वाराणसी। इस वर्ष होलाष्टक का प्रारंभ 27 फरवरी 2023, दिन सोमवार से शुरू होकर 07 मार्च 2023, दिन मंगलवार को होलाष्टक समाप्त होगा। आइए जानते हैं होलाष्टक के बारे में प्रचलित कथाएं तथा परंपरा और मान्यताओं के बारे में- होलाष्टक की पौराणिक कथा :
1. होलिका-प्रहलाद की कथा : पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिन तक कठिन यातनाएं थीं। आठवें दिन वरदान प्राप्त होलिका जो हिरण्यकश्यप की बहिन थी वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और जल गई थी लेकिन भक्त प्रहलाद बच गए थे। आठ दिन यातना के माने जाने के कारण इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है।
2. शिव-कामदेव कथा : हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान भोलेनाथ से हो जाए और दूसरी ओर देवताओं को यह मालूम था कि ब्रह्मा के वरदान के चलते तारकासुर का वध शिव का पुत्र ही कर सकता है परंतु शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। तब सभी देवताओं के कहने पर कामदेव ने शिवजी की तपस्या भंग करने का जोखिम उठाया। उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। शिवजी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। कामदेव का शरीर उनके क्रोध की ज्वाला में भस्म हो गया।
कामदेव 8 दिनों तक हर प्रकार से शिवजी की तपस्या भंग करने में लगे रहे। अंत में शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को फाल्गुन की अष्टमी पर ही भस्म कर दिया था। बाद में उन्हें देवी एवं देवताओं ने तपस्या भंग करने का कारण बताया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा और पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसीलिए पुराने समय से होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर अपने सच्चे प्रेम का विजय उत्सव मनाया जाता है।
3. श्री कृष्ण और गोपियां : कहते हैं कि होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे 8 दिन का त्योहार है। भगवान श्रीकृष्ण 8 दिन तक गोपियों संग होली खेलते रहे और धुलेंडी के दिन अर्थात होली को रंगों में सने कपड़ों को अग्नि के हवाले कर दिया, तब से 8 दिन तक यह पर्व मनाया जाने लगा।
मान्यताएं और परंपराएं
मान्यताएं :
1. विवाह करना वर्जित है।
2. वाहन नहीं खरीदना चाहिए।
3. घर न खरीदें।
4. भूमि पूजन न करें।
5. नवीन गृहप्रवेश न करें।
6. 16 संस्कार के कार्य न करें।
7. यात्रा न करें।
8. नया व्यापार शुरू न करें।
9. नए वस्त्र या कोई वस्तु नहीं खरीदना चाहिए।
परंपराएं :
* ज्योतिष की दृष्टि में होलाष्टक को एक दोष माना जाता है। विवाहिताओं को इस दौरान मायके में रहने की सलाह दी जाती है।
* ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस दिन से मौसम परिवर्तन होता है, सूर्य का प्रकाश तेज हो जाता है और साथ ही हवाएं भी ठंडी रहती है। ऐसे में व्यक्ति रोग की चपेट में आ सकता है और मन की स्थिति भी अवसाद ग्रस्त रहती है। इसीलिए मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
* ऐसा ज्योतिष शास्त्र का कथन है कि होलाष्टक में विशेष रूप से इस समय विवाह, नए निर्माण व नए कार्यों को आरंभ नहीं करना चाहिए। अर्थात् इन दिनों में किए गए कार्यों से कष्ट, अनेक पीड़ाओं की आशंका रहती है तथा विवाह आदि संबंध विच्छेद और कलह का शिकार हो जाते हैं या फिर अकाल मृत्यु का खतरा या बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।
* ज्योतिष मान्यता के अनुसार अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं।
* फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। होली के 8 दिन पहले होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है। इन आठ अशुभ दिनों को होलाष्टक कहते हैं। इन 8 दिनों में कोई भी मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। इस समय मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है।
* पौराणिक मान्यता के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान श्रीहरि विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए आठ दिन तक कठिन यातनाएं थीं। आठवें दिन वरदान प्राप्त होलिका जो हिरण्यकश्यप की बहन थी, वो भक्त प्रहलाद को गोद में लेकर बैठी और जल गई थी लेकिन भक्त प्रहलाद बच गए थे। इसी तरह रति के पति कामदेव ने शिवजी की तपस्या भंग करने के दुस्साहस किया शिवजी ने फाल्गुन अष्टमी के दिन कामदेव को भस्म कर दिया था।
होलाष्टक के आठ दिनों को व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अच्छा समय माना गया है।
* सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले मुहूर्त देखना बेहद जरूरी माना गया है मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में अगर कार्य को पूर्ण किया जाए तो इसके सकारात्मक परिणाम मिलते है। लेकिन अगर इनकी अनदेखी की जाए तो कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। हिंदू धर्म में होली के त्योहार को खास माना जाता है ये पूरे पांच दिनों तक चलता है। लेकिन इससे पहले आठ दिनों के होलाष्टक भी लगते है जिसे अशुभ समय माना जाता है।
* पंचांग के अनुसार होलाष्टक फाल्गुन मास की अष्टमी से आरंभ हो जाते है और होलिका दहन पर समाप्त होते है ऐसे में इस दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है मान्यता है कि अगर इन कार्यों को किया जाए तो व्यक्ति को पूरा जीवन पछताना पड़ सकता है इस साल होलाष्टक का आरंभ 27 फरवरी से हो रहा है और इसका समापन 7 मार्च को हो जाएगा। तो आज हम आपको बता रहे है कि होलाष्टक में किन कार्यों को नहीं करना चाहिए।
* धार्मिक और ज्योतिष अनुसार होलाष्टक के दिनों को बेहद अशुभ माना जाता है इसके पीछे का मुख्य कारण ग्रहों की अशुभ स्थिति बताया गया है। ऐसा कहा जाता है कि फाल्गुन पूर्णिमा से पहले के आठ दिन तक सभी नवग्रह अस्त और रुद्र अवस्था में होते है। यानी ये ग्रह इस वक्त अस्त रहकर अशुभ फल प्रदान करते है।
* इस दौरान अगर शुभ कार्यों को किया जाए तो इसके अशुभ परिणाम मिलते है और कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। होलाष्टक के दिनों में शादी ब्याह, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन संस्कार, नया घर, गाड़ी आदि की खरीदारी करना भी अच्छा नहीं माना जाता है ऐसे में इन कार्यों को करने से बचना चाहिए
ज्योतिर्विद् वास्तु दैवग्य
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848