नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रहे दिवंगत प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर बादल के खिलाफ उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के दोहरे संविधान बनाने से जुड़े धोखाधड़ी और जालसाजी के एक मामले को शुक्रवार को रद्द कर उन्हें क्लीन चिट दे दी। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में धोखाधड़ी, जालसाजी और अन्य अपराधों के कोई तत्व नहीं बने हैं।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में पंजाब के होशियारपुर में शिरोमणि अकाली दल के दोहरे गठन के विवाद में उनके खिलाफ दायर कथित जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले में लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। पीठ ने 11 अप्रैल को सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत के समक्ष सुखबीर बादल, प्रकाश सिंह बादल और डॉ दलजीत सिंह चीमा ने याचिका दायर की थी।
पांच बार पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और अकाली दल के संरक्षक रहे प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को मोहाली के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 95 वर्ष के थे। होशियारपुर निवासी बलवंत सिंह खेड़ा ने 2009 में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि शिरोमणि अकाली दल को राजनीतिक दल के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए दो अलग-अलग संविधान यानी एक गुरुद्वारा चुनाव आयोग (जीईसी) के साथ और दूसरा भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के पास जमा करने का आरोप लगाया गया था।
खेड़ा ने आरोप लगाया गया था कि पार्टी ने एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी होने का दावा किया था। है। अपने संविधान में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का पालन करने की घोषणा ईसीआई के समक्ष दायर की है, जबकि यह एक धार्मिक निकाय, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के लिए चुनाव लड़ती है। इस प्रकार यह एक धार्मिक पार्टी है। याचिकाकर्ताओं (बादल) ने तर्क दिया कि धार्मिक होना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के विपरीत नहीं है। यह केवल इसलिए कि एक राजनीतिक संगठन गुरुद्वारा समिति के लिए चुनाव लड़ रहा है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह धर्मनिरपेक्ष नहीं है।