कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली की एकल पीठ के फैसले के मुताबिक नौकरी गंवाने वाले ग्रुप डी के 1911 शिक्षकों ने खंडपीठ में याचिका लगाई है। उन्होंने सरकारी शिक्षक के तौर पर मिले हुए वेतन को लौटाने के फैसले के खिलाफ याचिका लगायी है। न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार और सुप्रतिम भट्टाचार्य की खंडपीठ में हलफनामा के जरिए आवेदन दिया है जिसमें इस बात का जिक्र किया है कि शिक्षक के तौर पर नियुक्ति के बाद पांच सालों तक उन्होंने मेहनत की है। स्कूलों में उन्होंने समय दिया है, पढ़ाया है बच्चों को और दूसरा कोई काम नहीं किया। नियमानुसार देखा जाए तो उन्हें मेहनताने के तौर पर वेतन दिया गया है इसलिए वे इसे नहीं लौटाना चाहते हैं। उनके आवेदन को खंडपीठ ने स्वीकार किया है। गुरुवार को इस पर सुनवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ ने इन सभी की उत्तर पुस्तिका में छेड़छाड़ की वजह से नौकरी रद्द करने का आदेश दिया था। एसएससी ने भी स्वीकार किया था कि उनकी उत्तर पुस्तिका में हेरफेर हुई है और इन्हें नौकरी पर नहीं रखा जाना चाहिए। उसके बाद उन्होंने नौकरी से हटाए जाने के फैसले के खिलाफ भी इन्हीं दोनों न्यायाधीश की खंडपीठ में पहले से ही याचिका लगाई है। उसी याचिका के साथ अब हलफनामा के जरिए वेतन भी नहीं लौटाने का आवेदन किया है।
हालांकि कानूनविदों का कहना है कि जब उन्होंने नौकरी बरकरार रखने के लिए आवेदन किया है और जीत जाते हैं तो जाहिर सी बात है कि उन्हें वेतन नहीं लौटाना पड़ेगा। ऐसे में वेतन नहीं लौटाना पड़े इसके लिए उनका अलग से आवेदन इन शिक्षकों के आत्मविश्वास के कमजोर होने का संकेत दे रहा है। वे मानकर चल रहे हैं कि उनकी नौकरी जाएगी और अगर ऐसा हो तो कम से कम वेतन ना लौटाना पड़े। बहरहाल नियम है कि गैर कानूनी तरीके से नियुक्ति साबित होने पर न केवल नौकरी जाती है और वेतन लौटाना पड़ता है बल्कि जेल की हवा भी खानी पड़ती है।