बंगाल स्कूल भर्ती घोटाला: जुर्माने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अभिषेक बनर्जी

कोलकाता/नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया, जिसमें उन पर 25 लाख रुपये का जुमार्ना लगाया गया था और उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई जांच की अनुमति दी गई थी। बनर्जी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस और संजय करोल की अवकाश पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया।

सिंघवी ने कहा कि बनर्जी को राज्य के बाहर चुनाव प्रचार के दौरान पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है और उन्होंने अदालत से मामले को जल्द सूचीबद्ध करने का आग्रह किया। पीठ शुक्रवार को मामले की जांच करने पर सहमत हुई।
18 मई को, कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने उसी अदालत के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय की पीठ के पिछले आदेश को बरकरार रखा, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों को वें घोटाले के संबंध में बनर्जी से पूछताछ करने का अधिकार दिया गया था।

न्यायमूर्ति सिन्हा ने सीबीआई और ईडी को मामले के अभियुक्तों से पूछताछ करने का अधिकार दिया और निष्कासित युवा तृणमूल कांग्रेस के नेता कुंतल घोष को उनके द्वारा लगाए गए उन आरोपों के संबंध में निष्कासित कर दिया, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों पर मामले में बनर्जी का नाम लेने के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया गया था।

न्यायमूर्ति सिन्हा ने बनर्जी और घोष पर 25-25 लाख रुपये का जुमार्ना लगाया है। मामले से जुड़े एक वकील ने मीडियाकर्मियों को बताया कि अदालत का समय बर्बाद करने के कारण यह जुमार्ना लगाया गया है। मूल रूप से, न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने केंद्रीय एजेंसियों को बनर्जी से पूछताछ करने का अधिकार दिया था। इसके बाद बनर्जी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद घोटाले से जुड़े दो मामले जस्टिस सिन्हा की बेंच को ट्रांसफर कर दिए गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ten − 5 =