सिलीगुड़ी। शिवम् पैलेस में विप्र फाउंडेशन के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा का प्रवचन करते हुए गोवत्स श्री राधाकृष्ण जी महाराज ने आज कहा कि हमें यह ध्यान रखना चाहिए की प्रभु हमें निरन्तर देख रहे हैं, उनकी दिव्य दृष्टि चराचर है, वो हमारे सी सी टी वी कैमरे की तरह नहीं है कि जहां कैमरे का मुंह होगा सिर्फ वहीं का दृश्य दिखेगा प्रभु की दृष्टि मे हजारों कैमरे हैं जो जगत के बाहरी दृश्यों को भी देखते हैं और जीव के अन्दर के भावों का प्रवाह भी नापते हैं। इसलिए हमें चाहिए की हम अपने धर्म के अनुसार आचरण करें, अपने ठाकुरजी के स्वभाव के अनुसार व्यवहार करें।
स्वागत मंत्री संजय शर्मा ने आह्वान किया की सम्पूर्ण भारतीय समाज को तेजस्विता प्रदान करने के पावन उद्देश्य से सिलीगुड़ी में आयोजित कथा के तृतीय दिन श्री राधाकृष्ण जी महाराज द्वारा अपने उद्बोधन में श्रीमद् भागवत महात्म्य के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आत्म-कल्याण एवं सुन्दर समाज के निर्माण के लिए सत्संग की महत्ती आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि आत्म-कल्याण के लिए तन-मन-धन की पवित्रता, संयम, त्याग, प्रसन्नता एवं अंत:करण की पवित्रता अत्यावश्यक है।
कथा व्यास श्री राधाकृष्ण जी महाराज ने कहा सत्संग संसार के दैहिक, दैविक और भौतिक त्रितापों से संतप्त प्राणियों को शान्ति देने के साथ जीव को जन्म-मृत्यु के बन्धन से मुक्ति दिलाता है। सत्य का संग (सत्संग) मनुष्य के मन-वाणी-कर्म में एकता स्थापित करके उसके जीवन को प्रामाणिक बनाता है। सत्संग सर्वव्यापक ईश्वरीय सत्ता का आभास कराता है। ईश्वरीय सत्ता की एक झलक से भव बन्धन से मुक्ति मिलती है। ईश्वर की कृपा से सत्संग पाना सम्भव है। सत्संग के सान्निध्य से मानव भवसागर को पार कर जाता हैं। पूज्य “आचार्यश्री” जी ने बच्चों को भावी कर्णधार बताते हुए कहा कि संस्कार सम्पन्न बालकों का निर्माण ही राष्ट्रहित में सर्वोपरि है।
इस अवसर पर मुख्य यजमान श्री ज्ञानवती देवी-डॉ. टोडरमल तिवारी, स्वागताध्यक्ष जुगलकिशोर तावणिया, उमा पारीक, सुमन शर्मा, अंशु शर्मा, उषा शर्मा, अंशु शर्मा, श्याम शर्मा, मनोज प्रोपर्टी, सत्यनारायण डोबा, पदम कोईराला, मीठु शर्मा, सुनिल शर्मा, पं प्रवीण पुजारी, सहित अनेक गणमान्य महानुभावगण आयोजन की सफलता हेतु सक्रिय भुमिका निभा रहे हैं।