कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आगामी 27 मई को होने वाले नीति आयोग की बैठक में जाने की पहले सहमति देने के बाद भी अब नहीं जाने का फैसला लिया है। इसे लेकर विपक्ष की ओर से लगातार सवाल खड़े किए जा रहे थे। अब सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने ममता के दिल्ली सफर रद्द करने के कारणों के बारे में जानकारी दी है। पार्टी की ओर से बताया गया है कि नीति आयोग की बैठक में ममता बनर्जी को सबसे अंत में बोलने का मौका दिया जाता है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल इकलौता ऐसा राज्य है जहां हर एक मद में केंद्र ने रुपये रोक रखा है। ऐसे में इस बैठक में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है।
दरअसल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ममता के दिल्ली सफर रद्द करने को लेकर सवाल खड़ा किया था। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री का इस बैठक में जाना उचित रहेगा। यह बैठक राज्य के हितों से जुड़ा हुआ होता है। बार-बार आरोप लगते हैं कि केंद्र राज्य का बकाया नहीं दे रहा है और जहां इस मांग को की जानी चाहिए उसी मंच पर अगर नहीं जाएंगे तो यह दोहरी नीति है।
इधर तृणमूल कांग्रेस की ओर से बताया गया है कि बंगाल के बकाए के बारे में बार बार पत्र लिखे जाने के बाद भी कुछ नहीं किया जाता। बैठक की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे और काफी लंबे समय तक वह बोलते रहते हैं। इसके अलावा ममता बनर्जी सुबह से शामिल हो जाती हैं और उन्हें सूर्य ढलने के बाद बोलने का मौका दिया जाता है। बंगाल के बकाए के बारे में कोई विस्तृत बात नहीं होती इसलिए इस बैठक में जाने का कोई औचित्य नहीं है।