भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण ने सवाल उठाते हुए कहा कि देश के कई हिस्सों में प्राइवेट प्लेयर्स की धोखाधड़ी सामने आ चुकी है। शिमला में सेब खरीदने के नाम पर कई प्राइवेट प्लेयर्स लाखों का चूना किसानों को लगा चुके हैं, तो नासिक में भी धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसे में अगर सरकार मंडियों के समानांतर व्यवस्था कर रही है, तो फिर किसानों को उचित मूल्य ही मिलेगा, इसकी क्या गारंटी है?
भारतीय किसान संघ का मानना है कि सरकार चाहती तो बिल पर बेवजह हंगामा टाल सकती थी। सरकार को सिर्फ बिल में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देना था। अगर ऐसा होता तो फिर सरकार को अखबारों में विज्ञापनों के जरिए और पार्टी नेताओं को बार-बार एमएसपी को लेकर सफाई देने की जरूरत न पड़ती। राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण ने कहा कि जिस तरह से जल्द से जल्द तीनों बिल पास हुए और राष्ट्रपति ने भी उस पर मुहर लगा दी, उससे पता चलता है कि सरकार अब तीनों कानूनों के मसले पर जल्दी बैकफुट में आने के मूड में नहीं है। ऐसे में भारतीय किसान संघ एमएसपी की गारंटी देने वाले चौथे बिल की मांग करता है। अगर सरकार से उचित आश्वासन नहीं मिलता है तो फिर किसान संघ आगे की रणनीति तय करेगा।