जयपुर। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन एवं हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान जयपुर के संयुक्त आयोजन में डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती के उपलक्ष में “विश्व मानवतावादी डॉ. अंबेडकर” विषय पर हिंदी भवन जयपुर में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के अध्यक्ष डॉ. अखिल शुक्ला अधिवक्ता ने कहा की न्यायविद संविधान शिल्पी बाबा साहब अंबेडकर जी की मानवतावादी सोच का दर्शन संविधान में प्रदत अनुच्छेद 14 से 32 तक मिले अधिकारों का अध्ययन करने पर स्पष्टतः मालूम पड़ जाता है।
शुक्ला ने कहा कि बाबा साहब शिक्षा को शेरनी के दूध के समान मानते थे। उनका मानना था की शिक्षित होने पर ही अधिकारों की रक्षा के लिए शेर की तरह दहाड़ा जा सकता है। बाबा साहब समाज को सदैव शिक्षित रहने, अन्याय के खिलाफ संघर्षरत रहने व सामूहिक रहने का संदेश देते थे। मुख्य वक्ता उज्जैन से पधारे राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर जी पर विशेष व्यक्तियों की प्रेरणा और संपर्क का प्रभाव था। जिसमें गौतम बुद्ध, संत कबीर, महात्मा ज्योतिबा फूले आदि का नाम प्रमुख है। डॉ. अंबेडकर जी वर्ण व्यवस्था, जाति प्रथा व अस्पृश्यता के प्रबल विरोधी थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मोहनलाल वर्मा ने कहा कि बाबा साहब ने स्त्रियों व पुरुष में सदैव समानता का अधिकार की बात कही और इसके लिए संघर्ष भी किया। स्त्रियों की शिक्षा के बाबा साहब प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि समाज की प्रगति का आकलन समाज की महिलाओं की प्रगति से किया जा सकता है। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. शिवा लोहारिया ने अतिथियों का स्वागत किया व अतिथियों का परिचय दिया। धन्यवाद हिंदी प्रचार प्रसार संस्थान के कुलसचिव अविनाश शर्मा ने दिया। कार्यक्रम का संचालन कुमारी चाइना मीणा ने किया।