कोलकाता। कुर्मी समुदाय के लोगों के ताजा विरोध के चलते बुधवार सुबह से पश्चिम बंगाल के बांकुरा, पुरुलिया और पश्चिम मिदनापुर के तीन आदिवासी बहुल जिलों में परिवहन सेवाएं बाधित हो गई। समुदाय ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर इन तीन जिलों में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दे रही है। हालांकि सूत्रों ने बताया कि इस बार असर रेलवे सेवाओं के बजाय बस सेवा पर ज्यादा पड़ा है। इस महीने की शुरूआत में हुए विरोध में रेल और सड़क सेवाएं दोनों बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
बुधवार की सुबह तीन जिलों में अधिकांश दुकानें, कार्यालय और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। बस डिपो से सुबह कुछ बसें निकलीं, लेकिन उनको आगे रोक दिया गया। जिला अदालतों में भी कामकाज प्रभावित हुआ है। कुर्मी समुदाय के लोगों ने विभिन्न स्थानों पर पारंपरिक आदिवासी हथियारों और वाद्य यंत्रों के साथ आंदोलन किया। आंदोलन करने वालों ने कहा कि अगर आने वाले दिनों में उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो वे और बड़ा आंदोलन करेंगे।
आंदोलनकारियों की मुख्य शिकायत यह है कि स्वदेशी जनजातियों के लिए काम करने वाली राज्य सरकार की एक संस्था पश्चिम बंगाल कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने अभी तक कुर्मियों को आदिम जनजाति के रूप में मान्यता नहीं दी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को मामले में एक व्यापक रिपोर्ट भेजने के लिए संस्थान या राज्य सरकार की अनिच्छा अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत कुर्मी समुदाय की मान्यता की प्रक्रिया को प्रभावित कर रही है।