप है कि केंद्र सरकार को इस मामले में व्यापक रिपोर्ट भेजने में संस्थान या राज्य सरकार की अनिच्छा के कारण कुर्मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत मान्यता देने की प्रक्रिया बाधित हो रही है।
11 अप्रैल को, नबान्न के राज्य सचिवालय में समुदाय के नेताओं और राज्य सरकार के बीच एक द्विदलीय बैठक हुई। हालांकि, बैठक का कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकल सका। उस दिन ही कुर्मी नेताओं ने अपना आंदोलन आगे बढ़ाने की धमकी दी थी।