कोलकाता। साहित्य अकादेमी के पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘नारी चेतना’ कार्यक्रम के अंतर्गत साहित्येतर क्षेत्र की चार विशिष्ट नारी शख्शियतों ने अपने अनुभवों और संबंधित क्षेत्रों की चुनौतियों पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के क्षेत्रीय सचिव देवेंद्र कुमार देवेश नेपितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए उन्हें समान अवसर और समुचित सम्मान दिए जाने की जरूरत पर बल दिया।
रवींद्र संगीत की प्रख्यात शिल्पी अदिति गुप्त ने कहा कि अपनी भिन्न विशिष्टताओं के कारण पुरुष और स्त्री प्रत्येक कार्य कर ही पाएँ, संभव नहीं, लेकिन लिंगगत भेदभाव किया जाना बिलकुल अनुचित है। उन्होंने अपने शिक्षण और बुटीक व्यवसाय संबंधी अनुभवों को भी साझा किया। ऋत प्रकाशन की स्वामनी ऐत्रेयी सरकार ने कहा कि वे सौभाग्यशाली रहीं कि उन्हें परिवार, समाज अथवा कार्यक्षेत्र में स्त्री होने के कारण किसी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लगनशील होकर प्रयास करने पर सफलता प्राप्त करना असंभव नहीं।
नाट्यशिल्पी अभिनेत्री अनुराधा चौधुरी ने लिंगगत भेदभाव संबंधी अनेक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि स्त्रियों को प्रत्येक क्षेत्र में स्वावलंबी बनने की ओर अग्रसर होना पड़ेगा। प्रख्यात तीरंदाज, ओलंपिक खिलाड़ी और सर्वोच्च अर्जुन पुरस्कार विजेता दोला बनर्जी ने खेल संबंधी अपने अनुभवों को साझा करते हुए प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं को आगे आने का आह्वान किया।