कलकत्ता हाई कोर्ट से अमर्त्य सेन को बड़ी राहत, जमीन से बेदखली के आदेश पर मिल गया स्टे

कोलकाता। नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने विश्व भारती विश्वविद्यालय के एक नोटिस के खिलाफ अपील करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया था। दरअसल, नोटिस के मुताबिक, उन्हें 6 मई तक अपनी शांति निकेतन निवास पर 13 डिसमिल भूमि खाली करने के लिए कहा गया था। फिलहाल, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने इस नोटिस पर तब तक रोक लगा दी, जब तक कि निचली अदालत 10 मई को आयोजित होने वाले मामले पर आदेश पारित नहीं कर देती।

केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कहा कि अगर सेन अपने अवैध कब्जे वाले 13 डिसमिल भूमि को समय सीमा के अंतर्गत खाली करने में विफल होते हैं, तो यह अर्थशास्त्री को बेदखल कर देगा। हाई कोर्ट में दाखिल की गई अपनी याचिका में अर्थशास्त्री ने तर्क दिया कि अक्टूबर 1943 में, तत्कालीन विश्व-भारती महासचिव रविंद्र नाथ टैगोर ने अमर्त्य सेन के पिता आशुतोष सेन को 99 साल के पट्टे पर 1.38 एकड़ जमीन दी थी, जिस पर बाद में उन्होंने प्रतिची का निर्माण किया।

इससे पहले भी सेन ने नोटिस के खिलाफ सूरी में एक अदालत का रुख किया था, लेकिन अदालत ने सुनवाई की तारीख 15 मई निर्धारित की थी, जो कि नोटिस में जगह खाली करने के 10 दिन बाद की तारीख है। इस बीच, विश्व भारती ने बीरभूम जिला प्रशासन को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय परिसर के आसपास इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है।

मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बेदखली के आदेश के विरोध में राज्य के मंत्रियों से सेन के घर के बाहर धरना शुरू करने को कहा था। बनर्जी ने स्थानीय विधायक एमएसएमई मंत्री चंद्रनाथ सिन्हा से विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने को कहा, जिसमें शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम शामिल होंगे। सीएम ने उनसे कहा कि अगर यूनिवर्सिटी जमीन पर कब्जा करने के लिए बुलडोजर भेजती है, तो भी वे मौके से नहीं हटेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

twenty + 17 =