वाराणसी। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय यानी जल चढ़ाते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1. सबसे पहले स्नान के बाद आसन पर खड़े हो जाएं।
2. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें और उसमें मिश्री भी मिलाएं। मान्यता है कि सूर्यदेव को मीठा जल चढ़ाने से मंगल का दोष दूर होता है।
3. सुबह के समय सूर्य कि किरणें औषधी के समान काम करती हैं। इसलिए सूर्य को अर्घ्य देने से पहले सूर्यदेव के हाथ जोड़कर कम से कम 5 मिनट तक सीधे सूर्य को देखें। ये आपको निरोगी बनाता है।
4. सूर्य को धीरे-धीरे करके जल चढ़ाएं। ध्यान रखें सूर्यदेव को चढ़ाया जल आपके पैरों को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
5. सूर्य देव को चढ़ाया जल जमीन पर गिरने से अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे, इसलिए चढ़ाएं जल को किसी पात्र में एकत्रित कर लें।
6. अर्घ्य देते समय नीचे दिया गया मंत्र 11 या 21 बार बोलना चाहिए-
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय।
मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा:।।
7. अर्घ्य देते समय थोड़ा-सा जल बचा लें और सीधे हाथ में लेकर अपने चारों और छिड़के।
8. सूर्य देव को चल चढ़ाने के बाद अपने स्थान पर ही तीन बार घुमकर परिक्रमा करें।
9. आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें, जहां खड़े होकर आपने सूर्य को जल चढ़ाया हो।
10. पात्र में एकत्रित हुए जल को मिट्टी से भरे गमले में डालें।
ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848